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SC/ST एक्ट का दुरुपयोग...महिला का इस्तेमाल, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने वकील को सुनाई ये सजा

Allahabad High Court : कोर्ट ने कहा कि शिकायतकर्ता ने अपने ही पहले दिए गए बयानों से मुकर गया है और उसने उस एफआईआर दर्ज कराने से भी इनकार किया है, जिस पर पूरा मामला आधारित था। न्यायालय ने पाया कि शिकायतकर्ता के बयानों में काफी विरोधाभास है, इसलिए आरोपियों की अपील मान्य नहीं की जा सकती

MoneyControl Newsअपडेटेड Nov 07, 2025 पर 5:01 PM
SC/ST एक्ट का दुरुपयोग...महिला का इस्तेमाल, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने वकील को सुनाई ये सजा
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एससी/एसटी एक्ट का पीड़िता द्वारा दुरुपयोग कर सरकारी मुआवजा लेने पर सख्त रुख अपनाया है।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एससी/एसटी एक्ट का पीड़िता द्वारा दुरुपयोग कर सरकारी मुआवजा लेने पर सख्त रुख अपनाया है। अदालत ने एससी/एसटी एक्ट के दुरुपयोग पर एक वकील को कड़ी सजा सुनाई है।अदालत ने वकील पर जुर्माना भी लगाया है। इस वकील ने इस कानून का दुरुपयोग कर महिला के माध्यम से दुराचार और अन्य आरोपों के फर्जी मुकदमे दर्ज करवाए थे। कोर्ट ने शिकायतकर्ता और उसकी दो बहुओं को राज्य सरकार से प्राप्त 4,50000 की मुआवजा राशि वापस करने का निर्देश दिया।

कोर्ट ने कहा कि शिकायतकर्ता ने अपने ही पहले दिए गए बयानों से मुकर गया है और उसने उस एफआईआर दर्ज कराने से भी इनकार किया है, जिस पर पूरा मामला आधारित था। न्यायालय ने पाया कि शिकायतकर्ता के बयानों में काफी विरोधाभास है, इसलिए आरोपियों की अपील मान्य नहीं की जा सकती।

इलाहाबाद हाई कोर्ट का सख्त रुख 

न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने रामेश्वर सिंह उर्फ रामेश्वर प्रताप सिंह और 18 अन्य की आपराधिक अपील पर फैसला सुनाते हुए कहा कि इस मामले में एससी/एसटी अधिनियम के लाभकारी प्रावधानों का गंभीर दुरुपयोग हुआ है। उन्होंने यह भी कहा कि इसमें कानूनी प्रक्रिया का भी गलत इस्तेमाल किया गया है। यह आदेश 6 नवंबर 2025 को पारित किया गया था। यह अपील एससी/एसटी अधिनियम की धारा 14-ए(1) के तहत दायर की गई थी। इसमें प्रयागराज के विशेष न्यायाधीश (एससी/एसटी अधिनियम) द्वारा 1 जुलाई 2024 को दिए गए संज्ञान और समन आदेश को रद्द करने की मांग की गई थी।

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