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Cinema Ka Flashback: 'खंडवा वाले किशोर कुमार की राम-राम ले लो भाई जी...' जब मोहम्मद रफी के पैर पकड़कर फूट-फूटकर रोए थे दादा

Kishore Kumar Birth Anniversary: हिंदी सिनेमा में मोहम्मद रफी और किशोर कुमार के किस्से लोगों को जुबानी याद रहते हैं। दोनों का भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में कभी न भुलाया जाने वाला योगदान रहा है। कहा जाता है कि दोनों के बीच कुछ खास ताल मेल नहीं रहता था...

Manushri Bajpaiअपडेटेड Aug 04, 2025 पर 9:39 AM
Cinema Ka Flashback: 'खंडवा वाले किशोर कुमार की राम-राम ले लो भाई जी...' जब मोहम्मद रफी के पैर पकड़कर फूट-फूटकर रोए थे दादा

Kishore Kumar Birth Anniversary: हिंदी सिनेमा के दिग्गज सिंगर-एक्टर किशोर कुमार आज भी दर्शकों के जहन में रचे बसे हुए हैं। उन्होंने हर जॉनर की फिल्मों में शानदार काम किया है, और सफल भी रहे। किशोर दा ने अपनी जिंदगी को हमेशा अपनी शर्तों पर जिया है। कहते हैं कि सिंगर बेहद मस्त मौला इंसान थे, लेकिन जिद्दी भी बहुत थे। एक्टिंग के साथ उन्होंने हिन्दी सिनेमा को अपनी जादुई आवाज में कई हिट गाने भी दिए हैं। दा कि बर्थ एनिवर्सरी पर उनके बारे में कुछ अनसुनी बातें जानते हैं।

अपने मस्त मौला अंदाज के लिए जाने जाने वाले किशोर दा का खंडवा से ताल्लुक गहरा था। खंडवा का हर इंसान उनके दिल में बसता था, उनका परिवार था। किशोर कुमार का जन्म 4 अगस्त 1929 में खंडवा में ही हुआ था। उन्हें अपने गांव से बेहद लगाव था। अर्श से फर्श पर पहुंचने के बाद भी वे अपने गांव को नहीं भूले थे।

हिंदी सिनेमा के बादशाह बनने के बाद जब भी उनकी एक खासियत लोगों का दिल जीत लेती थी। किशोर दा दुनियाभर में कहीं भी शो करते थे तो मंच पर पहुंचकर हाथ जोड़कर उनके शुरुआती शब्द होते थे 'मेरे दादा-दादियों, मेरे नाना-नानियों और मेरे भाई-बहनों तुम सबको खंडवा वाले किशोर कुमार की राम-राम.' उनका ये संबोधन सुनकर हर किसी का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता था।

अपने मस्त मौला अंदाज के लिए फेमस किशोर दा का खंडवा से बेहद गहरा रिश्ता था। खंडवा का हर इंसान उनका परिवार था। किशोर कुमार का जन्म 4 अगस्त 1929 में खंडवा में ही हुआ था। उन्हें अपने गांव से बहुत प्यार था. हिंदी सिनेमा के बादशाह बनने के बाद जब भी वह कहीं भी स्टेज शो करते थे, हाथ जोड़कर उनके शुरुआती शब्द होते थे ''मेरे दादा-दादियों, मेरे नाना-नानियों और मेरे भाई-बहनों तुम सबको खंडवा वाले किशोर कुमार की राम-राम।' उनका ये संबोधन हर किसी का दिल जीत लेता था।

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