Vijay Karur Rally Stampede: तमिलनाडु के करूर जिले में एक्टर विजय की रैली में शनिवार शाम मची भगदड़ के मामले में अब मरने वालों की संख्या 39 तक पहुंची चुकी है। इन सब के बीच रविवार की सुबह घटनास्थल से जो ताजा तस्वीरें सामने आई हैं वो बेहद हैरान करने वाली है। पुलिस के अनुसार जिस समय से भगदड़ मची उस दौरान घटनास्थल पर बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे भी मौजूद थे। मरने वालों में कई महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। जानकारी के अनुसार विजय कार्यक्रम स्थल पर करीब 5 घंटे देरी से पहुंचे, जिससे इंतजार कर रही भीड़ भूख-प्यास और उमस से बेहाल हो गई थी। इस हादसे के पीछे असली वजह क्या थी – पांच घंटे की देरी या फिर गाड़ी की लाइट बंद होना, इसे लेकर अलग-अलग बातें सामने आ रही हैं।
न्यूज़18 ने तमिलनाडु सरकार के सूत्रों से जानकारी ली। सूत्रों के मुताबिक, टीवीके ने पहले ही घोषणा की थी कि विजय दोपहर 12:45 बजे रैली स्थल पर पहुंचेंगे। लेकिन उनकी एंट्री तय समय से पांच घंटे से भी ज्यादा देर बाद हुई। इसके बाद भी लोगों को उनके भाषण का इंतज़ार करना पड़ा। यही लंबा इंतज़ार और भारी भीड़ इस त्रासदी की सबसे बड़ी वजह मानी जा रही है। यानी समय पर कार्यक्रम न होने और इंतज़ार बढ़ने से भीड़ बेकाबू हो गई, जिसके चलते यह दर्दनाक हादसा हुआ।
बंद लाइट की वजह से भी बढ़ी भीड़
सूत्रों के मुताबिक, करूर में विजय की गाड़ी की लाइट बंद थी, जिसकी वजह से लोग उन्हें देख नहीं पाए। तिरुक्कम्बुलीउर जंक्शन पार करने के बाद, विजय करीब एक घंटे तक गाड़ी में ही बैठे रहे और लाइट बंद रखी, ताकि लोग उन्हें न देख सकें। सड़क किनारे इंतजEर कर रहे लोगों को पता ही नहीं चला कि विजय उनकी गाड़ी में हैं। कई लोगों ने सोचा कि वे सीधे कार्यक्रम स्थल पर पहुंच गए हैं। चूंकि ज़्यादातर लोग उन्हें देख नहीं पाए, इसलिए वे बड़ी संख्या में कार्यक्रम स्थल की ओर बढ़ने लगे। इसी वजह से भीड़ लगातार बढ़ती गई और आखिरकार स्थिति बेकाबू होकर भगदड़ में बदल गई।
तीन गुना ज्यादा पहुंची भीड़
शुरुआत में रैली के लिए जिस जगह (लाइटहाउस गोलचक्कर, उझावर संधाई मैदान) की मांग की गई थी, वह पहले से ही भीड़भाड़ वाला इलाका था। इसलिए पुलिस ने वहां कार्यक्रम करने की अनुमति नहीं दी। इसके बावजूद पार्टी के नेताओं ने अलग स्थल के लिए दबाव बनाया। बाद में वेलुसामीपुरम मैदान में रैली की अनुमति दी गई, लेकिन वहाँ भीड़ को सही तरह से नियंत्रित नहीं किया गया। आवेदन में यह लिखा गया था कि करीब 10,000 लोग शामिल होंगे, लेकिन हकीकत में वहां 25,000 से 30,000 लोग पहुंच गए। तय संख्या से ढाई गुना ज्यादा लोगों की मौजूदगी ने हालात को और बिगाड़ दिया।
सुरक्षा नियमों की अनदेखी
रैली में सुरक्षा संबंधी ज़रूरी इंतज़ाम पूरे नहीं किए गए थे। भीड़ को संभालने के लिए बैरिकेड्स और आपातकालीन निकास द्वार नहीं लगाए गए। भीड़ को सही तरीके से दिशा देने के लिए पर्याप्त स्वयंसेवक भी तैनात नहीं थे। इसके अलावा, बच्चों, बुज़ुर्गों और महिलाओं के लिए कोई अलग सुविधा नहीं बनाई गई थी। बुनियादी ज़रूरतें भी पूरी तरह नज़रअंदाज़ की गईं – पीने का पानी, प्राथमिक उपचार और चिकित्सा दल की व्यवस्था नहीं थी। लोग सुबह से ही तेज़ धूप में इंतज़ार कर रहे थे, जिससे कई लोगों की तबीयत बिगड़ गई। साथ ही, शहर में जगह-जगह बिना अनुमति के पार्टी के झंडे और बड़े-बड़े फ्लेक्स बैनर भी लगा दिए गए थे, जिससे भीड़ और अव्यवस्था और बढ़ गई।
ट्रैफिक और लोगों के लिए परेशानी
विजय की रैली के दौरान उनके प्रशंसकों ने उनकी गाड़ी के आगे-पीछे वाहनों का लंबा काफिला बना लिया। इसकी वजह से सड़कों पर भारी जाम लग गया और आम लोगों के लिए सार्वजनिक परिवहन भी बाधित हो गया। भीड़ में कुछ लोग विजय को देखने की जल्दी में पास के पेड़ों पर चढ़ गए। लेकिन जब पेड़ों की शाखाएं टूटकर नीचे गिरीं, तो अचानक भीड़ इधर-उधर भागने लगी और कई लोगों का दम घुटने लगा। सबसे बड़ी समस्या यह रही कि शाखाएं गिरने और स्थिति बिगड़ने के बाद भी सुरक्षा या भीड़ नियंत्रण के कोई ठोस इंतजाम नहीं किए गए।
हिंदी में शेयर बाजार, स्टॉक मार्केट न्यूज़, बिजनेस न्यूज़, पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App डाउनलोड करें।