Haryana Chunav Result 2024: कांग्रेस के काम न आई सत्ता विरोधी लहर, न कोई गारंटी... BJP की हैट्रिक के पीछे रहे ये बड़े फैक्टर

Haryana Election Result 2024: जो कांग्रेस रुझान में 60 के करीब का आंकड़ टच कर गई थी, वो अब 35 के आस पास आ गई। दिन चढ़ने के साथ ही फिर कांग्रेस बढ़त बनाने में कामयाब नहीं रही। ये लेख लिखे जाने तक चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, बीजेपी 50 सीटों पर और कांग्रेस 35 सीटों पर आगे है

अपडेटेड Oct 08, 2024 पर 6:39 PM
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Haryana Chunav Result 2024: कांग्रेस के काम न आई सत्ता विरोधी लहर, न कोई गारंटी... BJP की हैट्रिक के पीछे रहे ये बड़े फैक्टर

हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों ने सभी को चौंका दिया है। तीन दिन पहले आए एग्जिट पोल के आंकड़े धाराशाई हो गए और बड़े-बड़े राजनीतिक पंडितों की भविष्यवाणी गलत साबित हुई। वोटों की गिनती शुरू होने के साथ ही कांग्रेस ने बढ़त बनाई और करीब एक-डेढ़ घंटे तक आगे रही है, लेकिन करीब 10 बजे के आसपास बीजेपी की सीटों संख्या में उछाल आया और उसने देखते ही देखते रुझान में बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया।

जो कांग्रेस रुझान में 60 के करीब का आंकड़ टच कर गई थी, वो अब 35 के आस पास आ गई। दिन चढ़ने के साथ ही फिर कांग्रेस बढ़त बनाने में कामयाब नहीं रही। ये लेख लिखे जाने तक चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, बीजेपी 50 सीटों पर और कांग्रेस 35 सीटों पर आगे है।

बीजेपी हरियाणा में पिछले 10 सालों से सत्ता में है। ऐसे में एक आम बात ये फैली हुई थी कि राज्य में भगवा पार्टी को इस बार सत्ता विरोधी का लहर का सामना करना पड़ेगा, लेकिन अब तो नतीजे आ रहे हैं, उन्हें देख कर लग रहा है कि पार्टी इससे पार पाने में कामयाब रही। ऐसे में एक नजर डालते हैं बीजेपी की जीत की पीछे की बड़े वजहों पर:


हरियाणा में BJP की जीत की बड़ी वजह:

जाट vs गैर जाट वोटिंग हुई। हरियाणा में शुरुआत से जाट और गैर-जाट की राजनीति हावी रहती है। सूत्रों ने बताया कि बीजेपी की इस जीत का एक कारण ये भी बताया जा रहा है कि गैर जाटों में भूपेंद्र हुड्डा की जीत से एक असुरक्षा का भाव आ गया था।

दलित वोट बीजेपी के पक्ष में गया। सूत्रों का कहना है कि ऐसा भी माना जा रहा है कि राहुल गांधी ने अमेरिका में आरक्षण खत्म करने वाली जो बात कही थी, उसे बीजेपी ने अच्छे भुना लिया और हरियाणा में दलितों ने कांग्रेस को वोट नहीं दिया। हरियाणा की 14 ऐसी सीटें हैं, जहां SC मतदाता एक अहम रोल अदा करता है।

मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों ने दावा किया, एक कारण ये भी दिया जा रहा है कि दलितों में 'मिर्चपुर कांड' की खौफ भी बढ़ गया था। जब हिसार जिले के मिर्चपुर गांव में अप्रैल 2010 को जाट समुदाय के लोगों ने कई घरों को आग लगा दी थी। भीड़ ने 70 साल के बुजुर्ग और उसकी दिव्यांग बेटी को भी जिंदा जला दिया था। इस गांव में ज्यादातर घर वाल्मीकि समाज के लोगों के थे। घटना के बाद दलितों ने गांव से पलायन कर दिया था। तब सरकार कांग्रेस की और मुख्यमंत्री भूपेंद्र हु्ड्डा ही थे।

