Maharashtra Election: दलित, मुस्लिम वोट नहीं बंटे तो खतरे में आ सकती है BJP! उत्तर नागपुर में इस बार 64,000 वोटों की बढ़ोतरी

North Nagpur Assembly Seat: उत्तर नागपुर सीट पर 2019 में कांग्रेस के डॉ. नितिन राऊत 20,000 वोटों से जीते थे। उस वक्त 3,75,000 वोटों में से 1,93,000 यानी 52 फीसदी वोट पड़े थे। इस साल मतदाताओं की संख्या भी बढ़ी है। उत्तर नागपुर में कुल मतदाताओं की संख्या 4,28,000 है, जिनमें 2,12,000 पुरुष मतदाता और 2,15,000 महिला मतदाता हैं। महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों से ज्यादा है

अपडेटेड Nov 22, 2024 पर 5:37 PM
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Maharashtra Election: दलित, मुस्लिम वोट नहीं बंटे तो खतरे में आ सकती है BJP!

अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित उत्तर नागपुर विधानसभा में इस साल 6 फीसदी यानी 64 हजार 618 वोटों की बढ़ोतरी हुई है। इस विधानसभा क्षेत्र में दलित और मुस्लिम समुदाय, जो कांग्रेस के पारंपरिक वोटर हैं, बड़ी संख्या में हैं। अगर ये वोट बंटे, तो इसका सीधा फायदा बीजेपी को होगा। हालांकि, अगर ये वोटर लोकसभा की तरह इस साल भी कांग्रेस के पास गया, तो बीजेपी को नुकसान हो सकता है। उत्तर नागपुर सीट पर 2019 में कांग्रेस के डॉ. नितिन राऊत 20,000 वोटों से जीते थे। उस वक्त 3,75,000 वोटों में से 1,93,000 यानी 52 फीसदी वोट पड़े थे।

इस साल मतदाताओं की संख्या भी बढ़ी है। उत्तर नागपुर में कुल मतदाताओं की संख्या 4,28,000 है, जिनमें 2,12,000 पुरुष मतदाता और 2,15,000 महिला मतदाता हैं। महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों से ज्यादा है।

ज्यादा मतदान सत्ता परिवर्तन का संकेत!


इस बार उत्तर नागपुर में कुल 2,48,000 वोट पड़े। इसमें पुरुष वोटर 1,25,000 और महिला वोटर 1,23,000 हैं। मतदान प्रतिशत 58.5 फीसदी रहा। इस साल वोटिंग प्रतिशत 6 फीसदी बढ़ा।

राजनीतिक विश्लेषकों का अनुमान है कि बढ़ा हुआ मतदान प्रतिशत हमेशा सत्ता परिवर्तन की ओर इशारा करता है। कुछ लोगों का यह भी अनुमान है कि लड़की बहिन योजना के कारण महिलाओं का मतदान प्रतिशत बढ़ा है।

हालांकि, 2019 से 2024 के बीच उत्तरी नागपुर में महिला मतदाताओं के प्रतिशत को देखकर ऐसा नहीं लगता कि महिलाओं ने इस साल ज्यादा मतदान किया है। इसलिए, यह उत्सुकता है कि बढ़ी हुई वोटिंग से किसको फायदा होगा।

ढाई लाख बौद्ध मतदाता

उत्तरी नागपुर में 250,000 बौद्ध मतदाता और बड़ी संख्या में मुस्लिम और पंजाबी मतदाता हैं। क्योंकि ये कांग्रेस के पारंपरिक वोटर हैं, इसलिए बीजेपी हमेशा बौद्ध और मुस्लिम वोटों को बांटने की कोशिश करती है। इस बार भी बीजेपी ने इसे आजमाया।

हालांकि, बीजेपी लोकसभा में दलित वोटों का बंटवारा नहीं कर पाई। इसलिए लोकसभा में इस सीट पर बीजेपी को सबसे कम वोट मिले। जबकि कांग्रेस का वोट प्रतिशत बढ़ा था। यहां के चुनाव का नतीजा बौद्ध और मुस्लिम वोटों के विभाजन पर निर्भर करेगा।

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First Published: Nov 22, 2024 4:05 PM

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