Telangana Elections 2023: Sunil Kanugolu ने दिलाई कांग्रेस को 'असंभव' जीत, कभी PM Modi के लिए किया था काम

Telangana Elections 2023: जिस कांग्रेस के तेलंगाना में तीसरे स्थान पर खिसकने की आशंका थी, आज वह पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने जा रही है। इसके पीछे एक ऐसे शख्स का हाथ है जिसने पहले तमिलनाडु में 2019 के लोकसभा चुनाव में डीएमके-कांग्रेस गठबंधन को शानदार सफलता दिलाई थी, फिर कर्नाटक में कांग्रेस सरकार बनाई थी। जानिए कौन है यह शख्स जिसने असंभव को संभव कर दिया

अपडेटेड Dec 03, 2023 पर 4:46 PM
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सुनील कनुगोलू कर्नाटक के बेल्लारी के एक जाने-माने परिवार से हैं। सिर्फ दस साल में ही उन्होंने काफी लंबा राजनीतिक गलियारा तय कर लिया है।

Telangana Elections 2023: जिस कांग्रेस के तेलंगाना में तीसरे स्थान पर खिसकने की आशंका थी, आज वह पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने जा रही है। इसके पीछे एक ऐसे शख्स का हाथ है जिसने पहले तमिलनाडु में 2019 के लोकसभा चुनाव में डीएमके-कांग्रेस गठबंधन को शानदार सफलता दिलाई थी, फिर कर्नाटक में कांग्रेस सरकार बनाई थी। खास बात ये भी है कि तमिलनाडु में अपना काम खत्म करने के बाद इस शख्स सुनील कानुगोलू (Sunil Kanugolu) को तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव (KCR) ने अपने फॉर्महाउस पर बुलाया था। हालांकि बात नहीं बन पाई और सुनील ने कांग्रेस का हाथ थाम लिया।

सुनील ने कर्नाटक के बाद अब तेलंगाना में कांग्रेस को सत्ता में पहुंचा दिया। ऐसे में अब केसीआर को इस बात का पछतावा हो रहा होगा कि क्यों सुनील के साथ बात नहीं बन पाई। अब यह जानना मजेदार होगा कि आखिर सुनील ने कांग्रेस के लिए रास्ता कैसे तैयार किया।

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Sunil Kanugolu कैसे जुड़े कांग्रेस से

दो साल से अधिक समय पहले तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर ने अपना चुनावी काम-काज सुनील कनुगोलू को सौंपने के लिए उन्हें हैदराबाद के पास स्थित अपने फार्महाउस में बुलाया था। कई दिनों की बातचीत के बाद भी बात नहीं बनी और सुनील ने केसीआर के लिए काम नहीं करने का फैसला किया। कुछ दिन बाद सुनील AICC की इलेक्शन स्ट्रैटेजी कमेटी के अध्यक्ष के रूप में कांग्रेस में शामिल हो गए।

इससे पहले उन्होंने तमिलनाडु में अपना काम खत्म किया था और अपने अगले काम के लिए बातचीत कर रहे थे। कांग्रेस में शामिल होने के बाद उन्होंने तेलंगाना और कर्नाटक दोनों विधानसभा चुनावों पर काम करना शुरू कर दिया। पिछले साल मई में उन्होंने कांग्रेस को कर्नाटक में जीत का स्वाद चखा दिया और अब आज तेलंगाना में भी जीत हासिल करा दी। हालांकि मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में वह सफल नहीं हो सके।

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आसान नहीं रहा तेलंगाना का सफर

कर्नाटक के विपरीत तेलंगाना में सुनील के लिए काम आसान नहीं था। यहां कांग्रेस लगभग निचले स्तर पर पहुंच गई थी। पार्टी में कोई उत्साह नहीं था और उम्मीद भी नहीं थी। इसके अलावा गुटबाजी ने स्थिति और बिगाड़ दी। सुनील ने इसे एक चुनौती के रूप में लिया और राहुल गांधी सहित पार्टी के आकाओं से कहा कि वे केसीआर को हरा सकते हैं। उस समय यह दावा अजीब ही लग रहा था क्योंकि केसीआर के साथ लड़ाई में बीजेपी सबसे तेज आगे बढ़ रही थी और कांग्रेस कहीं लड़ाई में ही नहीं थी। ऐसे में सुनील के लिए यह सफर आसान नहीं रहा।

