वर्दीधारी सिपाहियों ने 31 जुलाई, 1969 को पश्चिम बंगाल विधान सभा कक्ष में घुस कर जिस तरह का तांडव मचाया, वैसा न तो पहले कभी हुआ था और न ही बाद में। अपने एक सहकर्मी की निर्मम हत्या के बाद आम सिपाही गुस्से में आपे से बाहर हो गए थे। 29 जुलाई, 1969 को 24 परगना जिले के एक थाने में घुस कर राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने एक सिपाही को मार डाला था। उन दिनों पश्चिम बंगाल में राजनीतिक कारणों से व्यापक हिंसा-प्रतिहिंसा का दौर जारी था।