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Rajasthan Polls: कांग्रेस-BJP ने 29 नेताओं के रिश्तेदारों को बनाया उम्मीदवार, देखें- किसे कहां से मिला टिकट

Rajasthan Polls: 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 78 सीटों, जबकि कांग्रेस ने 96 सीटों पर कब्जा किया था। यदि तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खिलाफ बगावत से बीजेपी को झटका नहीं लगा होता तो वह निर्दलीय विधायकों को साथ लेकर सरकार बना सकती थी। 2018 के चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने छह सीटें जीतीं और 14 सीटें निर्दलीयों के खाते में गईं

अपडेटेड Oct 30, 2023 पर 7:20 PM
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Rajasthan Polls: बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियों ने वंशवाद की राजनीति के खिलाफ बात की है

Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान में 25 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव में मुख्य प्रतिद्वंद्वी सत्ताधारी कांग्रेस (Congress) और भारतीय जनत पार्टी (BJP) के बीच मुख्य मुकाबला होगा। 200 विधानसभा सीटों वाले राजस्थान में बीजेपी ने अब तक 124 सीटों और सत्तारूढ़ कांग्रेस ने 95 सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा की है। दोनों पार्टियों की तरफ से अबतक कम से कम 29 ऐसे उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं, जो या तो नेताओं के रिश्तेदार हैं या फिर किसी राजनीतिक परिवार से ताल्लुकात रखते हैं।

दोनों पार्टियों के नेताओं ने कहा कि उन्होंने अपनी-अपनी पार्टियों के भीतर किसी भी विद्रोह से बचने के लिए ये कदम उठाए हैं। न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, 124 उम्मीदवारों की अपनी दो लिस्ट में बीजेपी ने कम से कम 11 लोगों को टिकट दिया है जो प्रमुख नेताओं के परिवार के सदस्य हैं। वहीं, अब तक 95 उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी कांग्रेस ने राजनीतिक परिवारों से आने वाले 18 लोगों को टिकट दिया है।

बेटे, बेटियां, पोतियां और बहुएं शामिल


बीजेपी की लिस्ट में कई प्रमुख नेताओं के बेटे, बेटियां, पोतियां और बहुएं शामिल हैं। लिस्ट में उन नेताओं के परिजनों को उचित स्थान दिया गया जिनकी स्वास्थ्य समस्याओं की वजह से असमय मौत हो गई। बीजेपी ने दिवंगत सांसद सांवर लाल जाट के बेटे राम स्वरूप लांबा को नसीराबाद सीट से और दिवंगत पूर्व राज्य मंत्री दिगंबर सिंह के बेटे शैलेश सिंह को डीग-कुम्हेर निर्वाचन क्षेत्र से टिकट दिया है। बीजेपी ने 2018 में चुनाव जीतने वाले लांबा पर एक बार फिर से दांव लगाया है। उन्होंने इससे पहले अजमेर से लोकसभा उपचुनाव भी लड़ा था। हालांकि, वह कांग्रेस के रघु शर्मा से 80,000 वोटों के अंतर से चुनाव हार गए थे।

BJP ने प्रमुख उम्मीदवार

- देवली-उनियारा सीट से गुर्जर नेता किरोड़ी सिंह बैंसला के बेटे विजय चुनावी मैदान में हैं।

- नगर सीट से पूर्व सांसद और पूर्व जयपुर राजपरिवार की सदस्य गायत्री देवी की पोती दीया कुमारी विद्याधर नगर से चुनाव लड़ रही हैं।

- बीकानेर पूर्व से पूर्व सांसद करणी सिंह की पोती सिद्धि कुमारी को BJP ने टिकट दिया है।

- श्रीमाधोपुर से पूर्व विधायक हरलाल सिंह खर्रा के बेटे झाबर सिंह खर्रा चुनावी मैदान में हैं।

- मुंडावर से पूर्व विधायक धर्मपाल चौधरी के बेटे मंजीत चौधरी को भगवा पार्टी ने टिकट दिया है।

- नागौर से पूर्व सांसद नाथूराम मिर्धा की पोती ज्योति मिर्धा को उम्मीदवार बनाया गया है।

