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MP Election 2023 : आजादी के 75 साल बाद भी जाति की छाया से बाहर नहीं निकल सकी है राजनीति

अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी-सीएसडीएस के सर्वे के नतीजे बताते हैं कि 55 फीसदी भारतीय अपनी जाति के उम्मीदवार को वोट देना पसंद करते हैं। मध्य प्रदेश में तो यह आंकड़ा 65 फीसदी है। इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि एमपी में विधानसभा चुनावों में जीत वही पार्टी हासिल करेगी, जो जातीय संतुलन बनाने में सफल रहेगी। दोनों दलों की उम्मीदवारों की लिस्ट पर गौर करने से पता चलता है कि टिकट देने में जाति के पहलू का खास ध्यान रखा गया है

MoneyControl Newsअपडेटेड Nov 02, 2023 पर 5:50 PM
MP Election 2023 : आजादी के 75 साल बाद भी जाति की छाया से बाहर नहीं निकल सकी है राजनीति
भाजपा फिर से ओबीसी मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रही है। वह इस बात पर जोर देती रही है कि एक तरफ जहां केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ओबीसी से आते हैं वही राज्य में शिवराज सिंह चौहान का संबंध इसी समुदाय से है। उधर, कांग्रेस के पास सीनियर लेवल पर ओबीसी नेताओं की कमी है।

मध्य प्रदेश में Congress और BJP दोनों ने ही चुनावी रणनीति बनाने में जातीय संतुलन का ख्याल रखा है। इसकी वजह यह है कि आजादी के 75 साल बाद भी देश की राजनीति जाति की छाया से बाहर नहीं निकल सकी है। अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी-सीएसडीएस के सर्वे के नतीजे बताते हैं कि 55 फीसदी भारतीय अपनी जाति के उम्मीदवार को वोट देना पसंद करते हैं। मध्य प्रदेश में तो यह आंकड़ा 65 फीसदी है। इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि एमपी में विधानसभा चुनावों में जीत वही पार्टी हासिल करेगी, जो जातीय संतुलन बनाने में सफल रहेगी। दोनों दलों की उम्मीदवारों की लिस्ट पर गौर करने से पता चलता है कि टिकट देने में जाति के पहलू का खास ध्यान रखा गया है। राज्य में हिंदू आबादी 91 फीसदी है। मुस्लिम 7 फीसदी और अन्य धर्म के लोग करीब 2 फीसदी हैं। आबादी में ओबीसी की हिस्सेदारी 50 फीसदी, एसटी 20 फीसदी और एसटी 15 फीसदी है। 15 फीसदी हिस्सेदारी ऊपरी जाति के लोगों की है। दोनों दलों ने इन आंकड़ों को ध्यान में रखा है। भाजपा ने किसी मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया है।

ब्राह्मण और ठाकुर उम्मीदवारों को सबसे ज्यादा टिकट

39 फीसदी सीटों पर ओबीसी उम्मीदवारों की स्थिति मजबूत है। 48 फीसदी सीटों पर जनरल कैटेगरी के उम्मीदवारों की पकड़ मजबूत दिख रही है। 35-36 फीसदी सीटों पर एससी-एसटी उम्मीदवार मजबूत नजर आते हैं। मुस्लिम उम्मीदवार सिर्फ 1 फीसदी सीटों के लिए ताल ठोंक रहे हैं। दोनों दलों ने सबसे ज्यादा टिकट ब्राह्मण और ठाकुर को दिए हैं। ये दोनों ही राज्य में सबसे मजबूत समुदाय हैं। ऊपरी जाति और ओबीसी मतदाताओं में भाजपा की अच्छी पैठ है। 2008 के चुनावों में भाजपा सिर्फ अल्पसंख्यकों को छोड़ करीब सभी समुदायों और जातियों के बीच कांग्रेस से आगे थी।

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