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‘अगर तुष्टीकरण के लिए वंदे मातरम को छोटा नहीं किया जाता, तो भारत का बंटवारा ही नहीं होता’: अमित शाह

Vande Mataram Debate: गृह मंत्री अमित शाह ने राष्ट्रीय गीत 'वंदे मातरम' को देश भक्ति, त्याग और राष्ट्र चेतना का प्रतीक बताते हुए कहा जो लोग इस समय इसकी चर्चा करने के औचित्य और जरूरत पर सवाल उठा रहे हैं। उन्हें अपनी सोच पर नए सिरे से विचार करना चाहिए। शाह ने कांग्रेस और नेहरू पर तीखा हमला बोला

Akhilesh Nath Tripathiअपडेटेड Dec 09, 2025 पर 3:04 PM
‘अगर तुष्टीकरण के लिए वंदे मातरम को छोटा नहीं किया जाता, तो भारत का बंटवारा ही नहीं होता’: अमित शाह
Vande Mataram Debate: गृह मंत्री अमित शाह ने सांसदों से युवा पीढ़ी में ‘वंदे मातरम’ की भावना भरने का आग्रह किया

Vande Mataram Debate: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार (9 दिसंबर) को कहा कि देश में तुष्टीकरण की राजनीति उसी दिन शुरू हुई जब 'वंदे मातरम' का बंटवारा किया गया। उन्होंने तर्क दिया कि अगर तुष्टीकरण के नाम पर राष्ट्रगीत को नहीं बांटा जाता, तो देश का बंटवारा ही नहीं होता। 'वंदे मातरम' पर चर्चा के दौरान राज्यसभा में बोलते हुए शाह ने दावा किया कि यह क्षण एक वैचारिक बदलाव का प्रतीक था। इसने आखिरकार भारत के बंटवारे में योगदान दिया।

उन्होंने कहा कि जब 'वंदे मातरम' की स्वर्ण जयंती हुई, तब देश के पहले पीएम जवाहरलाल नेहरू ने राष्ट्रीय गीत के 2 टुकड़े करके उसको 2 अंत्रों तक सीमित करने का काम किया था। शाह ने कहा कि कांग्रेस के कई सदस्यों ने आज वंदे मातरम पर चर्चा करने की जरूरत पर सवाल उठाया था। लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा कि यह मुद्दा भारत की राष्ट्रीय पहचान के लिए बहुत जरूरी है।

कांग्रेस पर बोला तीखा हमला

इस दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, "मेरे जैसे कई लोगों का मानना है, अगर कांग्रेस, तुष्टिकरण की नीति के तहत वंदे मातरम का बंटवारा नहीं करती तो देश का बंटवारा नहीं होता, आज देश पूरा होता।अमित शाह ने आगे कहा, "मुद्दों पर चर्चा करने से कोई नहीं डरता है। हम संसद का बहिष्कार नहीं करते हैं...कोई भी मुद्दा हो हम चर्चा करने के लिए तैयार है लेकिन वंदे मातरम् गान की चर्चा को टालने की मानसिकता, यह नई नहीं है...जब वंदे मातरम के 50 साल पूरे हुए थे। तब भारत आजाद नहीं था। जब वंदे मातरम की स्वर्ण जयंती हुई, तब जवाहरलाल नेहरू ने वंदे मातरम के 2 टुकड़े करके उसको 2 अंत्रों तक सीमित करने का काम किया था"

अमित शाह ने राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम को देश भक्ति, त्याग और राष्ट्र चेतना का प्रतीक बताते हुए कहा जो लोग इस समय इसकी चर्चा करने के औचित्य और जरूरत पर सवाल उठा रहे हैं। उन्हें अपनी सोच पर नए सिरे से विचार करना चाहिए। शाह ने राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम के 150 वर्ष होने पर उच्च सदन में चर्चा में भाग लेते हुए उम्मीद जताई कि इस चर्चा के माध्यम से देश के बच्चे, युवा और आने वाली पीढ़ी यह बात समझ सकेगी कि वंदे मातरम का देश को स्वतंत्रता दिलाने में क्या योगदान रहा है।

उन्होंने कहा कि लोकसभा में इस विषय पर कुछ लोगों ने यह सवाल उठाया था कि आज वंदे मातरम पर चर्चा क्यों होनी चाहिए। शाह ने कहा कि वंदे मातरम के प्रति समर्पण की जरूरत, जब यह बना तब थी, आजादी के आंदोलन में थी। आज भी है और जब 2047 में महान भारत की रचना होगी, तब भी रहेगी। शाह ने कहा कि यह अमर कृति भारत माता के प्रति समर्पण, भक्ति और कर्तव्य के भाव जागृत करने वाली कृति है।

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