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World Sparrow Day 2025: घर-आंगन से गायब होती गौरैया, जानें वजह, थीम और इसे बचाने के आसान तरीके

World Sparrow Day 2025: कभी भारत के घरों और आंगनों में आम तौर पर नजर आने वाली गौरैया की संख्या तेजी से घट रही है। शहरीकरण और पेड़ों की कटाई ने उनके घोंसले बनाने की जगहें सीमित कर दी हैं, जबकि मोबाइल टावरों से निकलने वाला रेडिएशन उनकी प्रजनन क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है, जिससे इनकी आबादी खतरे में है

MoneyControl Newsअपडेटेड Mar 20, 2025 पर 9:57 AM
World Sparrow Day 2025: घर-आंगन से गायब होती गौरैया, जानें वजह, थीम और इसे बचाने के आसान तरीके
world sparrow day 2025: इस साल विश्व गौरैया दिवस की थीम "A Tribute to Nature’s Tiny Messengers" रखी गई है।

कभी हमारे घरों की खिड़कियों, आंगनों और बगीचों में चहचहाने वाली गौरैया अब मुश्किल से ही नजर आती है। ये छोटी-सी चिड़िया न सिर्फ हमारे बचपन का हिस्सा थी, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। लेकिन तेजी से बढ़ते शहरीकरण, पेड़ों की अंधाधुंध कटाई, मोबाइल टावरों से निकलने वाले रेडिएशन और आधुनिक इमारतों की डिजाइन के कारण इसका अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। आज हालात ऐसे हैं कि कई शहरों में गौरैया लगभग विलुप्त हो चुकी है। इस संकट को देखते हुए हर साल 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस मनाया जाता है।

इस नन्ही चिड़िया के संरक्षण के लिए लोगों को जागरूक किया जा सके। अगर हमने अभी से इसे बचाने के प्रयास नहीं किए, तो आने वाली पीढ़ियों को ये प्यारी चिड़िया सिर्फ किताबों और तस्वीरों में ही देखने को मिलेगी।

गौरैया दिवस की शुरुआत कैसे हुई?

गौरैया के संरक्षण की मुहिम की शुरुआत भारत के नेचर फॉरएवर सोसाइटी और फ्रांस के इको-सिस एक्शन फाउंडेशन ने मिलकर की थी। साल 2010 में पहली बार विश्व गौरैया दिवस मनाया गया, जिसका मुख्य उद्देश्य इस नन्हे पक्षी के संरक्षण की आवश्यकता को उजागर करना था। इस अभियान को आगे बढ़ाने में भारतीय पर्यावरणविद् डॉ. मोहम्मद दिलावर की अहम भूमिका रही, जिन्हें 2008 में ‘हिरोज ऑफ द एनवायरनमेंट’ के खिताब से नवाजा गया था।

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