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Maharashtra Elections 2024: महाराष्ट्र में राजनीति के दो गद्दारों की जीत, अजीत पवार को शरद से ज्यादा सीटें, शिंदे को उद्धव से ज्यादा सीटें

राजनीति के जानकारों का कहना है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के नतीजों से यह साफ हो गया है कि राजनीति में नैतिकता पर अवसरवादिता भारी पड़ती है। अब तक शरद पवार को न सिर्फ महाराष्ट्र बल्कि देश की राजनीति का बड़ा चेहरा माना जाता था। लेकिन, अचानक उनका कद छोटा होता दिख रहा है

अपडेटेड Nov 23, 2024 पर 12:29 PM
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अजीत पवार ने एनसीपी प्रमुख और अपने चाचा शरद पवार के खिलाफ बगावत कर पार्टी को टूटने पर मजबूर कर दिया। उधर, एकनाथ शिंदे ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत कर भाजपा के साथ मिलकर महाराष्ट्र में महायुति की सरकार बनाई।

महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों के नतीजों से एक साथ कई संकेत मिले हैं। एक बड़ा संकेत यह है कि महाराष्ट्र की राजनीति के दो गद्दार माने जाने वाले नेताओं की जीत हुई है। पहला नाम महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का है। दूसरा नाम अजीत पवार का है। अजीत पवार ने एनसीपी प्रमुख और अपने चाचा शरद पवार के खिलाफ बगावत कर पार्टी को टूटने पर मजबूर कर दिया। उधर, एकनाथ शिंदे ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत कर भाजपा के साथ मिलकर महाराष्ट्र में महायुति की सरकार बनाई। इससे शिवसेना दो हिस्सों में बंट गई। विधानसभा चुनावों के नतीजों में शिंदे और अजीत पवार के दलों का प्रदर्शन शिवसेना-उद्धव और एनसीपी-शरद के मुकाबले बेहतर रहा है।

नैतिकता पर अवसरवादिता भारी पड़ी

राजनीति के जानकारों का कहना है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों (Maharashtra Assembly Elections) के नतीजों से यह साफ हो गया है कि राजनीति में नैतिकता पर अवसरवादिता भारी पड़ती है। अब तक शरद पवार (Sharad Pawar) को न सिर्फ महाराष्ट्र बल्कि देश की राजनीति का बड़ा चेहरा माना जाता था। वह देश के सबसे अनुभवी नेताओं में से एक हैं। लेकिन, उनके भतीजे अजीत पावर (Ajit Pawar) ने उनके प्रभाव की सीमा तय कर दी है। अचानक राजनीति में शरद पवार का कद छोटा पड़ गया है। भतीजे ने चाचा की राजनीतिक ताकत में सेंध लगा दी है। अब राज्य की राजनीति में अजीत पवार का पलड़ा भारी पड़ता दिख रहा है।


उद्धव ठाकरे की ताकत घटी

उधर, एकनाथ शिंदे ने न सिर्फ शिवसेना-उद्धव से ज्यादा सीटें हासिल कर यह दिखा दिया है असली शिवसेना का उद्धव ठाकरे का दावा न सिर्फ खोखला है बल्कि राज्य के मतदाताओं पर उनकी पकड़ भी ढीली पड़ती दिख रही है। अब उद्धव ठाकरे के पास अपनी पार्टी के असली शिवसेना होने का दावा करने का अधिकार नहीं रह गया है। राजनीति में किसी नेता और दल का असर इस बात से तय होता है कि उस पर भरोसा करने वाले वोटर्स की संख्या कितनी है।

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शरद पवार के लिए राजनीति में सूरज ढल रहा

महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के नतीजों ने न सिर्फ महाराष्ट्र की राजनीति में नए समीकरण बनाए हैं बल्कि इसने राष्ट्रीय राजनीति में भी शिवसेना-उद्धव और शरद पवार की औकात तय कर दी है। उधर, कांग्रेस का प्रदर्शन भी महाराष्ट्र में अच्छा नहीं रहा है। ऐसे में विपक्षी इंडिया ब्लॉक के लिए आगे का रास्ता आसान नहीं दिख रहा है। अगले साल बिहार में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। उसमें इंडिया ब्लॉक का फिर से एनडीए से मुकाबला होगा। महाराष्ट्र चुनावों के नतीजों के बाद एनडीए ज्यादा आत्मविश्वास के साथ इंडिया ब्लॉक का सामना करेगा।

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