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Ethanol blending: क्या पेट्रोल में एथेनॉल मिलाने से गाड़ी को हो रहा नुकसान? आखिर क्यों परेशान हैं ऑटो मेकर और गाड़ी मालिक

Ethanol blending: सरकार पेट्रोल में 20% एथेनॉल मिश्रण (E20) को बढ़ावा दे रही है। लेकिन, ऑटो कंपनियां, गाड़ी मालिक और एक्सपर्ट इसे लेकर चिंता जता रहे हैं। जानिए क्या है उनकी चिंता की वजह।

अपडेटेड Aug 03, 2025 पर 7:31 PM
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उपभोक्ता को यह तक नहीं बताया जा रहा कि पेट्रोल पंप पर उसे E10 मिल रहा है या E20।

Ethanol blending: सरकार पर्यावरण के अनुकूल ईंधन को बढ़ावा देने के लिए पेट्रोल में एथेनॉल मिलाने की दिशा में तेजी से कदम उठा रही है। पहले E10 (10% एथेनॉल) को लागू किया गया और अब सरकार E20 (20% एथेनॉल) की ओर बढ़ रही है। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने 24 जुलाई को कहा था कि एथेनॉल मिश्रण न सिर्फ पर्यावरण के लिए बेहतर है बल्कि देश की ऊर्जा सुरक्षा को भी मजबूत करता है। हालांकि इस नीति को लेकर वाहन निर्माता और उपभोक्ता दोनों के बीच गंभीर आशंकाएं बनी हुई हैं।

पुरानी गाड़ियों के लिए खतरे की घंटी

अधिकतर व्हीकल मैन्युफैक्चरर्स स्पष्ट कह चुके हैं कि उनके पुराने मॉडल्स को E10 फ्यूल के लिए कैलिब्रेट किया गया था। ऐसे में अगर इनमें E20 का इस्तेमाल होता है, तो इंजन और अन्य फ्यूल सिस्टम को नुकसान पहुंच सकता है। सबसे ज्यादा ध्यान रखने वाली बात है कि यह नुकसान कंपनी की वारंटी में कवर नहीं होता।


फिलहाल, कुछ नए मॉडल्स को जरूर E20 के अनुकूल बनाया गया है। इनमें इथेनॉल-प्रतिरोधी कंपोनेंट्स, हार्डन सील्स और उन्नत इंजन कंट्रोल यूनिट (ECU) लगाए गए हैं। लेकिन, देश में चल रही ज्यादातर गाड़ियां अभी भी E10 आधारित हैं और वे E20 को झेल पाने में सक्षम नहीं हैं।

ग्राहकों को कहां हो रही दिक्कत?

जमीनी हकीकत भी वाहन निर्माताओं की चिंता को ही दिखाती है। देशभर में कई गाड़ी मालिकों ने E20 पेट्रोल के इस्तेमाल के बाद गाड़ी की परफॉर्मेंस में गिरावट की शिकायत की है। इसमें माइलेज कम होना, इंजन नॉकिंग, गाड़ी का झटके से चलना, धीमा पिकअप और एसी चलने पर जवाबदेही घट जाना जैसे मुद्दे प्रमुख हैं।

एक बड़ी समस्या फ्यूल लेबलिंग की भी है। उपभोक्ता को यह तक नहीं बताया जा रहा कि पेट्रोल पंप पर उसे E10 मिल रहा है या E20। ऐसे में कई बार लोग अनजाने में ही E20 भरवा लेते हैं, जो उनकी गाड़ी के लिए नुकसानदेह हो सकता है।

एक्सपर्ट का क्या कहना है?

कुछ एक्सपर्ट ने स्पष्ट तौर पर चेताया है कि जब तक गाड़ी तकनीकी रूप से तैयार न हों, तब तक E20 का इस्तेमाल बड़ा जोखिम साबित हो सकता है। E20 को सही ढंग से अपनाने के लिए फ्यूल सिस्टम में एंटी-करोसिव कोटिंग, गैसकेट्स व सील्स की गुणवत्ता में सुधार और इंजन रीमैपिंग जैसी तकनीकी अपग्रेड की जरूरत होती है।

अगर सरकार जल्दबाजी में इस फ्यूल को देशभर में अनिवार्य बना देती है, तो पुरानी गाड़ियों के इंजन जल्दी खराब हो सकते हैं। इससे न सिर्फ आर्थिक नुकसान होगा, बल्कि सड़क सुरक्षा भी प्रभावित हो सकती है।

माइलेज में 4% तक की गिरावट

E20 का सबसे बड़ा तकनीकी नुकसान इसकी ऊर्जा घनता (energy density) कम होना है। रिपोर्ट्स के अनुसार, एथेनॉल पेट्रोल के मुकाबले 33% कम ऊर्जा देता है। नतीजा, E20 इस्तेमाल करने से गाड़ियों की माइलेज में औसतन 4% तक की गिरावट देखी गई है, और यह असर पुरानी गाड़ियों में अधिक स्पष्ट होता है।

फ्यूल सिस्टम जंग लगने का खतरा

एथेनॉल में hygroscopic गुण होता है यानी यह वातावरण से पानी खींच लेता है। इससे फ्यूल टैंक और पाइपलाइन जैसे मेटल कंपोनेंट्स में जंग लगने का खतरा रहता है। इसके अलावा, प्लास्टिक और रबर के पार्ट्स भी जल्दी खराब हो सकते हैं, जिससे फ्यूल लीक, गंदे इंजेक्टर और गैसकेट डैमेज जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

उपभोक्ताओं का क्या कहना है?

साउथ फर्स्ट की एक रिपोर्ट में कई यूजर्स के हवाले से E20 के इस्तेमाल को लेकर अपनी चिंताएं जाहिर की गई हैं। चेन्नई की पब्लिक रिलेशन प्रोफेशनल Akanksha Bokdia ने बताया कि उनकी 2022 मारुति ब्रेजा का माइलेज 17-18 किमी/लीटर से गिरकर 14 किमी/लीटर पर आ गया है। साथ ही, गाड़ी की पिकअप में भी गिरावट आई है।

वहीं, त्रिवेंद्रम के Subramaniam का कहना है कि उन्होंने हाल में E20 भरवाना शुरू किया है, क्योंकि यह पेट्रोल पंपों पर आम होता जा रहा है। लेकिन Subramaniam का दावा है कि उनकी पुरानी सेडान अब पहले से 2-3 किमी/लीटर कम माइलेज दे रही है। ओवरटेकिंग के समय पिकअप में कमी भी महसूस हो रही है, खासकर जब AC चल रहा हो।

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