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Old Vehicles In Delhi-NCR: दिल्ली में 10 और 15 साल पुरानी गाड़ी मालिकों को 'सुप्रीम' राहत, फिलहाल नहीं होगी कार्रवाई

Old Vehicles In Delhi-NCR: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली एवं राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में 10 साल पुराने डीजल वाहनों और 15 साल पुरानी पेट्रोल गाड़ियों के मालिकों को दंडात्मक कार्रवाई से मंगलवार (12 अगस्त) को संरक्षण प्रदान किया। दिल्ली सरकार ने 10 साल पुराने डीजल वाहनों और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों पर पूर्ण प्रतिबंध को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया है

Akhilesh Nath Tripathiअपडेटेड Aug 12, 2025 पर 5:22 PM
Old Vehicles In Delhi-NCR: दिल्ली में 10 और 15 साल पुरानी गाड़ी मालिकों को 'सुप्रीम' राहत, फिलहाल नहीं होगी कार्रवाई
Old Vehicles In Delhi-NCR: दिल्ली में चल रहीं 10 साल पुरानी डीजल और 15 साल पुरानी पेट्रोल गाड़ियों के खिलाफ फिलहाल कोई कार्रवाई नहीं होगी

Old Vehicles In Delhi-NCR: पुरानी गाड़ी मालिकों के लिए एक बहुत ही राहत भरी खबर सामने आई है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में चल रहीं 10 साल पुरानी डीजल और 15 साल पुरानी पेट्रोल गाड़ियों के खिलाफ फिलहाल कोई कार्रवाई नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (12 अगस्त) को बड़ा आदेश देते हुए कहा कि दिल्ली-NCR में 10 साल पुराने डीजल वाहनों और 15 साल पुरानी पेट्रोल गाड़ियों के मालिकों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं होगी। शीर्ष अदालत ने इस मामले में केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है।

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार की उस याचिका पर केंद्र सरकार को कोई कार्रवाई ना करने को कहा है जिसमें 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों पर बैन लगाने के 2018 के आदेश पर पुनर्विचार की मांग की गई है। शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर चार हफ्तों में जवाब मांगा है।

मामले की सुनावाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली एवं राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में 10 साल पुराने डीजल वाहनों और 15 साल पुरानी पेट्रोल गाड़ियों के मालिकों को दंडात्मक कार्रवाई से मंगलवार (12 अगस्त) को संरक्षण प्रदान किया। दिल्ली सरकार ने 10 साल पुराने डीजल वाहनों और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों पर पूर्ण प्रतिबंध को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया है।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) बीआर गवई, जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस एन वी अंजारिया की पीठ ने यह आदेश तब पारित किया जब दिल्ली सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया कि वह कोई दंडात्मक कदम न उठाने का आदेश देने पर विचार करे।

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