Balasaheb Thackeray Death Anniversary: बाला साहेब के थे तीन बेटे, लेकिन सिर्फ उद्धव ठाकरे की ही क्यों होती है चर्चा? जानें- क्या था ठाकरे परिवार का संपत्ति विवाद

Balasaheb Thackeray Death Anniversary: आज (17 नवंबर) हिंदूहृदय सम्राट के तौर पर मशहूर शिवसेना के संस्थापक बाला साहेब ठाकरे (Bala Saheb Thackeray) की पुण्यतिथि है। बाला साहब ठाकरे के तीन बेटे थे लेकिन हर जगह केवल उद्धव ठाकरे ही नजर आते हैं। आखिर ऐसा क्यों है? आज हम आपको ठाकरे परिवार से जुड़े कुछ अनसुने किस्से बता रहे हैं...

अपडेटेड Nov 17, 2024 पर 10:08 PM
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अपने परिवार के साथ बाला साहेब ठाकरे

Balasaheb Thackeray Death Anniversary: शिवसेना के संस्थापक बाला साहेब ठाकरे (Bala Saheb Thackeray) की आज यानी रविवार (17 नवंबर) को पुण्यतिथि है। बाला साहेब की पहचान महाराष्ट्र ही नहीं बल्कि देश भर में है। महाराष्ट्र की राजनीति में हिंदूहृदय सम्राट के तौर पर मशहूर बाला साहेब की पहचान एक अलग रूप में रही है। उनके गुजर जाने का बाद भी उनका राजनीतिक महत्व कम नहीं हुआ है। 20 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव में भी उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के बीच बाला साहब ठाकरे की विरासत को लेकर लड़ाई चल रही है।

जब भी बाला साहब ठाकरे के नाम आता है तो उनके साथ उद्धव ठाकरे का नाम जोड़ा जाता है। लेकिन क्या आपको पता है कि बाला साहेब के तीन बेटे थे?

बाला साहेब ठाकरे के थे तीन बेटे

जी हां, बाला साहेब ठाकरे के तीन बेटे थे। उनके सबसे बड़े बेटे के नाम बिंदुमाधव ठाकरे (Bindumadhav Thackeray) था। उनकी मौत 20 अप्रैल 1996 को एक रोड एक्सीडेंट में हो गई थी। बाला साहब के दूसरे बेटे के नाम जयदेव ठाकरे (Jaidev Thackeray) है। जयदेव ठाकरे राजनीति और मीडिया से काफी दूर रहते हैं। आखिरी बार उनको 2022 में एकनाथ शिंदे के साथ मंच पर देखा गया था। वहीं, बाल ठाकरे के तीसरे बेटे महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे हैं जो शिवसेना(UBT) का कमान संभाल रहे हैं।


पिता और भाई से अच्छे नहीं रहे जयदेव ठाकरे के रिश्ते

जयदेव ठाकरे का उनके पिता बाला साहेब और छोटे भाई उद्धव ठाकरे से रिश्ते अच्छे नहीं रहे हैं। बाला साहेब का रिश्ता उनके बेटे के साथ कैसा था इसका अंदाजा पार्टी के मुखपत्र 'सामना' को दिए उनके इंटरव्यू से लगाया जा सकता है। उसमें बाला साहेब न कहा था, "दैट बॉय इज ए ट्रेजेडी।" यानी कि ये लड़का एक त्रासदी है। जयदेव ठाकरे 90 के दशक में अपनी पहली पत्नी से अलग हो गए थे। इस वजह से भी परिवार से उनकी दूरी बढ़ गई थी।

रिपोर्ट के मुताबिक, 17 नवंबर 2012 को बाल ठाकरे के निधन के बाद जयदेव ठाकरे उनकी वसीयत के खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट चले गए, क्योंकि इसमें जयदेव के नाम कुछ भी नहीं था। बाला साहेब ने अपन जायदाद के ज्यादातर हिस्सा अपने छोटे बेटे उद्धव ठाकरे और परिवार के अन्य सदस्यों के नाम किया था। हालांकि, वह अलग बात थी कि जयदेव के बच्चों के नाम उन्होंने कुछ संपत्ति जरूर छोड़ी थी।

क्या था संपत्ति का पूरा विवाद?

उद्धव ठाकरे ने जनवरी 2014 में बॉम्बे हाईकोर्ट में प्रोबेट पिटीशन दाखिल की थी। इस याचिका में जयदेव का दावा था कि 'मातोश्री' बंगला ही 40 करोड़ रुपए का है। बाकी संपत्ति मिलाकर मूल्य 100 करोड़ रुपए से भी ज्यादा है। जबकि उद्धव का दावा था ठाकरे अपने पीछे जो संपत्ति छोड़ गए, उसका मूल्य 14.85 करोड़ रुपए ही है। बाल ठाकरे का 86 साल की उम्र में 17 नवंबर, 2012 को निधन हुआ था। लेकिन उद्धव के मुताबिक, ठाकरे इससे पहले 13 दिसंबर, 2011 को वसीयत लिख चुके थे।

इस पूरे मामले को लेकर दोनों भाईयों के बीच काफी विवाद हुआ था। वहीं. जयदेव ठाकरे का यह भी दावा था कि बाला साहब का दिमागी हालत सही नहीं थे। वे वसीयत पर दस्तखत करने की स्थिति में ही नहीं थे। जयदेव ठाकरे वसीयत को सही नहीं मान रहे थे। उनका आरोप था कि वसीयत सही नहीं है।

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First Published: Nov 17, 2024 8:55 PM

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