यह अभ्यास अकेला नहीं है। इससे पहले भी ‘भाला प्रहार’ (2023) और ‘पूर्वी प्रहार’ (2024) जैसे संयुक्त सैन्य अभ्यास किए जा चुके हैं। इन सभी अभ्यासों का उद्देश्य सेना, नौसेना और वायुसेना को एक साथ मिलाकर एक मजबूत और एकीकृत कमांड सिस्टम की दिशा में आगे बढ़ना है। यह अभ्यास कई स्तरों पर काम करने का अभ्यास है — ज़मीन, हवा और समुद्र को साथ जोड़ कर ऑपरेशन करना (मल्टी-डोमेन इंटीग्रेशन), और टेक-आधारित युद्ध प्रणालियों का इस्तेमाल, जैसे ड्रोन, AI से चलने वाली निगरानी और सैटेलाइट-सहायता वाली कम्युनिकेशन तकनीकें। साथ ही कठिन और ऊबड़-खाबड़ इलाकों में जल्दी तैनाती के लिए नई रणनीतियाँ, तकनीकें और काम करने के तरीके (TTPs) आजमाए और सुधारे जा रहे हैं। रक्षा विश्लेषक इसे ‘त्रिशूल’ अभ्यास का पूर्वी समकक्ष मानते हैं और कहते हैं कि इससे साफ़ संकेत मिलता है कि भारत दोनों सीमाओं पर एक साथ होने वाली चुनौतियों के लिए तैयारी कर रहा है।