Rajasthan Election 2023: राजस्थान में चलेगा अशोक गहलोत का जादू या मोदी मैजिक दिला पाएगा BJP को जीत?

Rajasthan Election 2023: बीजेपी को इस बार राजस्थान में दोबारा जीत की उम्मीद है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने राज्य में जोरदार चुनावी अभियान चलाया हुआ। अपने अभियान में, मोदी के प्रमुख मु्द्दे- विकास, महिलाओं के लिए आरक्षण, 'गहलोत सरकार के भ्रष्टाचार', हिंदुत्व और सनातन धर्म हैं। अब सवाल ये है कि क्या अशोक गहलोत इन बाधाओं को पार करते हुए इस सरकार बदलने के इस ट्रेंड को उलट सकते हैं

अपडेटेड Oct 16, 2023 पर 6:09 PM
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Rajasthan Election 2023: एक कार्यक्रम के दौरान राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

Rajasthan Election 2023: राजस्थान में पिछले तीन दशकों में कोई भी मुख्यमंत्री लगातार दो बार नहीं जीता है। यानि वहां की जनता हर पांच साल में सत्ता की कमान अलग-अलग पार्टी को सौंपती है। जाहिर है इस बार कांग्रेस (Congress) ये रिकॉर्ड तोड़ना चाहेगी। जबकि भारतीय जनता पार्टी (BJP) फिलहाल तो इस ट्रेंड बनाए रखने के लिए कड़ी मेहनत करती दिख रही है। इस बार दोनों पार्टियों में बस फर्क इतना ही है कि बीजेपी राज्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और केंद्र के कामों के दम पर विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) लड़ रही है, जबकि कांग्रेस CM गहलोत और उनकी ढेर सारी कल्याणकारी योजनाओं के बलबूते मैदान में उतरी है।

बीजेपी को इस बार राजस्थान में दोबारा जीत की उम्मीद है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने राज्य में जोरदार चुनावी अभियान चलाया हुआ। अपने अभियान में, मोदी के प्रमुख मु्द्दे- विकास, महिलाओं के लिए आरक्षण, 'गहलोत सरकार के भ्रष्टाचार', हिंदुत्व और सनातन धर्म हैं। अब सवाल ये है कि क्या अशोक गहलोत इन बाधाओं को पार करते हुए इस सरकार बदलने के इस ट्रेंड को उलट सकते हैं?

अपनी योजनाओं के भरोसे अशोक गहलोत


वहीं तीन बार के सीएम और राज्य के एक प्रमुख OBC नेता, गहलोत अपनी कल्याणकारी योजनाओं के दम पर चौथे कार्यकाल की उम्मीद कर रहे हैं। ऐसी योजनाओं में सबसे महत्वपूर्ण है- चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना, जो 25 लाख रुपए तक का कवर देती है।

इस लिस्ट में अन्नपूर्णा फूड किट, वृद्धावस्था पेंशन में इजाफा, गैस सिलेंडर में सब्सिडी, 100 यूनिट तक मुफ्त बिजली, पुरानी पेंशन की बहाली और युवा महिलाओं को मोबाइल फोन देने की योजनाएं भी शामिल हैं। उन्होंने सत्ता में लौटने पर जाति जनगणना का भी वादा किया है।

इसके जवाब में प्रधानमंत्री लगातार राज्य को करोड़ों रुपए की योजनाओं की सौगात दे रहे हैं। 2 अक्टूबर को, मोदी चित्तौड़गढ़ में उतरे और 7000 करोड़ रुपए की विकास परियोजनाओं का अनावरण किया। पार्टी की जीत सुनिश्चित करने के लिए मोदी आने वाले दिनों में पूरे राज्य में प्रचार करेंगे और कई रैलियों को संबोधित करेंगे। BJP नेताओं का मानना ​​है कि राजस्थान में लोग 'मोदी ब्रांड' के लिए वोट करेंगे।

अंदरूनी कलह से बचना चाहती है BJP

जैसा कि हमने ऊपर बताया कि बीजेपी राजस्थान में अपने मुख्यमंत्री चेहरे ऐलान नहीं कर रही है। इसके पीछे जो बड़ा संभावित कारण सामने आ रहा है, वो ये कि पार्टी उम्मीदवारों के चयन को लेकर अंदरूनी कलह से बचना चाहती है।

BJP ने पार्टी की पहली लिस्ट में सात मौजूदा सांसदों को उम्मीदवार बनाया है। अगली लिस्ट में और भी सांसद हो सकते हैं। पहली लिस्ट में न केवल पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का नाम गायब था, बल्कि उनके करीबी नेताओं के नाम भी नहीं थे।

इससे BJP के उन नेताओं में नाराजगी है, जो टिकट चाहते थे। उन्होंने अब बगावती तेवर अपना लिए हैं और अपनी शिकायतें खुले तौर से जाहिर कर रहे हैं। इससे पार्टी की छवि को नुकसान पहुंच रहा।

आमतौर पर ऐसे अनुशासनहीनता कांग्रेस में देखने को मिला करती है। हालांकि, लगातार दो बार केंद्र की सत्ता में रहने के बाद ऐसा लगता है कि भगवा पार्टी ने भी ये अवगुण हासिल कर लिया है।

गहलोत सरकार का रिकॉर्ड औसत रहा

पिछले पांच सालों में अगर गहलोत सरकार के रिकॉर्ड की बात की जाए, तो उसका रिकॉर्ड औसत रहा। कुछ क्षेत्रों में तो ये औसत से भी नीचे है। NCRB के आंकड़ों के मुताबिक, महिलाओं और SC/ST के खिलाफ अपराध के मामले में राजस्थान टॉप पांच राज्यों में से एक है।

NCRB रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं के खिलाफ अपराधों की संख्या 2020 में 56.5% से बढ़कर 2021 में 64.5% हो गई। प्रति 1 लाख जनसंख्या पर ये घटनाएं हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021 में असम में महिलाओं के खिलाफ अपराध की दर सबसे ज्यादा है। इसके बाद शीर्ष राज्यों में ओडिशा, हरियाणा, तेलंगाना और राजस्थान शामिल हैं।

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2021 में दर्ज मामलों की वास्तविक संख्या के मामले में UP लिस्ट में टॉप पर है। इसके बाद राजस्थान, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और ओडिशा हैं।

अशोक गहलोत को 'जादूगर' भी कहा जाता है। क्योंकि उनके पिता लक्ष्मण सिंह गेहलोत एक पेशेवर जादूगर थे। मुख्यमंत्री खुद भी अपने करीबी लोगों के बीच एक शौकिया जादूगर के रूप में जाने जाते हैं। अगस्त 2022 में नई दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में, गहलोत ने कहा, "वे परमानेंट जादूगर हैं और प्रदेश में उनका जादू बरकरार है।" गहलोत ने कहा कि मेरा जादू अलग तरह का है।

Shubham Sharma

Shubham Sharma

First Published: Oct 16, 2023 6:07 PM

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