होली की मस्ती के रंग फीके पड़ते ही, रंग पंचमी का उल्लास चारों ओर छा जाता है। फाल्गुन पूर्णिमा को होली का भव्य आयोजन करने के ठीक पांच दिन बाद, रंगों का ये अनोखा पर्व पूरे श्रद्धा और उमंग के साथ मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी ने प्रेम और आनंद के रंगों में सराबोर होकर होली खेली थी। यही कारण है कि मथुरा-वृंदावन में इसे होली उत्सव का अंतिम दिन माना जाता है। लोककथाओं के अनुसार, देवी-देवता भी इस दिन पृथ्वी पर अवतरित होकर होली के रंगों में रम जाते हैं।