Maharashtra Chunav 2024: फुलंब्री विधानसभा, 30 साल तक BJP के हरिभाऊ बागडे रहे विधायक, सिर्फ दो बार हुई कांग्रेस की जीत, इस बार मुकाबला कड़ा

Maharashtra Vidhan Sabha Chunav: औरंगाबाद शहर के 10 वार्ड, तालुका के कई गांवों, फुलंब्री शहर और तालुका, सिल्लोड के 42 और खुलताबाद तालुका के छह गांवों को मिलाकर ये विधानसभा बनी है, जिसमें कन्नड़ के भी कुछ गांव हैं। इसमें कुल 3 लाख 70 हजार मतदाता हैं

अपडेटेड Nov 12, 2024 पर 7:38 PM
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Maharashtra Chunav 2024: फुलंब्री विधानसभा, 30 साल तक BJP के हरिभाऊ बागडे रहे विधायक

महाराष्ट्र का फुलंब्री विधानसभा क्षेत्र भारतीय जनता पार्टी का गढ़ माना जाता है और जनसंघ के समय से ही यहां इसका दबदबा रहा है। इस सीट पर पहली बार बीजेपी ने किसी महिला उम्मीदवार अनुराधा चव्हाण को मौका दिया है और यहां उनका मुकाबला कांग्रेस के विलास औताडे से है। शिवसेना शिंदे गुट के रमेश पवार टिकट मिलने के चलते बगावती हो गए और उन्होंने निर्दलीय पर्चा भरकर BJP के सामने एक नई चुनौती खड़ी कर दी है। एक अलग विधानसभा क्षेत्र बनने से पहले फुलंब्री औरंगाबाद पूर्व विधानसभा क्षेत्र का एक हिस्सा था।

औरंगाबाद शहर के 10 वार्ड, तालुका के कई गांवों, फुलंब्री शहर और तालुका, सिल्लोड के 42 और खुलताबाद तालुका के छह गांवों को मिलाकर ये विधानसभा बनी है, जिसमें कन्नड़ के भी कुछ गांव हैं। इसमें कुल 3 लाख 70 हजार मतदाता हैं।

फुलंब्री विधानसभा जालना लोकसभा सीट के तहत आती है। वरिष्ठ भाजपा नेता रावसाहेब दानवे पांच बार जालना से लोकसभा सांसद चुने गए हैं। इस बार वह ये सीट कांग्रेस डॉ. कल्याण वैजीनाथराव काले से हार गए।


30 साल तक विधायक रहे हरिभाऊ बागडे

जालना सांसद और औरंगाबाद जिला कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. कल्याण काले का पैतृक गांव भी फुलंब्री निर्वाचन क्षेत्र में आता है। डॉ. कल्याण काले फुलंब्री सीट से दो बार विधायक रहे हैं और उन 10 सालों को छोड़कर इस सीट पर हमेशा बीजेपी का दबदबा रहा है।

जनसंघ के दौर में रामभाऊ गावंडे यहां से विधायक थे। उनके बाद हरिभाऊ बागडे तीस साल तक विधायक रहे हैं। हाल ही में बागडे के राजस्थान का राज्यपाल बनने के बाद कई लोगों ने यहां से बीजेपी का टिकट हासिल करने की कोशिश की।

हालांकि, बीजेपी ने इस बार अनुराधा चव्हाण को उम्मीदवार बनाया है। उनके पति अतुल चव्हाण प्रशासनिक सेवा में वरिष्ठ अधिकारी हैं और विदर्भ से हैं।

कांग्रेस से मिलेगी इस बार चुनौती

विलास औताडे कांग्रेस के उम्मीदवार हैं, उनके पिता कांग्रेस के जिला अध्यक्ष रह चुके हैं। औताडे की रिश्तेदारी शहर के आसपास के कई गांवों में है। लोकसभा चुनाव में करीब डेढ़ लाख वोट हासिल करने वाले सरपंच मंगेश साबले ने निर्दलीय उम्मीदवारी दाखिल की है।

उम्मीद थी कि उन्हें उम्मीदवार के तौर पर मनोज जारांगे पाटिल की मंजूरी मिल जाएगी। हालांकि, कहा जाता है कि जारांगे पाटिल की ओर से समय पर आवेदन वापस लेने के आदेश के बाद सेबल निराश हो गए। हालांकि उनकी उम्मीदवारी बरकरार है, लेकिन उन्होंने प्रचार से दूर रहने का फैसला किया है।

हरिभाऊ बागड़े की बनाई इस सीट पर कांग्रेस से चुनौती है, लेकिन फुलंब्री के नतीजे इस बात पर निर्भर करेंगे कि बीजेपी कार्यकर्ता अनुराधा चव्हाण के पीछे खड़े होंगे या नहीं।

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First Published: Nov 12, 2024 7:38 PM

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