17 अप्रैल 1645 छत्रपति शिवाजी महाराज ने भविष्य के भारत को लेकर एक ऐसा खत लिखा था जिसकी चर्चा आज तक होती है। पहली बार 'हिंदवी स्वराज' टर्म का इस्तेमाल शिवाजी ने अपने इस खत में किया था। यह खत को उन्होंने दादाजी नारस प्रभु देशपांडे को लिखा था जिसमें मराठों की जीत का जिक्र कर भगवान रोहिरेश्वर को धन्यवाद दिया गया था और हिंदवी स्वराज्य की कामना की गई थी। हालांकि इस खत की प्रामाणिकता पर इतिहास के कई जानकारों ने सवाल भी खड़े किए हैं। दूसरी तरफ हिंदवी स्वराज्य टर्म की स्कॉलर अलग अलग तरीके से व्याख्या करते हैं। विलियम जैकसन इसे 'हिंदुओं का शासन' बताते हैं तो वहीं विलफ्रेड कांटवेल स्मिथ ने इसे 'विदेशी शासन से भारतीय स्वतंत्रता' के रूप में परिभाषित किया है।