Bitcoin Crypto Market Surge: पिछले दिनों अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रेसिप्रोकल टैरिफ पर 90 दिन की रोक का ऐलान किया। इससे सभी निवेश संपत्तियों में बड़ी हलचल देखने को मिली। खासकर, शेयर मार्केट और क्रिप्टोकरेंसी में जोरदार रैली देखने को मिली। दुनिया की सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन (Bitcoin) कीमतों में भी टैरिफ पर रोक के बाद जबरदस्त उछाल आया।
BTC अब दोबारा $85,000 के पार पहुंच गया है। Binance के अनुसार, 13 अप्रैल को Bitcoin की कीमत 2.3% बढ़कर $85,330 हो गई। इसका मौजूदा मार्केट कैप $1.7 ट्रिलियन है। इससे पहले टैरिफ वॉर जब चरम पर थी, तो बिटकॉइन प्राइस में लगातार गिरावट दिख रही थी। यह गिरकर $74,000 तक आ गई थी, जो 7 नवंबर 2024 के बाद इसका सबसे निचला स्तर था।
बिटकॉइन में तेजी की क्या वजह है?
बिटकॉइन समेत सभी क्रिप्टोकरेंसी में तेजी की तीन अहम वजहें रहीं। आइए इनके बारे में जानते हैं।
Pi Network और बाकी क्रिप्टो का क्या हाल है?
Ethereum ($1,605), BNB ($592.64) और XRP ($2.13) जैसी दूसरी क्रिप्टोकरेंसीज में भी उछाल आया है। ये सभी हाल ही में अपने पांच महीने के निचले स्तर पर थीं। एनालिस्टों के मुताबिक, Bitcoin, Ethereum और Dogecoin में तेजी दर्ज की गई है। हाल ही में सूचीबद्ध एक नई प्रमुख क्रिप्टोकरेंसी Pi Network Coin ने भी इसी तरह की तेजी दर्ज की।
Pi Network पिछले सप्ताह $0.5 से नीचे गिरने के बाद रविवार को $0.77 तक पहुंच गया। बीते 24 घंटे में इसमें 7.9% की वृद्धि हुई है। Pi Network एक Web3 ब्लॉकचेन प्रोजेक्ट है। यह यूजर्स को मोबाइल फोन पर ही क्रिप्टोकरेंसी माइन करने की सुविधा देता है। वहीं, Bitcoin के लिए महंगे माइनिंग इक्विपमेंट की जरूरत होती है। Pi Coin केवल ऐप को रोजाना एक बार खोलने से कमाया जा सकता है। इसे 2019 में Stanford के ग्रेजुएट्स द्वारा शुरू किया गया था।
क्रिप्टो मार्केट में अब आगे क्या होगा?
एक्सपर्ट का मानना है कि ग्लोबल मार्केट स्थिरता आने का फायदा बिटकॉइन समेत पूरे क्रिप्टो मार्केट को मिलेगा। CIFDAQ ग्रुप के फाउंडर और चेयरमैन हिमांशु मराडिया ने कहा, “ट्रंप की 90 दिन की टैरिफ रोक और अस्थायी रूप से शुल्क को 10% तक सीमित करने से मैक्रोइकॉनॉमिक अनिश्चितताएं कम हुई हैं। इससे क्रिप्टो बाजार में नई उम्मीद जगी है।'
हिमांशु का कहना है कि अब बाजार सहभागियों को बेहतर तरलता और मजबूत आर्थिक माहौल की उम्मीद है। इससे क्रिप्टो जैसे इनवेस्टमेंट एसेट की मांग बढ़ी है, जिसमें 'ज्यादा रिस्क, ज्यादा रिवॉर्ड' की गुंजाइश रहती है। निवेशकों का मानना है कि एक कम अस्थिर भू राजनीतिक और व्यापारिक माहौल से क्रिप्टो बाजार में पूंजी प्रवाह को और बढ़ावा मिलेगा।