New Odisha CM: कौन बनेगा ओडिशा का मुख्यमंत्री? इन BJP नेताओं का नाम रेस में सबसे आगे

New Odisha Chief Minister: भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 147 सदस्यीय विधानसभा में 78 सीट जीत कर स्पष्ट बहुमत हासिल किया है जबकि बीजद को 51 और कांग्रेस को 14 सीट मिली हैं। वहीं, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) का एक और तीन निर्दलीय उम्मीदवार जीते हैं

अपडेटेड Jun 08, 2024 पर 9:50 PM
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New Odisha Chief Minister: ओडिशा के नए सीएम का शपथ ग्रहण समारोह 10 जून को भुवनेश्वर में होगा

New Odisha Chief Minister: भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने लोकसभा चुनावों के साथ ओडिशा की 147-सदस्यीय विधानसभा में भी 78 सीटें जीतकर इतिहास रच दिया है। बीजेपी ने 5 बार के मुख्यमंत्री रहे BJD प्रमुख नवीन पटनायक की सत्ता पलट दी है। साल 2000 से ओडिशा में सत्ता में रही BJD इस बार महज 51 सीटों पर सिमट कर रह गई है। जबकि कांग्रेस ने 14 विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज कर तीसरे नंबर पर है। ओडिशा में सत्ता में आने से बीजेपी को लगभग उतना ही आश्चर्य हुआ है, जितना कि राज्य के मीडिया को। अब राजनीतिक गलियारों में दांव इस बात पर लग रहा है कि बीजेपी राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में किसे नियुक्त करेगी।

बीजेपी कई बार ऐसे नाम सामने ला चुकी है, जिन्हें गूगल पर ढूंढना पड़ता है। जैसे नायब सिंह सैनी ओबीसी और RSS पृष्ठभूमि वाले हरियाणा के मुख्यमंत्री बने। मोहन यादव को अचानक से मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया। वे ओबीसी समुदाय से हैं और उनकी आरएसएस पृष्ठभूमि मजबूत है। इसके अलावा भजन लाल शर्मा ने राजस्थान के मुख्यमंत्री का पद संभाला।

नए मुख्यमंत्री को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं जिन नामों की चर्चा है उनमें केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बैजयंत पांडा, भुवनेश्वर से सांसद अपराजिता सांरगी और बालासोर से सांसद प्रताप सारंगी, जुएल ओराम सहित अन्य शामिल हैं।


ओडिशा के नए मुख्यमंत्री को लेकर जारी कयासों के बीच भारतीय जनता पार्टी (BJP) की राज्य इकाई के अध्यक्ष मनमोहन सामल ने बुधवार को कहा कि पार्टी का संसदीय बोर्ड एक या दो दिन में इस बारे में फैसला ले लेगा।

कौन रेस में आगे और कौन पीछे?

बीजेपी किसी सांसद को मुख्यमंत्री नहीं बनने देना चाहती, क्योंकि गठबंधन सरकार का नेतृत्व करते समय उसे प्रत्येक सांसद की आवश्यकता होती है। इसलिए, धर्मेंद्र प्रधान और जुएल ओराम के नामों पर सवालिया निशान लगाता है। क्योंकि दोनों ही काफी अनुभवी सांसद चुने गए हैं। जुआल के पास सात प्रयासों में अपनी छठी जीत का जश्न मनाने के कई कारण हैं, खासकर तब जब उन्होंने घोषणा की कि 2024 सुंदरगढ़ से उनका आखिरी चुनावी मुकाबला होगा।

धर्मेंद्र प्रधान पिछले एक दशक से केंद्र सरकार के साथ काम कर रहे हैं। इसके अलावा, वे ओडिशा में बीजेपी के ओडिया पहचान अभियान का मुख्य चेहरा रहे हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव में, धर्मेंद्र प्रधान ने संबलपुर से बीजद के प्रणब प्रकाश दास को 1 लाख से अधिक मतों के अंतर से हराया। उन्होंने 2024 से पहले बिहार और मध्य प्रदेश से राज्यसभा सांसद के रूप में दो कार्यकाल पूरे किए हैं।

इसके अलावा, प्रधान कर्नाटक, उत्तराखंड, झारखंड और ओडिशा में पार्टी के चुनाव प्रभारी रहे हैं। प्रशासनिक अनुभव सहित उनकी पृष्ठभूमि और प्रोफ़ाइल उन्हें बढ़त दिलाती नज़र आती है। प्रधान की सीट, संभलपुर, बीजेपी के लिए राज्य की सबसे सुरक्षित सीटों में से एक मानी जाती है।

क्या प्रधान में मिलेगी कमान?

लेकिन क्या प्रधान या ओरम में से किसी एक के चुने जाने पर बीजेपी ओडिशा में उपचुनाव में जाने का जोखिम उठाएगी? हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों के बाद यह एक मुख्य मुद्दा है। दूसरा बीजेपी चाहती है कि कोई ओड़िया धरतीपुत्र मुख्यमंत्री बने। बीजेपी को पता है कि नवीन पटनायक को अक्सर ओड़िया भाषा में धाराप्रवाह बोलने में असमर्थता के कारण विरोध का सामना करना पड़ता है। और राज्य के कई पर्यवेक्षकों ने मुझे बताया कि नवीन को वास्तव में इसकी परवाह भी नहीं है।

अन्य नाम

राज्य बीजेपी अध्यक्ष मनमोहन सामल का नाम भी विचाराधीन है, लेकिन उन्हें चंदबली सीट पर बीजेडी के ब्योमकेश रे से हार का सामना करना पड़ा। सुरेश पुजारी का नाम भी चर्चा में है। बीजेपी ने ओडिशा विधानसभा चुनावों में कुल 147 सीटों में से 78 सीटें जीतकर नवीन पटनायक के 24 साल के शासन का अंत कर दिया। लोकसभा चुनावों में भी बीजेपी ने ओडिशा में विपक्ष को धूल चटा दी, क्योंकि नवीन पटनायक की बीजेडी एक भी सीट नहीं जीत पाई। बीजेपी ने 21 सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस ओडिशा से 1 लोकसभा सांसद भेजने में सफल रही।

एक और दिलचस्प नाम गिरीश चंद्र मुर्मू का है। वे गुजरात कैडर के 1985 बैच के रिटायर्ड IAS अधिकारी हैं और गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी के कार्यकाल के दौरान उनके प्रधान सचिव थे। मुर्मू का करियर 2004 में तब शुरू हुआ जब उन्हें गुजरात गृह विभाग का संयुक्त सचिव बनाया गया, जिसके प्रमुख अमित शाह थे और सीधे नरेंद्र मोदी इसकी निगरानी करते थे। उन्हें 2002 के गुजरात दंगों के मामलों को संभालने का काम सौंपा गया था।

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10 जून को होगा शपथग्रहण समारोह

ओडिशा के नए सीएम का शपथ ग्रहण समारोह 10 जून को भुवनेश्वर में होगा। यह समारोह जनता मैदान में आयोजित किया जाएगा। दिल्ली में बीजेपी के शीर्ष नेताओं के साथ ओडिशा के विधायकों और सभी सांसदों की अलग-अलग बैठकें तय की गई हैं। राज्य के सभी नवनिर्वाचित सांसद पहले से ही दिल्ली में हैं। बीजेपी संसदीय बोर्ड ओडिशा के नए मुख्यमंत्री पर फैसला लेगा।

Akhilesh

Akhilesh

First Published: Jun 08, 2024 9:48 PM

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