असदुद्दीन ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीन (AIMIM) ने आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में मुस्तफाबाद निर्वाचन क्षेत्र से AAP के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन को अपना उम्मीदवार बनाया। हुसैन पर 2020 के दिल्ली दंगों से जुड़े आरोप में केस चल रहा है और उन्हें AAP निष्कासित कर दिया था। ओवैसी ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा, "MCD पार्षद ताहिर हुसैन AIMIM में शामिल हो गए और आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में मुस्तफाबाद विधानसभा क्षेत्र से हमारे उम्मीदवार होंगे। उनके परिवार के सदस्यों और समर्थकों ने आज मुझसे मुलाकात की और पार्टी में शामिल हुए।"
AIMIM की इस घोषणा की बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने आलोचना की। उन्होंने कहा, "ओवैसी ने खुद को अंकित शर्मा की हत्या के लिए जिम्मेदार व्यक्ति के साथ जोड़ लिया है, जिसके घर में बम और पत्थर पाए गए थे और जिसने दिल्ली में सैकड़ों हिंदुओं को मारने की कोशिश की थी।"
उन्होंने आगे कहा, "ओवैसी को याद रखना चाहिए कि अगर ताहिर हुसैन के नाम पर दिल्ली में एक और दंगा हुआ, तो उसका नतीजा उनकी सात पीढ़ियां याद रखेंगी।"
हुसैन को हाल ही में दिल्ली हाई कोर्ट से राहत मिली, जिसने दिल्ली दंगों के संबंध में उनके खिलाफ दर्ज एक FIR रद्द कर दी। 27 फरवरी, 2020 को दर्ज की गई FIR में उन पर एक इमारत की पहली मंजिल पर दंगा और तोड़फोड़ करने का आरोप लगाया गया था। अदालत ने कहा कि हुसैन पहले से ही इसी घटना से संबंधित एक और मामले में आरोपों का सामना कर रहे थे।
अदालत ने पाया कि 24 फरवरी, 2020 को इसी घटना के लिए एक पूर्व FIR दर्ज की गई थी। इसमें कहा गया था कि वर्तमान FIR में दिल्ली पुलिस की ओर से दायर चार्जशीट को ओरिजनल केस के सप्लीमेंट्री के रूप में माना जाएगा।
हुसैन AAP के टिकट पर नेहरू नगर वार्ड से पार्षद चुने गए थे। नवंबर की सुनवाई के दौरान, अदालत ने कहा कि दोनों FIR के सबूतों से पता चलता है कि दंगाइयों ने पहले पार्किंग एरिया में तोड़फोड़ की, गाड़ियों को आग लगा दी और फिर इमारत की पहली मंजिल पर चले गए, जहां एक शादी के लिए खाना तैयार किया जा रहा था। दंगाइयों ने संपत्ति को काफी नुकसान पहुंचाया।
24 फरवरी, 2020 को उत्तरपूर्वी दिल्ली में हिंसा भड़क गई, जिसमें कम से कम 53 लोग मारे गए और लगभग 700 घायल हो गए।