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Dhanteras-2024: धनतेरस की रात घर के बाहर जलाएं यम दीपक, अकाल मौत का भय होगा दूर

Dhanteras-2024: कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी तिथि के दिन धनतेरस का पर्व है। इस दिन भगवान धन्वंतरी की पूजा की जाती है। इसके साथ ही यमराज के नाम का दीया भी जलाया जाता है। यम के नाम से दीपदान करके व्यक्ति को अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है। जानिए यम दीपदान का सही तरीका और इसका धार्मिक महत्व

MoneyControl Newsअपडेटेड Oct 22, 2024 पर 2:33 PM
Dhanteras-2024: धनतेरस की रात घर के बाहर जलाएं यम दीपक, अकाल मौत का भय होगा दूर
Dhanteras-2024: धनतेरस के दिन दीपदान के अलावा सुख समृद्धि के भी कुछ उपाय किए जाते हैं।

कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी तिथि के दिन धनतेरस का पर्व मनाया जाता है। इस दिन आरोग्य की प्राप्ति के लिए भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है। धनतेरस के दिन इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि, इस दिन यमराज की पूजा दीपदान करके की जाती है। इस दिन घर के बाहर दक्षिण दिशा में यमराज के नाम का दीपक जलाया जाता है। इससे यम प्रसन्न होते हैं। अकाल मृत्यु का भय खत्म होता है। कार्तिक कृष्ण पक्ष के त्रयोदशी को यमराज की प्रसन्नता के लिए दीपदान करने का खास महत्व हिंदू धार्मिक ग्रंथो में बताया गया है। आइये जानते हैं कैसे दीपदान करें?

हरिद्वार के ज्योतिषी पंडित श्रीधर शास्त्री ने कहा कि कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस या धन त्रयोदशी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन माता लक्ष्मी, धन के देवता कुबेर महाराज, धनवंतरी देव की पूजा के साथ यम देवता की पूजा करने का विशेष महत्व है। माता लक्ष्मी और कुबेर महाराज की पूजा करने से धन के भंडार भर जाते हैं। वहीं धनवंतरी देव की पूजा करने से आरोग्यता मिलती है। इसके साथ ही यम देवता के निमित्त दीपदान करने से अकाल मृत्यु का नाश हो जाता है।

धनतेरस के दिन दक्षिण दिशा में जलाएं यम का दीपक

पंडित श्रीधर शास्त्री ने आगे कहा कि त्रयोदशी के दिन दक्षिण दिशा में पहला दीपक यम देवता की प्रसन्नता के लिए जलाना चाहिए। जिससे अकाल मृत्यु का भय हमेशा के लिए खत्म हो जाता है। मिट्टी के दीपक में सरसों का तिल का तेल भर सकते हैं। इसमें नई बाती होनी चाहिए। दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके 'मृत्युना दण्डपाशाभ्यां कालेन श्यामया सह। त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतां मम॥' मंत्र बोलकर दीपों का दान करे। इससे यमराज खुश होते हैं। यह त्रयोदशी प्रदोष व्यापिनी शुभ होती है। पुराणों के अनुसार इस दिन ऐसा करने से अकाल मृत्यु का डर खत्म होता है। पूरे साल में एक मात्र यही वह दिन है। जब मृत्यु के देवता यमराज की पूजा दीपदान करके की जाती है। कुछ लोग ‘नरक चतुर्दशी’ के दिन भी दीपदान करते हैं। जिसे छोटी दीपावली भी कहा जाता है।

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