मध्य प्रदेश में Congress और BJP दोनों ने ही चुनावी रणनीति बनाने में जातीय संतुलन का ख्याल रखा है। इसकी वजह यह है कि आजादी के 75 साल बाद भी देश की राजनीति जाति की छाया से बाहर नहीं निकल सकी है। अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी-सीएसडीएस के सर्वे के नतीजे बताते हैं कि 55 फीसदी भारतीय अपनी जाति के उम्मीदवार को वोट देना पसंद करते हैं। मध्य प्रदेश में तो यह आंकड़ा 65 फीसदी है। इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि एमपी में विधानसभा चुनावों में जीत वही पार्टी हासिल करेगी, जो जातीय संतुलन बनाने में सफल रहेगी। दोनों दलों की उम्मीदवारों की लिस्ट पर गौर करने से पता चलता है कि टिकट देने में जाति के पहलू का खास ध्यान रखा गया है। राज्य में हिंदू आबादी 91 फीसदी है। मुस्लिम 7 फीसदी और अन्य धर्म के लोग करीब 2 फीसदी हैं। आबादी में ओबीसी की हिस्सेदारी 50 फीसदी, एसटी 20 फीसदी और एसटी 15 फीसदी है। 15 फीसदी हिस्सेदारी ऊपरी जाति के लोगों की है। दोनों दलों ने इन आंकड़ों को ध्यान में रखा है। भाजपा ने किसी मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया है।
