Vidhan Sabha Chunav 2024: बीजेपी की कैंडिडेट लिस्ट में 'विनिंग स्ट्रैटजी', झारखंड में 'हरियाणा फॉर्मूला', महाराष्ट्र में 'मिक्स इफेक्ट'
पहले बात करते हैं झाखंड की। झारखंड में बीजेपी चुनाव से ठीक पहले JMM के कद्दावर नेता चंपाई सोरेन को अपने खेमे में लाने में कामयाब रही है। कैंडिडेट लिस्ट में भी इसका प्रभाव दिखा है। बीजेपी ने चंपाई सोरेन और उनके बेटे बाबूलाल सोरेन को टिकट दिया है। चंपाई सोरेन को बीजेपी ने उनकी परंपरागत सीट से उतारा है, वहीं बाबूलाल को घाटशिला सीट से टिकट दिया गया है
Vidhan Sabha Chunav 2024: बीजेपी की कैंडिडेट लिस्ट में 'विनिंग स्ट्रैटजी'
झारखंड और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने अपनी पहली लिस्ट जारी कर दी है। बीजेपी की पहली सूची में ही अच्छी-खासी संख्या में उम्मीदवारों का ऐलान किया गया है। झारखंड में पार्टी ने 66 सीटों पर कैंडिडेट की घोषणा की है। 81 सदस्यीय विधानसभा में गठबंधन के तहत बीजेपी के हिस्से 68 सीटें आई हैं। सहयोगी आजसू के पास 10 सीटे हैं, तो वहीं JDU के पास 2 और LJP (रामविलास) के पास एक। महाराष्ट्र में बीजेपी ने 99 सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं। महाराष्ट्र की 288 सदस्यीय विधानसभा में मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बीजेपी के पास 156 सीटें हैं।
पहले बात करते हैं झाखंड की। झारखंड में बीजेपी चुनाव से ठीक पहले JMM के कद्दावर नेता चंपाई सोरेन को अपने खेमे में लाने में कामयाब रही है। कैंडिडेट लिस्ट में भी इसका प्रभाव दिखा है। बीजेपी ने चंपाई सोरेन और उनके बेटे बाबूलाल सोरेन को टिकट दिया है। चंपाई सोरेन को बीजेपी ने उनकी परंपरागत सीट से उतारा है, वहीं बाबूलाल को घाटशिला सीट से टिकट दिया गया है।
चंपाई सोरेन की खुशी, काम करेगा 'तुरुप का इक्का'
टिकट बंटवारे के ठीक बाद चंपाई सोरेन ने अपनी प्रतिक्रिया भी दे दी है। उन्होंने कहा- "झारखंड में बीजेपी को अब तक की सबसे बड़ी जीत मिलेगी। परिवर्तन रैली में जनता का भरपूर सहयोग मिल रहा है। झारखंड की जनता ने परिवर्तन का संकेत दे दिया है। बीजेपी ने विचार करके बेटे को टिकट देने का निर्णय लिया है।"
दरअसल बीजेपी जानती है कि 26 प्रतिशत आदिवासी आबादी वाले राज्य में चंपाई सोरेन उसके लिए तुरुप का इक्का साबित होने वाले हैं। लंबे समय तक शिबू सोरेन के सहयोगी रहे चंपाई सोरेन की कई सीटों पर आदिवासी वोटर्स में अच्छी पकड़ है, जिसका फायदा बीजेपी को मिल सकता है।
हरियाणा की तर्ज पर बांटे कई टिकट
इसके अलावा टिकट बंटवारे में इस बार बीजेपी ने हरियाणा की तर्ज पर पार्टी से जुड़े नेताओं के परिवार को टिकट देने में कोताही नहीं की है। बाघमारा विधानसभा सीट पर पार्टी सांसद ढुल्लू महतो अपने भाई शत्रुघ्न महतो को टिकट दिलाने में कामयाब रहे हैं। पोटका विधानसभा सीट पर 3 बार की विधायक रहीं मेनका सरदार की जगह इस बार बीजेपी ने दिग्गज नेता अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा को उम्मीदवार बनाया है।
वहीं आजसू सांसद चंद्र प्रकाश चौधरी के भाई रोशनलाल चौधरी को पार्टी ने बड़कागांव सीट से प्रत्याशी बनाया है। रोशनलाल चौधरी ने दो दिन पहले ही बीजेपी ज्वाइन की है।
जमशेदपुर विधानसभा सीट से पूर्व CM रघुवर दास की बहू पूर्णिमा दास को टिकट दिया गया है। हालांकि पार्टी ने बीते विधानसभा चुनाव में जीते अपने ज्यादातर कैंडिडेट्स का टिकट इस बार भी बरकरार रखा है।