- धरियावद से पूर्व विधायक गौतम लाल मीणा के बेटे कन्हैया चुनाव लड़ रहे हैं।

- राजसमंद से पूर्व मंत्री किरण माहेश्वरी की बेटी दीप्ति को चुनावी मैदान में उतारा गया है।

- मकराना से पूर्व विधायक श्रीराम भींचर की बहू सुमिता को उतारा गया है।

- बीजेपी नेताओं के मुताबिक, यह कदम किसी भी बगावत से बचने के लिए उठाया गया है। ताकि विगत चुनाव जैसे नतीजों से बचा जा सके।

कांग्रेस की पारिवारिक लिस्ट!

कांग्रेस की 95 उम्मीदवारों की तीन लिस्ट में 18 ऐसे उम्मीदवार हैं, जो या तो कांग्रेसी नेताओं के रिश्तेदार हैं या फिर किसी राजनीतिक परिवार से ताल्लुकात रखते हैं।

- नोखा से पूर्व नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी की पत्नी सुशीला डूडी चुनाव लड़ रही हैं।

- सरदारशहर से पूर्व विधायक भंवर लाल शर्मा के बेटे अनिल शर्मा को उम्मीदवार बनाया गया है।

- झुंझुनू से पूर्व केंद्रीय मंत्री शीशराम ओला के बेटे बृजेंद्र ओला को कांग्रेस का टिकट मिला है।

- रामगढ़ से मौजूदा विधायक सफिया खान के पति जुबेर चुनावी मैदान में हैं।

- सुजानगढ़ से पूर्व मंत्री भंवरलाल मेघवाल के बेटे मनोज मेघवाल चुनाव लड़ रहे हैं।

- मंडावा से पूर्व विधायक रामनारायण चौधरी की बेटी रीटा चौधरी को टिकट मिला है।

- सवाई माधोपुर से पूर्व राज्यसभा सांसद अबरार अहमद के बेटे दानिश चुनावी मैदान में हैं।

- टोंक से पूर्व केंद्रीय मंत्री राजेश पायलट के बेटे सचिन पायलट चुनाव लड़ रहे हैं।

- डेगाना से पूर्व विधायक रिछपाल मिर्धा के बेटे विजयपाल हैं।

- लूणी से पूर्व मंत्री मलखान बिश्नोई के बेटे महेंद्र को कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया है।

- वल्लभनगर से पूर्व मंत्री गुलाब सिंह शक्तावत की बहू प्रीति चुनावी मैदान में हैं।

दोनों पार्टियों ने वंशवाद पर जताई चिंता

बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियों ने वंशवाद की राजनीति के खिलाफ बात की है। बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने वंशवाद की राजनीति को लोकतंत्र के लिए समस्या बताया है। वहीं, सितंबर के पहले हफ्ते में राजस्थान कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधवाड़ा ने अपनी पार्टी में वंशवाद की राजनीति पर चिंता व्यक्त की थी। उन्होंने कहा, ''अगर वरिष्ठ नेता अपने परिवार को पीछे नहीं रखेंगे तो पार्टी कैसे आगे बढ़ेगी। मेरा 22 साल का बेटा है लेकिन मैंने उसे कभी कोई पद नहीं दिया। मेरे पिता दो बार पार्टी प्रमुख और मंत्री रहे, लेकिन उन्होंने हमें कभी कोई पद नहीं दिया। 1997 में मुझे टिकट दिया गया, तब वह पीछे हट गए।''

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2018 के रिजल्ट

बता दें कि 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 78 सीटों, जबकि कांग्रेस ने 96 सीटों पर कब्जा किया था। यदि तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खिलाफ बगावत से बीजेपी को झटका नहीं लगा होता तो वह निर्दलीय विधायकों को साथ लेकर सरकार बना सकती थी। 2018 के चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने छह सीटें जीतीं और 14 सीटें निर्दलीयों के खाते में गईं। सत्तारूढ़ कांग्रेस ने भी राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले कई लोगों को मैदान में उतारा है। इनमें से अधिकांश ने 2018 का चुनाव भी जीता।

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