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Delhi’s Cloud Seeding: फेल रहा दिल्ली में क्लाउड-सीडिंग का प्रयोग, एक बूंद नहीं हुई बारिश, विशेषज्ञों ने सरकार को टिकाऊ उपाय अपनाने की दी सलाह

Delhi Cloud Deeding Fail: IIT दिल्ली के सेंटर फॉर एटमॉस्फेरिक साइंसेज के असिस्टेंट प्रोफेसर शहजाद गनी ने कहा कि यह तकनीक तभी काम कर सकती है जब बारिश वाले बादल पहले से मौजूद हों, और प्रदूषण जब अपने चरम पर होता है, तब ये स्थितियां अत्यंत दुर्लभ होती हैं

Curated By: Abhishek Guptaअपडेटेड Oct 29, 2025 पर 10:46 AM
Delhi’s Cloud Seeding: फेल रहा दिल्ली में क्लाउड-सीडिंग का प्रयोग, एक बूंद नहीं हुई बारिश, विशेषज्ञों ने सरकार को टिकाऊ उपाय अपनाने की दी सलाह
विशेषज्ञों का कहना है कि क्लाउड-सीडिंग एक महंगा और बड़े पैमाने पर अप्रभावी प्रयोग है जो प्रदूषण के असली स्रोतों से ध्यान भटकाता है

Delhi’s Cloud Seeding: दिल्ली में कृत्रिम बारिश लाने के लिए अब तक तीन बार क्लाउड-सीडिंग के प्रयास किए गए हैं, जिसमें से हालिया दो प्रयासों के बाद भी बारिश की एक बूंद तक नहीं गिरी है। इस विफलता के बाद विशेषज्ञों ने मंगलवार को दिल्ली सरकार को सलाह दी है कि वह हर साल ठंडी की शुरुआत में होने वाले प्रदूषण से राहत पाने के लिए 'फौरी समाधानों' पर निर्भर रहने के बजाय, पर्यावरण प्रदूषण के लिए जिम्मेदार करको को कम करने पर फोकस करने की जरूरत है।

'कॉस्मेटिक' उपाय नहीं, ठोस कार्रवाई जरूरी: विशेषज्ञों की राय

विशेषज्ञों का कहना है कि क्लाउड-सीडिंग एक महंगा और बड़े पैमाने पर अप्रभावी प्रयोग है जो प्रदूषण के असली स्रोतों से ध्यान भटकाता है। थिंक-टैंक 'एनवायरोकैटालिस्ट्स' के प्रमुख विश्लेषक सुनील दहिया ने कहा कि वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए परिवहन, बिजली और निर्माण जैसे क्षेत्रों से होने वाले उत्सर्जन को नियंत्रित करना अनिवार्य है। उन्होंने कहा, 'स्मॉग टावर, एंटी-स्मॉग गन या क्लाउड-सीडिंग जैसे 'कॉस्मेटिक उपाय' अल्पकालिक लाभ दे सकते हैं, लेकिन वे टिकाऊ समाधान नहीं हैं।'

क्यों काम नहीं कर रहा क्लाउड-सीडिंग?

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