कांग्रेस की '7 गारंटी' बेअसर रहीं। पार्टी ने चुनाव से पहले राज्य की जनता से सात बड़े वादे किया था।

- महिलाओं को शक्ति, जिसके तहत महिलाओं को हर महीने 2,000 रुपए और 500 रुपए में गैस सिलेंडर

- सामाजिक सुरक्षा को बल, जिसके तहत 6,000 रुपए बुढ़ापा पेंशन, 6,000 रुपए दिव्यांग पेंशन, 6,000 रुपए विधवा पेंशन, पुरानी पेंशन बहाल होगी

- युवाओं को सुरक्षित भविष्य, जिसके तहत 2 लाख पक्की भर्ती और नशा मुक्त हरियाणा

- हर परिवार को खुशहाली। इसके तहत 300 यूनिट मुफ्त बिजली और 25 लाख तक का मुफ्त इलाज

- गरीबों को छत, जिसके तहत 100 गज का प्लाट और 3.5 लाख की लागत से 2 कमरों का मकान

- किसानों को समृद्धि, जिसके तहत MSP की कानूनी गारंटी और तत्काल फसल मुआवजा

- पिछड़ों को अधिकार, जिसके तहत जातिगत सर्वे और क्रीमी लेयर की सीमा 10 लाख रुपए

इसके अलावा वोटर्स ने मोदी की गारंटी पर भरोसा जताया।

आपसी कलह से कांग्रेस को नुकसान। हरियाणा में कांग्रेस के भीतर चुनाव शुरू होने से पहले ही आपसी कलह दिख रही थी। एक धड़ा भूपेंद्र हुड्डा और तो दूसरा धड़ा कुमार सैलजा का था। दोनों के बीच ज्यादा से ज्यादा टिकट अपने लोगों को दिलाने की होड़ लगी, जिसमें हुड्डा सैलजा पर भारी पड़े। नतीजा ये हुआ कि सैलजा हरियाणा विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान दिल्ली में रहीं। हालांकि, बाद में गांधी परिवार और कांग्रेस हाईकमान दोनों के बीच सुलह कराई और दोनों को मंच पर एक साथ लेकर आए।

क्षेत्रीय दलों पर भरोसा कम हुआ। हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों से ये तो साफ हो गया कि क्षेत्रीय दलों पर अब वोटर्स का भरोसा कम हो गया है। इसका सबसे जबरदस्त उदाहरण है जननायक जनता पार्टी है, जिसे 2019 के चुनाव में 10 सीटें मिलीं और बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई, उसी JJP के 2024 चुनाव में एक भी सीट हासिल नहीं हुई और तो और पूर्व डिप्टी CM दु्ष्यंत चौटाला तक अपनी सीट नहीं बचा पाएगा।

हालांकि, INLD इस बार एक से दो सीटों पर आ गई है, लेकिन ऐलनाबाद सीट से पिछली बार के विधायक अभय सिंह चौटाला को जोरदार झटका लगा, जहां कांग्रेस के भरत सिंह बेनीवाल ने उन्हें 15000 वोटों से मात दी।

कांग्रेस का अति-आत्मविश्वास भी भारी पड़ा। कांग्रेस इस नैरेटिव के साथ चल रही थी कि हरियाणा में सत्ता विरोधी लहर के चलते वो आसानी से जीत जाएगी। इसके पीछे कुछ हद तक लोकसभा चुनाव के नतीजे भी थे, जिसमें कांग्रेस बीजेपी से पांच सीटें छीन लाई थी।

ऐसे में कांग्रेस को लगा कि जनता के अंदर मौजूदा सरकार को लेकर एक गुस्सा है और लोग अब उसे ही विकल्प मान कर चल रहे हैं। हालांकि, कई राजनीतिक जानकारों को कहना है कि पार्टी इस सब की वजह से कहीं न कहीं ओवर कॉन्फिडेंस में भी आ गई थी।

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Shubham Sharma

Shubham Sharma

First Published: Oct 08, 2024 6:19 PM

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