जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में चल रहे विधानसभा चुनाव के लिए मतदान 5 अक्टूबर को पूरा होगा। जम्मू-कश्मीर में तीन चरणों का चुनाव 1 अक्टूबर को खत्मा होगा, जबकि हरियाणा में 5 अक्टूबर को एक ही चरण में मतदान होगा। हरियाणा में 5 अक्टूबर को मतदान खत्म होने के बाद सभी की निगाहें एग्जिट पोल पर होंगी। पोल करने वालीं कई एजेंसी 5 अक्टूबर की शाम को दोनों राज्यों के लिए अपने एग्जिट पोल पूर्वानुमान जारी करेंगे। एग्जिट पोल इस बात का शुरुआती संकेत देगा कि 8 अक्टूबर को हरियाणा और जम्मू-कश्मीर दोनों में कौन सी पार्टी सरकार बना सकती है।
एग्जिट पोल मतदाताओं के मतदान केंद्रों से निकलने के तुरंत बाद किया जाने वाला एक सर्वे है। इसका मकसद आधिकारिक नतीजे घोषित होने से पहले चुनाव के नतीजे की भविष्यवाणी करना है।
एग्जिट पोल के जरिए जनता की भावना कैसे इसकी एक झलक मिल जाती है, जो यह आकलन करने में मदद कर सकते हैं कि अलग-अलग वर्ग जैसे कि उम्र, लिंग और सामाजिक-आर्थिक स्थिति के लोगों ने कैसे मतदान किया।
हालांकि, मतदाता के व्यवहार के बावजूद, एग्जिट पोल की सटीकता उसके सैंपल साइज और सिलेक्शन जैसे कई अलग-अलग फैक्टर पर निर्भर करती है।
उदाहरण के लिए 2024 के लोकसभा चुनाव को ही ले लीजिए। ज्यादातर एग्जिट पोल ने भविष्यवाणी की है कि हाल ही में संपन्न आम चुनाव में BJP निचले सदन में बहुमत का आंकड़ा आसानी से पार कर जाएगी।
हालांकि, नतीजे बहुत उलट रहे और पार्टी काफी अंतर से बहुमत से पीछे रह गई, जिससे लगभग हर पोलिंग एंजेंसी गलत साबित हुई। आमतौर पर एग्जिट पोल के अनुमान वास्तविक नतीजों के करीब होते हैं।
2019 में हरियाणा एग्जिट पोल
पिछले विधानसभा चुनावों में, छह एग्जिट पोल के सर्वे में भविष्यवाणी की गई थी कि BJP हरियाणा में आराम से सरकार बनाएगी। एग्जिट पोल में 90 सदस्यों वाली विधानसभा में बीजेपी को 67 सीटें और कांग्रेस को सिर्फ 13 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया था। हालांकि, एग्जिट पोल के नतीजे सही नहीं रहे, क्योंकि बीजेपी ने 40 सीटें जीतीं और अपने दम पर बहुमत के आंकड़े तक नहीं पहुंच सकी।
2014 में जम्मू और कश्मीर एग्जिट पोल
वहीं अगर जम्मू-कश्मीर की बात करें, तो 2014 में एग्जिट पोल ने त्रिशंकु विधानसभा की सही भविष्यवाणी की थी। C-Voter एग्जिट पोल में कहा गया था कि बीजेपी को 27-33 सीटें, PDP को 32-38 और नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) को 8-14 सीटें मिलेंगी।
नतीजे घोषित होने के बाद PDP 28 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, जबकि BJP ने महज 25 सीटें जीतीं। दोनों ने गठबंधन सरकार भी बनाई, जो अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 हटने से पहले ही टूट गया था।