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56 साल पहले सहकर्मी की हत्या से गुस्साए सिपाहियों ने पश्चिम बंगाल विधानसभा में घुसकर मचाया था तांडव

4 सितंबर 2025 को पश्चिम बंगाल विधान सभा में मारपीट की जो घटना हुई, वो 1969 में हुई हिंसा के सामने कुछ भी नहीं थी। हाल में भी पश्चिम बंगाल विधान सभा में अप्रिय दृश्य देखने को मिले। पर यह सब तो अब लगता है कि इस देश के संसदीय जनतंत्र में रूटीन सा हो गया है। 1969 में पश्चिम बंगाल में अजय मुखर्जी के नेतृत्व में मिली जुली गैर-कांग्रेसी सरकार थी

Surendra Kishoreअपडेटेड Sep 08, 2025 पर 7:53 PM
56 साल पहले सहकर्मी की हत्या से गुस्साए सिपाहियों ने पश्चिम बंगाल विधानसभा में घुसकर मचाया था तांडव
56 साल पहले सहकर्मी की हत्या से गुस्साए सिपाहियों ने पश्चिम बंगाल विधानसभा में घुसकर मचाया था तांडव (FILE PHOTO)

वर्दीधारी सिपाहियों ने 31 जुलाई, 1969 को पश्चिम बंगाल विधान सभा कक्ष में घुस कर जिस तरह का तांडव मचाया, वैसा न तो पहले कभी हुआ था और न ही बाद में। अपने एक सहकर्मी की निर्मम हत्या के बाद आम सिपाही गुस्से में आपे से बाहर हो गए थे। 29 जुलाई, 1969 को 24 परगना जिले के एक थाने में घुस कर राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने एक सिपाही को मार डाला था। उन दिनों पश्चिम बंगाल में राजनीतिक कारणों से व्यापक हिंसा-प्रतिहिंसा का दौर जारी था।

जब सड़क पर हिंसा व्याप्त हो तो विधायिका उससे अछूती कैसे रहती?

4 सितंबर 2025 को पश्चिम बंगाल विधान सभा में मारपीट की जो घटना हुई, वो 1969 में हुई हिंसा के सामने कुछ भी नहीं थी। हाल में भी पश्चिम बंगाल विधान सभा में अप्रिय दृश्य देखने को मिले। पर यह सब तो अब लगता है कि इस देश के संसदीय जनतंत्र में रूटीन सा हो गया है। 1969 में पश्चिम बंगाल में अजय मुखर्जी के नेतृत्व में मिली जुली गैर-कांग्रेसी सरकार थी।

ज्योति बसु उप मुख्यमंत्री थे। गृह विभाग उप मुख्यमंत्री के पास ही था। सरकार के मंत्री विश्वनाथ मुखर्जी और कई विधायक उस दिन सदन के भीतर उन पुलिसकर्मियों के गुस्से के शिकार हुए।

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