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एक इनपुट, 34 घंटे से नजर और स्पेशल कमांडो...नक्सली कमांडर हिडमा के एनकाउंटर की इनसाइड स्टोरी

स्थानीय लोगों से मिली अहम जानकारी ने खुफिया एजेंसियों को हिडमा की गतिविधियों के बारे में बिल्कुल सटीक इनपुट दिया। करीब 34 घंटे तक उसकी हर हरकत पर लगातार नजर रखने के बाद सुरक्षा बलों ने इस मिशन के लिए एक छोटी और चुनी हुई टीम तैयार की

MoneyControl Newsअपडेटेड Nov 18, 2025 पर 7:19 PM
एक इनपुट, 34 घंटे से नजर और स्पेशल कमांडो...नक्सली कमांडर हिडमा के एनकाउंटर की इनसाइड स्टोरी
Madvi Hidma: जानें कैसे मारा गया टॉप नक्सली कमांडर हिडमा

मंगलवार यानी 18 नवंबर की सुबह छत्तीसगढ़-आंध्र प्रदेश बॉर्डर से एक ऐसी खबर सामने आई, जो देश भर की मीडिया में ब्रेकिंग न्यूज की तरह चलने लगी। ये खबर थी कि देश के सबसे खतरनाक नक्सल कमांडरों में शामिल माडवी हिडमा को सुरक्षा बलों ने मार गिराया है। माडवी हिडमा को छत्तीसगढ़-आंध्र प्रदेश बॉर्डर पर मरेडमिल्ली जंगल में मंगलवार सुबह हुए एनकाउंटर में मारा गया है। हिडमा पर 50 लाख से 1 करोड़ रुपये तक का इनाम था और वह पिछले दस साल में पुलिस और अर्धसैनिक बलों पर हुए कम से कम 26 बड़े हमलों का मुख्य साजिशकर्ता माना जाता था।

34 घंटे से सुरक्षा बलों ने रखा था नजर 

सुरक्षा अधिकारियों के मुताबिक, उसने बस्तर से लेकर सुकमा, दंतेवाड़ा और मलकानगिरी तक फैले माओवादी इलाकों में कई बेहद हिंसक घात लगाकर हमलों की योजना बनाई थी। इस कार्रवाई में हिडमा अपनी पत्नी समेत पांच अन्य साथियों के साथ मारा गया। सूत्रों ने न्यूज18 को बताया कि, स्थानीय लोगों से मिली अहम जानकारी ने खुफिया एजेंसियों को हिडमा की गतिविधियों के बारे में बिल्कुल सटीक इनपुट दिया। करीब 34 घंटे तक उसकी हर हरकत पर लगातार नजर रखने के बाद सुरक्षा बलों ने इस मिशन के लिए एक छोटी और चुनी हुई टीम तैयार की। किसी भी तरह की भागने की कोशिश रोकने के लिए केंद्रीय बलों के कई जवानों को संदिग्ध मुठभेड़ वाले इलाके के चारों ओर रणनीतिक तौर पर तैनात किया गया, ताकि हिडमा पूरी तरह घेरे में रहे और ऑपरेशन नियंत्रित दायरे में ही पूरा हो सके।

चार घंटे चलती रही मुठभेड़

सूत्रों के मुताबिक, दोपहर करीब 2 बजे सुरक्षा बलों ने ऑपरेशन की शुरुआत की। इसके बाद लगभग चार घंटे तक मुठभेड़ चलती रही, जिसमें हिडमा ढेर हो गया। इस कार्रवाई में केंद्रीय सुरक्षा बल भी शामिल थे, जबकि पूरी योजना बनाकर उसे अंजाम देने की जिम्मेदारी ग्रेहाउंड टीम ने संभाली। कई सालों से सुरक्षा बल और खुफिया एजेंसिया हिडमा की हरकतों और उसके ठिकानों का पता लगाने की कोशिश कर रही थीं, लेकिन इलाके के कठिन जंगल, कम मिल रही जानकारी और उसके मजबूत स्थानीय नेटवर्क के कारण उसे पकड़ना बेहद चुनौतीपूर्ण रहा। बड़े-बड़े ऑपरेशन चलने के बावजूद वह हर बार सुरक्षा घेरे से निकल भागता था। उसकी यह सफलता उसके कड़े अनुशासन, चालाकी और जंगल के भूगोल की गहरी समझ के कारण मानी जाती है।

घने जंगल बने थे ढाल

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