Crypto News: वैश्विक स्तर पर वित्तीय सिस्टम पर दबाव दिख रहा है। ऐसे में दुनिया के बड़े देश एक साथ मिलकर इससे निपटने की कोशिश में हैं। दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों का समूह G7 क्रिप्टोकरेंसीज पर सख्ती करने की तैयारी में है। जापान की न्यूज एजेंसी के मुताबिक कारोबारी पारदर्शिता बढ़ाने और कंज्यूमर्स के हितों की सुरक्षा के लिए क्रिप्टोकरेंसीज पर ये देश वैश्विक नियम तय करेंगे। जी7 की यह बैठक जापान के हिरोशिमा शहर में 19-21 मई के बीच होगी। उससे पहले वाशिंगटन में अगले महीने के मध्य में जी20 देशों की बैठक में वित्त मंत्री और केंद्रीय बैंकों के गवर्नर इसे लेकर चर्चा कर सकते हैं। क्रिप्टो को लेकर फाइनल फ्रेमवर्क इस साल जुलाई तक तय करने का लक्ष्य है। जी7 देशों में अमेरिका, कनाडा, फ़्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और ब्रिटेन शामिल हैं।
क्रिप्टो की मौजूदा स्थिति की बात करें तो जापान में इसे लेकर पहले से नियम-कानून हैं। कनाडा और अमेरिका में इस पर मौजूदा नियम-कानून लागू हैं। भारत की बात करें तो यह क्रिप्टो एसेट्स से मुनाफे पर 30 फीसदी टैक्स का प्रावधान है जिस पर सरचार्ज और 4 फीसदी सेस अतिरिक्त है। वहीं इसकी बिक्री पर 1 फीसदी टीडीएस भी है।
क्रिप्टो एक्सचेंज के ढहने के बाद अब बैंकों के डूबने पर बढ़ी चिंता
पिछले साल नवंबर में दिग्गज क्रिप्टो एक्सचेंज FTX ढह गया। इसके बाद क्रिप्टो इंडस्ट्री में कमजोर गवर्नेंस को लेकर सवाल उठे। हालांकि मामला तब और गंभीर हो गया जब इसी महीने अमेरिका के दो बैंक सिलिकॉन वैली बैंक और सिग्नेचर बैंक डूब गए। इसने चिंता और बढ़ा दी। सिलिकॉन वैली बैंक मुख्य रूप से टेक स्टार्टअप्स से डील करता था और सिग्नेचर बैंक क्रिप्टो क्लाइंट्स से। ऐसे में पूरे वित्तीय सिस्टम को संभालने का दबाव दुनिया भर के देशों पर है।
क्रिप्टो रेगुलेशन को लेकर क्या हो रहा दुनिया भर में
पिछले साल अक्टूबर में फाइनेंशियल स्टेबिलिटी बोर्ड ने कुछ सिफारिशें जारी की थी जिसमें एक यह था कि क्रिप्टो एसेट्स को कॉमर्शियल बैंकों के एक्टिविटीज के रेगुलेशन के हिसाब से चलना होगा। हालांकि इस बोर्ड का फाइनल फ्रेमवर्क अभी इस साल जुलाई में आना है। इस साल फरवरी में इंटरनेशनल मॉनीटरी फंड (IMF) ने एक पॉलिसी पेपर में कुछ प्वाइंट्स दिए थे, जिस पर क्रिप्टो से जुड़े नियमों को तैयार करने से पहले सभी देशों को विचार करने को कहा गया। आईएमएफ के मुताबिक क्रिप्टो एसेट्स को ऑफिशियल करेंसी या लीगल टेंडर का स्टेटस नहीं देना चाहिए।