MP Election 2023: क्या नरसिंहपुर में कायम रहेगा BJP का दबदबा? भाई की जगह केंद्रीय मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल को मिला है टिकट

MP Election 2023: नरसिंहपुर में सियासी जंग भले ही सत्ताधारी बीजेपी और विपक्षी कांग्रेस के बीच हो सकती है। लेकिन यह चुनाव पटेल परिवार के लिए एक राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई भी है। हालांकि, पटेलों से पहले नरसिंहपुर मुशरान परिवार का पारंपरिक गढ़ था। अजय नारायण मुशरान के पिता श्याम सुंदर मुशरान और फिर खुद अजय नारायण मुशरान लंबे समय तक नरसिंहपुर में चुनावी परिदृश्य पर हावी रहे।

अपडेटेड Oct 12, 2023 पर 3:27 PM
Story continues below Advertisement
Narsinghpur Assembly Constituency: नरसिंहपुर प्रहलाद सिंह पटेल का गृहनगर है

Madhya Pradesh Election 2023: मध्य प्रदेश की हाईप्रोफाइल नरसिंहपुर विधानसभा सीट (Narsinghpur Assembly constituency) से केंद्रीय मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल (Prahlad Singh Patel) इस बार चुनाव लड़ रहे हैं। नरसिंहपुर एक ऐसी सीट है, जो पहले कांग्रेस का गढ़ हुआ करती थी, लेकिन अब भारतीय जनता पार्टी (BJP) का गढ़ बन गई है। मध्य प्रदेश में जिन 8 विधानसभा क्षेत्रों में BJP ने 3 केंद्रीय मंत्रियों सहित केंद्र के कई दिग्गजों को मैदान में उतारा है, उनमें से नरसिंहपुर ऐसी सीट है जहां भगवा पार्टी ने पिछले विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी। नरसिंहपुर में BJP नेतृत्व ने प्रहलाद सिंह पटेल पर अपना भरोसा जताया है। पार्टी को उम्मीद है कि वह पड़ोसी सीटों के मतदाताओं को भी प्रभावित करेंगे।

पटेल परिवार का है दबदबा

BJP ने मौजूदा विधायक जालम सिंह पटेल के स्थान पर अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के मजबूत नेता प्रहलाद सिंह पटेल को नरसिंहपुर जिले के नरसिंहपुर विधानसभा क्षेत्र से मैदान में उतारा है। जालम सिंह पटेल ने 2013 और 2018 में इस सीट का प्रतिनिधित्व किया था। बता दें कि जालम सिंह केंद्रीय मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल के छोटे भाई हैं। जालम सिंह ने 2013 का चुनाव 48,000 से अधिक वोटों के अंतर से जीता था। जबकि 2018 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने 14,000 से अधिक वोटों के कम अंतर के साथ सीट बरकरार रखी।


पटेल परिवार के लिए राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई

नरसिंहपुर प्रहलाद सिंह पटेल का गृहनगर है। नरसिंहपुर में सियासी जंग भले ही सत्ताधारी बीजेपी और विपक्षी कांग्रेस के बीच हो सकती है। लेकिन यह चुनाव पटेल परिवार के लिए एक राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई भी है। हालांकि, पटेलों से पहले नरसिंहपुर मुशरान परिवार का पारंपरिक गढ़ था। अजय नारायण मुशरान के पिता श्याम सुंदर मुशरान और फिर खुद अजय नारायण मुशरान लंबे समय तक नरसिंहपुर में चुनावी परिदृश्य पर हावी रहे। अजय नारायण मुशरान ने पहली बार अपने पिता श्याम सुंदर नारायण मुशरान के निधन के बाद उपचुनाव में सीट जीती।

अपनी जीत के बाद कर्नल मुशरान ने भारतीय सेना से समय से पहले रिटायरमेंट ले ली और उन्हें नरसिंहपुर से मैदान में उतारा गया। इसके बाद उन्हें पूर्ववर्ती अर्जुन सिंह सरकार में राज्य मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया और बाद में एक दशक के लिए दिग्विजय सिंह के मंत्रिमंडल में वित्त मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया।

हालांकि, 2003 के राज्य विधानसभा चुनावों में जालम सिंह पटेल ने कर्नल मुशरान से सीट छीन ली, जिससे निर्वाचन क्षेत्र में पटेल परिवार के प्रभुत्व की शुरुआत हुई। हालांकि, यह ध्यान देने की जरूरत है कि 2013 के राज्य चुनावों में जालम सिंह पटेल की जीत से पहले यह सीट कांग्रेस के सुनील जयसवाल के पास थी, जिन्होंने 2008 के विधानसभा चुनावों में चुनाव जीता था।

मतभेद की खबरों को किया खारिज

जालम सिंह पटेल ने भारतीय जनशक्ति पार्टी के सदस्य के रूप में चुनाव लड़ा था, जिसकी स्थापना पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने BJP छोड़ने के बाद की थी। 3 साल बाद ही मार्च 2009 में उन्होंने बीजेपी में वापसी कर ली। इसके बाद साल 2014 में दमोह लोकसभा सीट से चुनाव लड़े और इसके बाद वह 2018 में भी जीते। नरसिंहपुर में पटेल परिवार के स्पष्ट राजनीतिक प्रभाव को देखते हुए मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए दिल्ली से भेजे गए अन्य पार्टी दिग्गजों की तुलना में पटेल के लिए सीट सुरक्षित करना आसान हो सकता है।

ये भी पढ़ें- MP Election 2023: छिंदवाड़ा सीट पर चलता है कमलनाथ का जादू, क्या इस बार खिलेगा 'कमल'?

यह पूछे जाने पर कि अपने भाई की उसी सीट से चुनाव लड़ने पर उन्हें कैसा महसूस हो रहा है, जिन्हें टिकट नहीं दिया गया है। इस पर केंद्रीय मंत्री ने टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा, "कोई कटुता नहीं है। यह हमें विरासत में मिले पारिवारिक मूल्यों को दर्शाता है। यह पार्टी का निर्णय है। हम साथ थे।" अब सीट पर मुकाबला कैसा होगा यह कांग्रेस पर निर्भर करेगी कि वह यहां किसे उम्मीदवार बना रही है।

दिग्गज नेता हैं पटेल

प्रहलाद पटेल पांच बार के लोकसभा सांसद हैं। उन्हें जिस भी सीट से मैदान में उतारा गया, वह हर बार अपराजेय रहे। दो बार सिवनी, एक बार बालाघाट और दो बार दमोह से सांसद र चुके हैं। हालांकि, विधायक का चुनाव पहली बार लड़ रहे हैं। साल 2003 में केंद्र की NDA सरकार में कोयला राज्य मंत्री थे। नरसिंहपुर में पटेल परिवार के स्पष्ट राजनीतिक प्रभाव को देखते हुए केंद्रीय मंत्री की राह आसान हो सकता है।

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।