Budget 2023 : कैपिटल गेंस टैक्स (Capital Gains Tax) के नियम आसान होने से निवेश को प्रोत्साहन मिलता है। इनवेस्टर्स इनवेस्टमेंट करते वक्त टैक्स कॉस्ट का कैलकुलेशन कर लेते हैं। अभी कैपिटस गेंस टैक्स का जो नियम है, वह बहुत जटिल है। लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस और शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस के लिए होल्डिंग पीरियड अलग-अलग एसेट के लिए अलग-अलग हैं। टैक्स के रेट्स भी अलग-अलग हैं। लंबे समय से इसे आसान बनाने की मांग हो रही है। उम्मीद है कि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) यूनियन बजट 2023 (Union Budget 2023) में इस बारे में ऐलान करेंगी। इससे शेयरों सहित दूसरे एसेट्स में निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा। टैक्स कंप्लायंस भी बढ़ेगा। फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को यूनियन बजट 2023 पेश करेंगी।
एसेट्स के होल्डिंग पीरियड को भी तर्कसंगत बनाने की जरूरत
इेंडेक्सेशन बेनेफिट भी अलग-अलग एसेट के लिए अलग-अलग है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि अभी होल्डिंग पीरियड की तीन कैटेगरी है। इसे घटाने की जरूरत है। उदाहरण के लिए अगल लिस्टेड कंपनियों के शेयर 12 महीने से ज्यादा वक्त तक रखने के बाद बेचा जाता है तो उससे होने वाले प्रॉफिट को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस माना जाता है। REITs और InvITs की यूनिट्स 36 महीने रखने के बाद बेचने पर उससे हुए मुनाफे को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस माना जाता है। इसे घटाकर 12 महीने करने की जरूरत है।
शेयरों से एक लाख रुपये से ज्यादा के लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस पर लगता है टैक्स
नॉन-इक्विटी म्यूचुअल फंड्स की यूनिट्स पर कैपिटल गेंस टैक्स के लिए होल्डिंग पीरियड को घटाकर 24 महीने करने की जरूरत है। एक साल के बाद शेयरों और इक्विटी म्यूचुअल फंड्स की यूनिट्स को बेचने पर अगर कैपिटल गेंस 1 लाख रुपये से ज्यादा रहता है तो उस पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स लगता है। इसे फाइनेंस एक्ट 2018 के जरिए लागू किया गया था। इसका मकसद इनवेस्टर्स को अलग-अलग तरह के एसेट्स में निवेश के लिए प्रेरित करना था।
कैपिटल गेंस से छूट के लिए बॉन्ड में निवेश का नियम दूसरे एसेट्स के लिए लागू किया जाए
अगर जमीन या घर को बेचने से मिले पैसे को सरकार के निर्धारित बॉन्ड्स में निवेश किया जाता है तो कैपिटल गेंस टैक्स नहीं लगता है। इसके लिए निवेश की सीमा 50 लाख रुपये है। उम्मीद है कि यूनियन बजट 2023 में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण इस सीमा को बढ़ाएगी। अभी सिर्फ जमीन या घर बेचकर सरकार के निर्धारित बॉन्ड्स में पैसा लगाने पर कैपिटल गेंस से छूट मिलती है। इस बेनेफिट का दायरा बढ़ाने की जरूरत है। दूसरे एसेट्स को भी इस बेनेफिट के दायरे में लाने की जरूरत है। इससे इंफ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड में निवेश को बढ़ावा मिलेगा। इस बार कैपिटल गेंस टैक्स के नियमों में बदलाव की काफी उम्मीद है। अगर यह उम्मीद पूरी होती है तो टैक्सपेयर्स को बहुत खुशी होगी।