तमिलनाडु के तीन बार के मुख्यमंत्री OPS ने BJP से तोड़ा नाता! अपने समर्थकों को लेकर NDA से हुए बाहर, अब आगे क्या रास्ता?
यह सब तब हुआ, जब चुनाव से पहले AIADMK प्रमुख एडप्पादी के. पलानीस्वामी ने एक फिर BJP के साथ हाथ मिला लिया। OPS के वफादार पनरुति रामचंद्रन ने अलगाव की पुष्टि की, जब उनसे इसके कारण के बारे में पूछा गया तो अपने बॉस के साथ खड़े रामचंद्रन ने मीडिया से कहा, कारण सब को मालूम है
तमिलनाडु के तीन बार के मुख्यमंत्री OPS ने BJP से तोड़ा नाता! अब आगे क्या रास्ता?
भारतीय जनता पार्टी की तमिलनाडु चुनाव योजनाओं को उस समय तगड़ा झटका लगा, जब निष्कासित अन्नाद्रमुक नेता और पूर्व मुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेल्वम ने अपने वफादारों को लेकर NDA गठबंधन से बाहर हो गए। पन्नीरसेल्वम प्रभावशाली थेवर समुदाय से हैं। OPS कथित तौर पर इस बात से नाराज थे कि उन्हें इस हफ्ते की शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा के दौरान उनसे मिलने का मौका नहीं दिया गया। गृह मंत्री अमित शाह के दौरे के समय भी उन्हें गेस्ट लिस्ट से बाहर रखा गया था।
यह सब तब हुआ, जब चुनाव से पहले AIADMK प्रमुख एडप्पादी के. पलानीस्वामी ने एक फिर BJP के साथ हाथ मिला लिया। OPS के वफादार पनरुति रामचंद्रन ने अलगाव की पुष्टि की, जब उनसे इसके कारण के बारे में पूछा गया तो अपने बॉस के साथ खड़े रामचंद्रन ने मीडिया से कहा, "कारण सब को मालूम है।"
रामचंद्रन ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री की भविष्य की योजनाओं की घोषणा जल्द ही की जाएगी। उन्होंने कहा, "लोगों को सही दिशा में ले जाने के लिए भविष्य में एक सही गठबंधन साकार होगा।"
उन्होंने यह भी कहा कि फिलहाल OPS 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले राज्य का दौरा करेंगे।
OPS के पास कुछ ही रास्ते
ऐसी अटकलें हैं कि वह सत्तारूढ़ DMK के साथ गठबंधन कर सकते हैं।
आज सुबह OPS की DMK प्रमुख और मुख्यमंत्री एमके स्टालिन से मुलाकात के बाद काफी चर्चा हुई, लेकिन इस मुलाकात को सुबह की बैठक के दौरान एक संयोग से हुई मुलाकात बताया गया।
हालांकि, कुछ घंटों बाद OPS ने स्टालिन से उनके घर पर मुलाकात की। इस दौरान स्टालिन के बेटे और उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन भी मौजूद थे। DMK की तरफ से जारी किए गए एक वीडियो में दोनों के बीच बातचीत होते देखी जा सकती है।
NDTV ने सूत्रों के हवाले से बताया कि OPS ने मुख्यमंत्री के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली थी। स्टालिन को "हार्ट बीट में बदलाव" के लिए इलाज से गुजरने के बाद इस हफ्ते की शुरुआत में शहर के एक अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी।
लेकिन DMK के साथ गठबंधन मुश्किल हो सकता है, क्योंकि OPS को AIADMK की दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता का 'असली उत्तराधिकारी' माना जाता है, जिन्होंने पद छोड़ने के बाद उन्हें अपनी विरासत सौंपी थी। ऐसे में अपने कट्टर प्रतिद्वंद्वियों से हाथ मिलाने से उनके समर्थक नाराज हो जाएंगे।
वह अगले साल अकेले चुनाव लड़ सकते हैं। लेकिन हाल ही में हुए चुनाव भी उन्होंने अकेले लड़े, जिनके नतीजे बेहद निराशाजनक रहे हैं। फिर भी, अकेले चुनाव लड़कर वह थेवर समुदाय के वोटों को विभाजित कर देंगे और AIADMK की संभावनाओं को नुकसान पहुंचाएंगे।
वह लगभग निश्चित रूप से सरकार बनाने के लिए पर्याप्त सीटें नहीं जीत पाएंगे, लेकिन थेवर मतदाताओं के समर्थन से वह 'किंगमेकर' बनने और अपना राजनीतिक भविष्य सुरक्षित करने के लिए काफी सीटें जीत सकते हैं।
या फिर वह भारतीय जनता पार्टी से समझौता करके NDA में वापस आ सकते हैं। BJP और वह 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए सहयोगी थे। यह तब की बात है, जब अन्नाद्रमुक खुद राष्ट्रीय पार्टी से अलग हो गई थी।
हालांकि, उनकी वापसी अन्नाद्रमुक प्रमुख पलानीस्वामी की सहमति पर निर्भर करेगी, जिसकी संभावना काफी कम ही है।
'विजय' के लिए OPS और 'विजय' का साथ
अब राजनीतिक चर्चाओं में यह भी बात चल रही है कि OPS, अभिनेता से नेता बने विजय के नेतृत्व वाली नई पार्टी ‘तमिलागा वेत्तरी कझगम’ (TVK) में शामिल हो सकते हैं। विजय ने चुनाव में DMK और BJP की आलोचना की है, लेकिन AIADMK के खिलाफ नहीं बोले, जिससे यह संभावना बनती है कि TVK और AIADMK के बीच कोई गठबंधन हो सकता है। लेकिन इसके लिए भी पल्लानिस्वामी (EPS), जो AIADMK के नेतृत्व में हैं, की अनुमति जरूरी होगी।
अगर OPS अकेले ही TVK में चले जाते हैं, तो इसका असर थेवर समुदाय के वोटों पर पड़ सकता है, खासकर दक्षिण तमिलनाडु में। इससे बीजेपी और AIADMK के लिए चुनाव जीतना मुश्किल हो सकता है, क्योंकि वे पहले भी तमिल वोटरों की समझ में उलझन में रहे हैं।
बीजेपी चाहती है कि AIADMK पूरी तरह एकजुट रहे, जिसमें EPS और OPS दोनों का समर्थन हो, लेकिन ऐसा होना मुश्किल दिख रहा है।
कुल मिलाकर OPS अभी भी तमिलनाडु की राजनीति में एक बड़े खिलाड़ी हैं, जिनके कदम से राज्य की सियासी तस्वीर बदल सकती है। उनके समर्थन के बिना बीजेपी और उनके सहयोगी AIADMK के लिए चुनाव में विजय पाना आसान नहीं होगा।