कभी हमारे घरों की खिड़कियों, आंगनों और बगीचों में चहचहाने वाली गौरैया अब मुश्किल से ही नजर आती है। ये छोटी-सी चिड़िया न सिर्फ हमारे बचपन का हिस्सा थी, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। लेकिन तेजी से बढ़ते शहरीकरण, पेड़ों की अंधाधुंध कटाई, मोबाइल टावरों से निकलने वाले रेडिएशन और आधुनिक इमारतों की डिजाइन के कारण इसका अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। आज हालात ऐसे हैं कि कई शहरों में गौरैया लगभग विलुप्त हो चुकी है। इस संकट को देखते हुए हर साल 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस मनाया जाता है।