बजट 2023 : किसान इस बार यूनियन बजट (Union Budget 2023) में अपने लिए बड़े ऐलान होने की उम्मीद लगाए बैठे हैं। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने किसानों की इनकम बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं। इसके बावजूद अभी उनकी इनकम दोगुनी नहीं हो पाई है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि सरकार को फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्यों (MSP) को कानूनी दर्जा देने की जरूरत है। इसका दायरा बढ़ाकर इसमें दलहन, खाद्य तेल और दूसरे कमोडिटीज को शामिल करने की भी जरूरत है। इससे किसानों की इनकम दोगुनी करने में मदद मिलेगी। चूंकि, यह यूनियन बजट अगले साल लोकसभा चुनावों से पहले केंद्र सरकार का अंतिम पूर्ण बजट होगा, जिससे इसमें कृषि क्षेत्र पर सरकार का फोकस बढ़ने की उम्मीद है। फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) 1 फरवरी को यूनियन बजट पेश करेंगी।
कोरोना के दौरान सिर्फ कृषि क्षेत्र ने ग्रोथ दिखाई थी
कोरोना की महामारी के दौरान आर्थिक गतिविधियां ठप हो गई थी। इसका सीधा असर इकोनॉमिक ग्रोथ पर पड़ा था। जीडीपी बढ़ने के बजाय घट गई थी। ऐसे समय में भी कृषि क्षेत्र ने अच्छी ग्रोथ दिखाई थी। फाइनेंशियल ईयर 2020-21 में एग्रीकल्चर सेक्टर की ग्रोथ 3 फीसदी थी। फाइनेंशियल ईयर 2022-23 की पहली छमाही में एग्रीकल्चर, फॉरेस्ट्री और फिशिंग की ग्रोथ 10.8 फीसदी रही है। यह कोरोना से पहले के मुकाबले ज्यादा है।
केंद्र की मोदी सरकार ने कृषि क्षेत्र पर बढ़ाया है फोकस
केंद्र की मोदी सरकार ने कृषि क्षेत्र पर अपना फोकस बढ़ाया है। फाइनेंशियल ईयर 2015-16 के दौरान एग्रीकल्चर और फार्मर्स वेल्फेयर के लिए बजट आवंटन 24,460.51 करोड़ रुपये था। फाइनेंशियल ईयर 2022-23 में यह बढ़कर 1,38,550 करोड़ रुपये पहुंच गया। सरकार ने खेती और किसानों के लिए कई स्कीम शुरू की है। सरकार ने फाइनेंशियल ईयर 2018-19 में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN) की शुरुआत की थी। इसके तहत किसानों को 2000 रुपये की तीन बराबर किस्तों में कुल 6000 रुपये की आर्थिक मदद हर साल दी जाती है। सरकार आंकड़ों के मुताबिक, इस स्कीम के लिए सरकार करीब 2 लाख करोड़ रुपये जारी कर चुकी है। इसका लाभा 11.3 करोड़ किसान परिवारों को मिला है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना 2016 में शुरू की गई थी। इस बीमा स्कीम के तहत 11 करोड़ से ज्यादा किसानों को क्लेम मिल चुका है। सरकार के मुताबिक, किसानों की तरफ से चुकाए जाने वाले हर 100 रुपये के प्रीमियम पर 493 रुपये क्लेम का भुगतान किया गया है। किसानों की पहुंच बैंकों और दूसरी संस्थाएं तक बढ़ी है। इससे उन्हें खेती के लिए आसानी से कर्ज हासिल हो रहा है।
किसानों की इनकम बढ़ाने के उपाय करने होंगे
एक्सपर्ट्स का कहना है कि सरकार को किसानों की इनकम बढ़ाने के लिए उपायों के ऐलान करने होंगे। जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के एग्री-इकोनॉमिस्ट हिमांशु ने कहा कि किसानों की इनकम बढ़ने की बजाय घटी है। उन्होंने कहा, "ग्रामीण इलाकों में मजदूरी घटी है। बीमा बहुत अहम नहीं है। हमें किसानों की इनकम बढ़ाने की जरूरत है।" एक्सपर्ट्स का कहना है कि पीएम-किसान स्कीम को लंबे समय तक जारी रखना मुमकिन नहीं है। फूड पॉलिसी एनालिस्ट देवेंदर शर्मा ने कहा कि फाइनेंस मिनिस्टर को यह देखना होगा कि हम किस तरह की कृषि चाहते हैं। रबर प्लांटेशंस ध्वस्त हो चुका है। यह ऐसा ट्रेंड है, जिसे मैं देशभर में देख रहा हूं।