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50 years of Sholay : जब सलीम-जावेद की जोड़ी ने सिल्वर स्क्रीन पर रचा था इतिहास, आज भी फिल्म के लिए लोगों में है क्रेज

50 years of Sholay: साल 1975 में आज के दिन ही फिल्म शोले रिलीज हुई थी। फिल्म ने 2025 में अपने 50 साल पूरे कर लिए हैं। सलीम-जावेद की बेजोड़ जोड़ी ने सिल्वर स्क्रीन पर इतिहास रच दिया था।

Moneycontrol Hindi Newsअपडेटेड Aug 15, 2025 पर 8:02 PM
50 years of Sholay : जब सलीम-जावेद की जोड़ी ने सिल्वर स्क्रीन पर रचा था इतिहास, आज भी फिल्म के लिए लोगों में है क्रेज
सलीम-जावेद की जोड़ी ने जब क्रिएट की हिस्ट्री

50 years of Sholay: भारतीय सिनेमा के 100 से ज्यादा साल के सफर में कई बेहतरीन स्क्रीनराइटर्स सामने आए हैं। लेकिन सलिमजावेद जैसी पहचान और विरासत किसी ने नहीं बनाई। इस मशहूर जोड़ी ने कई बड़ी और यादगार फिल्में दीं, लेकिन शोले ने सच में कहानी कहने का तरीका बदल दिया। यह फिल्म हमेशा के लिए एक क्लासिक बन गई और आने वाली पीढ़ियों के स्क्रीनराइटर्स के लिए प्रेरणा बनीं। 1975 में स्वतंत्रता दिवस पर रिलीज हुई, रमेश सिप्पी द्वारा निर्देशित यह शानदार एक्शन-ड्रामा आज 50 साल पूरे कर चुकी है। सलिमजावेद ने न सिर्फ इस फिल्म से एक पहचान बनाई, बल्कि भारतीय सिनेमा को वह कहानी दी जिसे बहुत लोग “अब तक की सबसे बेहतरीन कहानी” कहते हैं।

पचास साल के सफर में, शोले सिर्फ एक फिल्म नहीं रही, बल्कि एक अलग ही पहचान बना चुकी है। मशहूर लेखक जोड़ी सलिमजावेद द्वारा लिखी गई शोले आज भी हिंदी सिनेमा का अनमोल रत्न मानी जाती है। इस जोड़ी को हिंदी फिल्मों के इतिहास का सबसे बेहतरीन लेखक कहा जाता है, और शोले ने उनकी जगह और भी मजबूत कर दी।

सलिमजावेद ने दर्शकों को जय और वीरू जैसी सबसे पसंद की जाने वाली ऑन-स्क्रीन जोड़ी दी, जिन्हें अमिताभ बच्चन और धर्मेंद्र ने निभाया था। इन किरदारों के जरिए उन्होंने बॉलीवुड के असली हीरो की पहचान बनाई जैसे बहादुर, वफादार और दिल से नेक। हीरो के साथ-साथ, सलिमजावेद ने हिंदी सिनेमा के सबसे मशहूर विलेन गब्बर सिंह के किरदार को भी गढ़ा, जिसे अमजद खान ने अमर कर दिया। शायद ही कोई और फिल्म हो, जिसमें विलेन हीरो जितना मशहूर और पसंदीदा बना हो।

इसके अलावा, उन्होंने हीरोइनों को भी अपनी अलग पहचान देना नहीं भूला। बसंती और राधा, जिन्हें हेमा मालिनी और जया भादुरी ने निभाया, सिर्फ वीरू और जय की प्रेमिका नहीं थीं बल्कि वे अपने आप में भी यादगार किरदार बन गईं। अब, शोले का सबसे खास और अहम पहलू थे उसके डायलॉग्स।

चाहे हीरो हों, विलेन हो या फिर हीरोइन, हर किसी को ऐसे डायलॉग दिए गए, जो आज भी याद किए जाते हैं। जैसे गब्बर सिंह का – “कितने आदमी थे?”, “जो डर गया, समझो मर गया।” “अरे ओ सांभा, कितना इनाम रखे हैं सरकार हम पर?”, “ये हाथ हमको दे दे ठाकुर।” “तेरा क्या होगा कालिया?”, जय का – “तुम्हारा नाम क्या है बसंती?”, वीरू का – “बसंती, इन कुत्तों के सामने मत नाचना।” जय और वीरू का – “ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे।”

वीरू का – “ठाकुर, ये हाथ जब तक चलेंगे, तब तक दुश्मन के सांस चलेंगे।” और गब्बर सिंह का – “और सुन चम्मक छल्लो, जब तक तेरे पैर चलेंगे तब तक उसकी सांस चलेगी, पैर रुके तो बंदूक चलेगी।” ये सारे डायलॉग्स एक विरासत बन गए हैं और आज भी ताज़ा लगते हैं।

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