चुपचाप काम करते हुए, अपने तरीकों पर विश्वास करते हुए सुनील ने सबसे पहले कांग्रेस को व्यवस्थित किया। कर्नाटक की तरह उन्होंने केसीआर को बैकफुट पर लाकर नैरेटिव सेट करना शुरू कर दिया। केसीआर ने इसे व्यक्तिगत रूप से लिया और सुनील के पीछे पुलिस भेज दी। हैदराबाद में उनके कार्यालय पर छापा मारा गया और सभी इक्विपमेंट जब्त कर लिए गए। सुनील को पुलिस ने पूछताछ के लिए बुलाया भी था। इसके बाद उन्होंने एक नया ऑफिस बनाया और अपना काम जारी रखा। इस प्रकार बिना सामने आए, बिना हल्ला-गुल्ला उन्होंने कांग्रेस को तेलंगाना की सत्ता में पहुंचा दिया।

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तेलंगाना में कैसी रही स्ट्रैटेजी

कांग्रेस के लिए तेलंगाना में लड़ाई इसलिए भी काफी कठिन थी कि बीजेपी का वोटिंग शेयर जितना बढ़ता, उससे केसीआर सत्ता में और मजबूत होते। इसे लेकर सुनील ने सबसे पहले राज्य में भाजपा के प्रभाव को सीमित करने की कोशिश की। बीजेपी को नीचे लाकर उन्होंने केसीआर के साथ लड़ाई में सीधे कांग्रेस को खड़ा कर दिया। उन्होंने केसीआर को बैकफुट पर लाकर नैरेटिव सेट करना शुरू कर दिया। इसके अलावा वाईएसआर की बेटी वाईएस शर्मिला को इस साल अप्रैल में पुलिस ने हिरासत में लिया था। उन्होंने KCR को सबक सिखाने की कसम खाई थी लेकिन बाद में सुनील उन्हें तेलंगाना में उम्मीदवार नहीं उतारने के लिए मनाने में कामयाब रहे। इसके अलावा टीडीपी प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू भी इस चुनाव से पीछे हट गए। इसने सुनील के लिए रास्ता और आसान कर दिया।

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निजी और प्रोफेशनल जिंदगी के बारे में

सुनील कनुगोलू कर्नाटक के बेल्लारी के एक जाने-माने परिवार से हैं। उनका जन्म चेन्नई में हुआ था और वहीं पले-बढ़े। उन्होंने अमेरिका से उच्च शिक्षा हासिल की थी और एक वैश्विक मैनेजमेंट कंसल्टिंग फर्म मैकिन्से के लिए काम किया। भारत लौटने के बाद वह गुजरात की राजनीतिक रणनीतियों में शामिल हो गए और एसोसिएशन ऑफ बिलियन माइंड्स (ABM) का काम संभाला। वह 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रमुख रणनीतिकारों में से एक थे। उन्होंने 2017 की शुरुआत में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में भाजपा के बेहद सफल अभियान को संभाला था।

उन्होंने तमिलनाडु के एमके स्टालिन के साथ भी काम किया। 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान उनके नेतृत्व में डीएमके गठबंधन को लोकसभा की 39 में से 38 सीटें मिली। हालांकि फिर बाद में उन्होंने स्टालिन का साथ छोड़ दिया और बंगलुरु चले आए। वह कुछ समय आराम करना चाहते थे। हालांकि फिर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री Edappadi K. Palaniswami (EPS) ने उन्हें सरकारी नीतियों और चुनावों पर सलाह देने के लिए राजी किया। ईपीएस ने 2021 के विधानसभा चुनाव में 75 सीटें जीतीं। अब उन्होंने कांग्रेस को कर्नाटक और तेलंगाना में जीत दिला दी। सिर्फ दस साल में ही उन्होंने काफी लंबा राजनीतिक गलियारा तय कर लिया है। सुनील को पिछले साल कन्याकुमारी से कश्मीर तक राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो यात्रा' की रणनीति बनाने का भी श्रेय दिया जाता है।

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