पार्टी ने 2019 में जीते अपने 26 में से 23 विधायकों को फिर टिकट दिया है। केवल तीन विधायकों के टिकट काटे गए हैं। JMM से जुड़ा इतिहास रखने वाले नेताओं को भी बीजेपी ने कुछ जगह मैदान में उतारा है।
झारखंड में 'हिमंता इफेक्ट'
राज्य में बीजेपी के चुनाव प्रभारी असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा हैं। नॉर्थ-ईस्ट की राजनीति में बड़े दिग्गजों में शुमार किए जाने वाले हिमंता लगातार सत्ताधारी गठबंधन पर हमलावर रहे हैं। राज्य में बांग्लादेशी घुसपैठियों के मुद्दे को बीजेपी जोर-शोर से उठा रही है। चुनावी प्रचार के बीच टिकट वितरण में बीजेपी ने खयाल रखा है कि सभी समीकण सही जगह फिट किए जाएं। 2019 में राज्य की सत्ता से बेदखल हुई बीजेपी इस बार सरकार बनाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है।
महाराष्ट्र में साधे जातीय समीकरण, ज्यादातर सीटिंग विधायकों पर भरोसा
महाराष्ट्र की बात करें तो बीजेपी ने अब तक जिन 99 नामों की घोषणा की है, उनमें से 80 लोग पहले से विधायक हैं। यानी पार्टी ने बड़ी संख्या में सिटिंग विधायकों पर अपना भरोसा जताया है। पार्टी ने इस बार बगावती सुर अपनाने वाले टेकचंद सावरकर का टिकट काट दिया है। उनकी जगह कामठी विधानसभा सीट से बीजेपी ने प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले को मैदान में उतारा है। OBC समाज से ताल्लुक रखने वाले बावनकुले का टिकट पार्टी ने 2019 विधानसभा चुनाव में काट दिया था।
वहीं चिंचवाड़ सीट से अश्विनी जगताप की जगह शंकर जगताप को टिकट दिया गया है। माना जा रहा है कि अश्विनी शरद पवार की अगवाई वाली NCP का दामन थाम सकते हैं।
ओबीसी वोटर्स को साधने की कोशिश
माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में ओबीसी वोटर्स में लगी सेंध को बीजेपी साधने की पूरी कोशिश कर रही है। साथ ही पहली लिस्ट में ही किसी भी अल्पसंख्यक को टिकट न देकर बीजेपी ने अपनी हिंदुत्ववादी राजनीति का भी सीधा संदेश देने की कोशिश है। इस बार का महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव ऐसी राजनीतिक परिस्थितियों में हो रहा है जहां एनसीपी और शिवसेना जैसी पार्टियां 'अपनों 'के ही आमने-सामने हैं। ऐसे में बीजेपी ने टिकट बंटवारे में जातीय समीकरण को पूरी तरह साधने की कोशिश की है।
कई दिग्गजों के बेटे-बेटियों को टिकट
इसके अलावा बीजेपी ने कई सीटों पर दिग्गज नेताओं के बेटे-बेटियों को भी उतारा है। इनमें अशोक चव्हाण की बेटी श्रीजया चव्हाण को भोकर से, निलंगा सीट से संभाजी पाटिल को टिकट दिया गया है। पूर्व सीएम नारायण राणे नारायण राणे के छोटे बेटे नीतेश राणे को कंकावली सीट से दोबारा उम्मीदवार बनाया गया है। बड़े बेटे नीलेश राणे एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना में शामिल होकर कुडाल निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ सकते हैं। इसके अलावा बीजेपी की लिस्ट में महिला उम्मीदवारों की भी अच्छी खासी संख्या। पहली लिस्ट में 13 महिला उम्मीदवारों का नाम शामिल है।
छोटी पार्टियों की रह सकती है अहम भूमिका
महाराष्ट्र चुनाव में इस बार छोटी पार्टियों की भूमिका भी अहम रह सकती है। इसलिए टिकट बंटवारे के बीच बीजेपी ने चुनाव बाद परिदृश्य पर भी नजर रखी हुई है। इस बीच ऐसी भी खबरें आई हैं कि हरियाणा की तर्ज पर स्थानीय स्तर पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ भी हजारों की संख्या में बैठक कर सकता है। लोगों की समस्याएं सुनने और उनकी नाराजगी दूर करने में संघ भी भारतीय जनता पार्टी की मदद कर सकता है।