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ऑपरेशन सिंदूर के बाद बड़े डिफेंस एक्सपर्ट्स ने कहा- ड्रोन युद्ध अब विकल्प नहीं, टॉप प्राथमिकता है

पूर्व रक्षा सचिव जी मोहन कुमार ने कहा कि ड्रोन और स्वॉर्म ड्रोन सिस्टम अब वैकल्पिक नहीं रह गए हैं बल्कि वे अब एक अग्रणी आवश्यकता बन गए हैं। उन्होंने बताया कि भारत ने ड्रोन के निर्माण में प्रगति की है, लेकिन अभी भी अधिकांश रूप से मुख्य तकनीक का आयात किया जा रहा है। उन्होंने आगे कहा कि विदेश से पुर्जे लाकर ड्रोन बनाना हमेशा संभव है, लेकिन असली मुद्दा यह है कि हम कितनी तकनीक स्वदेशी रूप से विकसित कर रहे हैं

Edited By: Sunil Guptaअपडेटेड May 17, 2025 पर 9:59 AM
ऑपरेशन सिंदूर के बाद बड़े डिफेंस एक्सपर्ट्स ने कहा- ड्रोन युद्ध अब विकल्प नहीं, टॉप प्राथमिकता है
ऑपरेशन सिंदूर में भारत इलेक्ट्रॉनिक्स द्वारा विकसित सिस्टम और S-400 जैसे उन्नत हथियारों के इस्तेमाल ने मिशन की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई

ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) के बाद ड्रोन युद्ध और मानव रहित प्रणालियों (unmanned systems) पर भारत का फोकस बढ़ गया है। यह तीन दिवसीय सैन्य अभियान था, जिसने आधुनिक युद्ध तकनीक के इस्तेमाल में एक बड़ी छलांग लगाई। पूर्व रक्षा सचिव जी मोहन कुमार और एलएंडटी डिफेंस के कार्यकारी उपाध्यक्ष अरुण रामचंदानी का कहना है कि इस ऑपरेशन के अनुभव ने देश की भविष्य की रक्षा प्राथमिकताओं के लिए दिशा तय कर दी है। कुमार ने कहा, "ड्रोन और स्वॉर्म ड्रोन सिस्टम अब वैकल्पिक नहीं रह गए हैं, वे अब एक अग्रणी आवश्यकता बन गए हैं।" उन्होंने बताया कि भारत ने ड्रोन के निर्माण में प्रगति की है, लेकिन अभी भी अधिकांश रूप से मुख्य तकनीक का आयात किया जा रहा है। उन्होंने कहा, "विदेश से पुर्जे लाकर ड्रोन बनाना हमेशा संभव है, लेकिन असली मुद्दा यह है कि हम कितनी तकनीक स्वदेशी रूप से विकसित कर रहे हैं।"

छोटे से कंपोनेंट के लिए बाहरी सप्लायर पर निर्भर रहना ठीक नहीं

कुमार ने जोर देकर कहा कि विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भर रहना, चाहे वह एक छोटे से  कंपोनेंट के लिए ही क्यों न हो, लंबे समय में समस्याएं पैदा कर सकता है। उन्होंने कहा, "रणनीतिक स्वतंत्रता तभी आएगी जब भारत में महत्वपूर्ण तकनीकें विकसित की जाएंगी।"

भारत की शीर्ष निजी डिफेंस मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट्स में से एक का नेतृत्व करने वाले रामचंदानी ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर से मिले सबक इस बात की पुष्टि करते हैं कि युद्ध का भविष्य लो-एसेट, हाई टेक सिस्टम्स में निहित है। उन्होंने कहा, "नेट-सेंट्रिसिटी, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध, निगरानी और ड्रोन जैसे कम क्रॉस-सेक्शन के खतरों पर ध्यान देन अब मुख्य फोकस क्षेत्र हैं।"

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