पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री और पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष हंसराज अहीर और राजुरा विधानसभा क्षेत्र के उम्मीदवार को चिमूर में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की सार्वजनिक बैठक में मंच पर जगह नहीं मिली। राजनीतिक गलियारों में इसकी खूब चर्चा हो रही है, क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी के करीबी माने जाने वाले अहीर को सीट नहीं मिलने से अब उनके समर्थकों में नाराजगी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्वी विदर्भ के नौ उम्मीदवारों के लिए प्रचार करने के लिए मंगलवार, 12 नवंबर को चिमूर में एक पब्लिक मीटिंग की थी।
इस बैठक में पूर्वी विदर्भ के चंद्रपुर, नागपुर, भंडारा, वर्धा जिलों के नौ उम्मीदवार मंच पर थे। इनमें चिमूर से विधायक कीर्ति कुमार भांगड़िया, वन मंत्री सुधीर मुनगंटीवार, वरोरा से करण देवताले, ब्रम्हपुरी से कृष्णलाल सहारे, चंद्रपुर से किशोर जोर्गेवार, उमरेड से राजू परवे और दूसरे उम्मीदवार शामिल हैं।
न्योता मिलने के बाद भी क्यों नहीं मिली एंट्री?
इस जनसभा में पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री और पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष हंसराज अहीर को आमंत्रित किया गया था। मंच पर उनकी कुर्सी भी लगी हुई थी।
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें, तो प्रधानमंत्री के सुरक्षा अधिकारियों और PMO हाउस के निर्देश के मुताबिक, अहीर को मंच पर जगह नहीं दी गई। इससे अहीर नाराज हो गए। नतीजा यह हुआ कि अहीर नाराज होकर कार्यक्रम स्थल से चले गए।
यही हाल राजुरा से बीजेपी उम्मीदवार देवराव भोंगले का भी हुआ। नौ उम्मीदवारों में भोंगले का नाम नहीं था। साथ ही मंच पर लगे बैनर में भी उनका नाम और फोटो नहीं था। इसलिए, उन्हें फोरम में एंट्री करने से रोक दिया गया। भोंगले भी अकेले ही कार्यक्रम स्थल से चले गए।
NCP के नेता तक को मिली जगह
इसके अलावा भंडारा से विधायक नरेंद्र भोंडेकर का भी नाम था, लेकिन उनके पास सभा मंच के लिए पास नहीं था। इसलिए उन्हें प्रवेश नहीं दिया गया। इसलिए वे भी कार्यक्रम स्थल से चले गए।
BJP और राजनीतिक गलियारों में चर्चा चल रही है कि अहीर समेत दूसरे प्रत्याशियों को कार्यक्रम स्थल पर प्रवेश क्यों नहीं दिया गया। दिलचस्प बात यह है कि मोदी के मंच पर बीजेपी जिला अध्यक्ष हरीश शर्मा और NCP अजित पवार पार्टी के जिला अध्यक्ष नितिन भटारकर को जगह दी गई।