बरसात के मौसम में चाय का मज़ा दोगुना हो जाता है। ठंडी हवा और फुहारों के बीच अगर हाथ में गरमा-गरम चाय का प्याला हो तो दिन बन जाता है। अक्सर लोग कहते हैं कि घर की चाय और टपरी वाली चाय के स्वाद में बहुत फर्क होता है। सड़क किनारे की चाय में जो कड़कपन और खुशबू मिलती है, वही दिल को छू जाती है। इसका कारण होता है चाय बनाने का तरीका और उसमें डाले गए मसालों का सही संतुलन। कई बार घर पर चाय बनाते समय दूध और पानी की मात्रा गड़बड़ हो जाती है या अदरक-इलायची का स्वाद उतना अच्छा नहीं आता।
नतीजा ये होता है कि चाय या तो फीकी लगती है या फिर बहुत तेज़। अगर आप चाहते हैं कि घर पर भी वही टपरी वाली चाय का असली मजा मिले, तो आपको इसकी सही विधि जाननी ज़रूरी है।
क्यों अलग होती है टपरी वाली चाय?
घर की चाय और टपरी वाली चाय में सबसे बड़ा फर्क होता है उसकी तकनीक और मसालों का संतुलन। अक्सर हम घर पर जल्दीबाजी में दूध और पानी का अनुपात बिगाड़ देते हैं या फिर अदरक-इलायची का सही स्वाद नहीं ला पाते। नतीजा ये कि चाय या तो बहुत फीकी लगती है या फिर इतनी तेज कि गले को भारी कर दे।
टपरी वाली चाय के लिए जरूरी सामान
अदरक – स्वाद और मौसम के अनुसार
ये वही बेसिक सामग्री है, लेकिन असली स्वाद इस बात पर निर्भर करता है कि इन्हें कैसे और किस क्रम में डाला जाए।
स्टेप बाय स्टेप टपरी वाली चाय बनाने की विधि
सबसे पहले पतीले में पानी डालें और हल्का गर्म करें। जैसे ही पानी उबलने लगे, उसमें कद्दूकस की हुई अदरक डाल दें। साथ ही हल्की सी कुचली हुई इलायची भी डालें। याद रखें इलायची को कूटकर ही डालें, तभी उसकी खुशबू फैलती है।
अब बारी है चायपत्ती डालने की। इसे पानी में कम से कम 2-3 मिनट तक अच्छे से उबालें। यही वो पल होता है जब चाय का असली रंग और स्वाद निखरता है।
इसके बाद दूध डालें और इसे 4-5 मिनट तक उबलने दें। चाय जितनी देर तक खौलेगी, उसका रंग और गाढ़ापन उतना ही बढ़ेगा। अब शक्कर डालकर स्वाद संतुलित करें।
जब चाय का रंग गहरा और सुगंध चारों ओर फैलने लगे, तब इसे छलनी से छानकर प्याले में भरें। गरमा-गरम चाय की पहली चुस्की आपको टपरी की याद दिला देगी।
टपरी वाली चाय की असली खूबी है उसका तेज स्वाद और मसालों की सही बैलेंसिंग। बारिश में जब हल्की ठंड लगने लगे तो अदरक और इलायची वाली ये चाय न सिर्फ़ शरीर को गर्माहट देती है, बल्कि मूड भी फ्रेश कर देती है।