130th Constitution Amendment Bill: 130वें संविधान संशोधन विधेयक पर विचार के लिए संयुक्त संसदीय समिति (JPC) गठित कर दी गई है। कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस जैसे कई विपक्षी दलों ने संविधान संशोधन विधेयक की जांच के लिए संसद की संयुक्त समिति का हिस्सा नहीं बनने का फैसला किया है। सूत्रों ने बताया कि समिति में कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (SP), तृणमूल कांग्रेस (TMC) और तमिलनाडु में सत्ताधारी डीएमके के सदस्य शामिल नहीं है। हालांकि, शरद पवार और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी शामिल हुई है।
31 सदस्यीय समिति में 21 बीजेपी और 10 AGP, AIADMK, TDP, UPPL, BJD, TDP, YSRCP, SAD, NCP और AIMIM के सदस्य शामिल हैं। भारतीय जनता पार्टी की सांसद अपराजिता सारंगी कमेटी की अध्यक्ष होंगी। इस विधेयक का उद्देश्य गंभीर आरोपों में लगातार 30 दिनों तक गिरफ्तार रहे प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को हटाना है।
लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने सोमवार को कहा कि वह 130वें संविधान संशोधन विधेयक पर विचार के लिए गठित होने वाली जेपीसी में सभी दलों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहे हैं।बिरला ने कहा कि संसदीय समितियों को राजनीति के चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए, क्योंकि ये समितियां राजनीतिक सीमाओं से ऊपर उठकर मुद्दों पर चर्चा करती हैं।
उन्होंने कहा, "हम यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहे हैं कि समिति में सभी राजनीतिक दलों का प्रतिनिधित्व हो।" यह संविधान संशोधन विधेयक और दो अन्य प्रस्तावित विधेयक 20 अगस्त को संसद के मानसून सत्र के आखिरी दिन पेश किए गए थे।
लोकसभा द्वारा तीनों विधेयकों को संसद की एक संयुक्त समिति को भेजने का प्रस्ताव पारित किया गया था। अन्य विपक्षी दलों से अलग हटकर पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एस़पी) ने 31 सदस्यीय समिति का हिस्सा बनने का फैसला किया है। वाईएसआर कांग्रेस पार्टी भी इसमें शामिल हुई है।
बिरला ने कहा, "ये समितियां मिनी संसद की तरह हैं, क्योंकि सदस्य राजनीतिक सीमाओं से ऊपर उठकर मुद्दों पर चर्चा करते हैं। इन्हें राजनीति के चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए। हम सभी राजनीतिक दलों की भागीदारी सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं।"
विपक्षी नेताओं का तर्क है कि यह विधेयक कानून के उस मूलभूत सिद्धांत का उल्लंघन है जिसके अनुसार दोषी साबित होने तक व्यक्ति निर्दोष होता है। इस विधेयक के मुताबिक, गंभीर आपराधिक मामलों में गिरफ्तारी के एक महीने के भीतर जमानत न मिलने पर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों की अपने आप बर्खास्तगी हो जाएगी।