India-US Relations: भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ को लेकर चल रहे विवाद के बीच विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अहम बयान दिया है। एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि भारत अमेरिका के साथ कुछ मुद्दों को सुलझाने में जुटा है और इस दिशा में प्रगति हो रही है। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने रविवार को कहा कि भारत और अमेरिका के बीच चल रहे व्यापार से जुड़े मुद्दों को सुलझाने के लिए नई दिल्ली वाशिंगटन के साथ लगातार बातचीत कर रही है।
भारत और अमेरिका के रिश्ते पर कही ये बात
राजधानी दिल्ली में आयोजित कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन (केईसी 2025) में बोलते हुए जयशंकर ने कहा कि भारत और अमेरिका के रिश्ते अब पहले से कहीं ज़्यादा मजबूत और परिपक्व हो चुके हैं। उन्होंने यह भी माना कि दोनों देशों के बीच कुछ चुनौतियां अभी भी हैं, खासकर व्यापार और ऊर्जा सहयोग के क्षेत्र में, जिन पर मिलकर काम किया जा रहा है। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, डॉ. जयशंकर ने कहा, “अमेरिका के साथ फिलहाल हमारी कुछ चुनौतियाँ हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि हमारी व्यापारिक बातचीत अभी किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है। इसी वजह से अमेरिका ने हम पर कुछ शुल्क लगाए हैं, जिन्हें हमने साफ तौर पर अनुचित बताया है।”
टैरिफ पर रखा भारत का रुख
उन्होंने यह भी कहा कि रूस से भारत के ऊर्जा आयात को लेकर अमेरिका को थोड़ी असहजता है, लेकिन भारत अपने हितों के अनुसार फैसले लेता है। जयशंकर ने दोहराया कि भारत पर लगाए गए ये टैरिफ अनुचित हैं और इन पर समाधान निकालने के लिए बातचीत जारी है। जयशंकर ने आगे कहा, “रूस से ऊर्जा खरीदने को लेकर हम पर एक और शुल्क लगाया गया है, जबकि कई दूसरे देश — यहां तक कि वे भी जिनके रूस से रिश्ते अच्छे नहीं हैं — ऐसा कर रहे हैं। इन मुद्दों को सुलझाना ज़रूरी है, और हम इस पर लगातार काम कर रहे हैं।”
उन्होंने कहा कि अमेरिका के साथ एक मजबूत व्यापारिक समझौता होना बहुत ज़रूरी है, क्योंकि अमेरिका दुनिया का सबसे बड़ा बाज़ार है और कई देश पहले ही उसके साथ ऐसे समझौते कर चुके हैं। जयशंकर ने वैश्विक ऊर्जा परिदृश्य में आ रहे बदलावों पर भी बात की। उन्होंने बताया कि अब अमेरिका एक बड़ा ऊर्जा निर्यातक देश बन चुका है, जबकि नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में चीन का दबदबा लगातार बढ़ रहा है।विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, “पिछले कुछ सालों में सबसे बड़ा बदलाव यह हुआ है कि अमेरिका, जो पहले ऊर्जा के लिए दूसरे देशों पर निर्भर था, अब पूरी तरह आत्मनिर्भर हो गया है। इतना ही नहीं, वह अब दुनिया के बड़े ऊर्जा निर्यातकों में से एक बन गया है और इसे अपनी रणनीति का अहम हिस्सा बना लिया है।”
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