Adani Group Stocks: अडानी ग्रुप के शेयरों की विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) में कितनी हिस्सेदारी है, अब बाजार नियामक सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने इसकी जानकारी मंगाई है। सेबी ने भारतीय बैंकों के डेजिनेटेड डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट्स (DDPs) को 30 सितंबर तक के एफपीआईज के बेनिफिशियल ओनरशिप डिटेल्स अपडेट करने को कहा है। सेबी का यह निर्देश इसलिए अहम है क्योंकि अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) की रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि अडानी ग्रुप की कंपनियों में निवेश करने वाले कई फंड्स ऐसे हैं जिनमें बेनिफिशिएल ओनरशिप की जानकारी छुपाई गई है। हिंडनबर्ग ने अडानी ग्रुप की कंपनियों पर स्टॉक मैनिपुलेशन और अकाउंटिंग फ्रॉड पर आरोप लगाया है।
SEBI के निर्देश से बढ़ी FPIs की दिक्कतें
बाजार नियामक ने जो मेल भेजा है, उसमें अगर किसी एफपीआई ने बेनिफिशिएल ओनरशिप का खुलासा नहीं किया है तो उसका रजिस्टर्ड स्टेटस खत्म किया जाएगा। इसका मतलब हुआ है कि ऐसा होने पर एफपीआई को अडानी ग्रुप की कंपनियों में अपनी होल्डिंग्स बेचने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा और 31 मार्च 2024 तक अपने रजिस्ट्रेशन को सरेंडर करना होगा।
बेनिफिशिएल ओनरशिप का क्या है मामला
सेबी ने बेनिफिशिएल ओनरशिप की पहचान के प्रावधानों के तहत DDPs को मेल भेजा है। यह क्लॉज कुछ विशेष परिस्थितियों में लागू होता है। अगर भारत में अपने पैसों से निवेश करने वाली एफपीआई में किसी और एंटिटी या फर्म का निवेश नहीं है और एफपीआई में किसी भी निवेश की हिस्सेदारी 10 फीसदी से अधिक नहीं है तो एफपीआई पर ओनरशिप या कंट्रोल सीनियर मैनेजिरियल पर्सनल का माना जाएगा। इन्हें बेनिफिशिएल ओनर के तहत पर लिया जाएगा। अब सेबी ने इसी की जानकारी अपडेट करने को कहा है।