इस साल मई की शुरुआत में पाकिस्तान को इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) की ओर से कर्ज दिए जाने के समय भारत ने कड़ी आपत्ति जताई थी। भारत ने कहा था कि देश का रिकॉर्ड खराब है और वह क्रॉस बॉर्डर टेररिज्म के लिए फंड का गलत इस्तेमाल करता है। भारत ने आतंकवाद संबंधी चिंताओं का हवाला देते हुए पाकिस्तान के लोन प्रोग्राम्स पर IMF के मतदान से परहेज किया था। लेकिन भारत के पुरजोर विरोध के बावजूद IMF के कार्यकारी बोर्ड ने पाकिस्तान के साथ अपने 7 अरब डॉलर के प्रोग्राम के पहले रिव्यू को मंजूरी दे दी। इससे पाकिस्तान के लिए IMF की ओर से 1 अरब डॉलर का फंड क्लियर हो गया।
वरिष्ठ सरकारी सूत्रों ने स्पष्ट किया है कि हालांकि भारत सैद्धांतिक रूप से पाकिस्तान को विकास के लिए IMF से मिल रहे फंड का विरोध नहीं कर रहा है, लेकिन वर्तमान भू-राजनीतिक माहौल के कारण कर्ज देने के लिए यह सही समय नहीं था। एक वरिष्ठ सूत्र ने कहा, "हम पाकिस्तान को IMF डेवलपमेंट फंड मिलने के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन सीमा पर मौजूद स्थिति के कारण यह सही समय नहीं था।"
वित्त मंत्री ने IMF की MD के साथ साझा की थी यह चिंता
अधिकारी ने बताया कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में मिलान की अपनी यात्रा से पहले IMF की मैनेजिंग डायरेक्टर क्रिस्टालिना जॉर्जीवा को औपचारिक रूप से यह चिंता बता दी थी। यात्रा के दौरान सीतारमण ने जर्मनी, इटली और फ्रांस के अपने समकक्षों के साथ द्विपक्षीय चर्चा की थी। साथ ही पाकिस्तान के लिए निर्धारित IMF ऋण पैकेज पर भारत की आपत्तियों को दोहराया था। इसके बाद भारत ने IMF कार्यकारी बोर्ड की बैठक के दौरान इस मामले पर मतदान से परहेज किया।
जब-जब IMF ने दिया कर्ज, उसी साल पाकिस्तान ने बढ़ाई हथियारों की खरीद
भारत ने IMF के खुद के ऐतिहासिक आंकड़ों की ओर भी इशारा किया था। सूत्र ने कहा, "IMF को बताया गया कि उसके अपने आंकड़े भी दर्शाते हैं कि जब भी IMF ने पाकिस्तान को कर्ज दिया है, उसी साल पाकिस्तान की ओर हथियारों की खरीद बढ़ी है।"