Budget 2023 : इन 7 एक्जम्प्शन और डिडक्शन की बढ़नी चाहिए लिमिट, क्या बजट में पूरी होगी आस?
Budget 2023 : महंगाई और लिविंग कॉस्ट में बढ़ोतरी के इस दौर में टैक्सपेयर्स को बजट के कुछ ऐलानों से उनके हाथ में कुछ अतिरिक्त फंड बचने का भरोसा है। बेसिक एग्जम्प्शन लिमिट में बढ़ोतरी, टैक्स रेट्स में कमी, खर्च और निवेश के लिए नए एग्जम्प्शन या डिडक्शंस की पेशकश आदि उपाय टैक्सपेयर्स के लिए खासे मुफीद हो सकते हैं
हाउसिंग लोन पर 2 लाख रुपये तक के इंटरेस्ट पर डिडक्शन हासिल है। इसे बढ़ाकर 3 लाख रुपये किया जाना चाहिए
Budget 2023 : आम आदमी इस बजट से टैक्स डिडक्शंस और एग्जम्प्शंस से जुड़े कई ऐलान की आस लगाए बैठा है। महंगाई और लिविंग कॉस्ट में बढ़ोतरी के इस दौर में आम आदमी को उम्मीद है कि बजट के ऐलानों से उनके हाथ में कुछ अतिरिक्त फंड्स बचेगा। बेसिक एग्जम्प्शन लिमिट (exemption limit) में बढ़ोतरी, टैक्स रेट्स में कमी, खर्च और निवेश के लिए नए एग्जम्प्शन या डिडक्शंस की पेशकश आदि उपाय टैक्सपेयर्स के लिए खासे मुफीद हो सकते हैं। इस लेख में, हम सामान्य टैक्सपेयर्स की उम्मीदों के बारे में बात कर रहे हैं...
सेक्शन 80सी के तहत डिडक्शन
Section 80C के तहत अधिकतम डिडक्शन की लिमिट 1.5 लाख रुपये है, जो 2015-16 में तय की गई थी। सरकार इस सेक्शन के तहत डिडक्शन की लिमिट बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये करने पर विचार कर सकती है। इससे न सिर्फ टैक्स बचेगा, बल्कि निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा।
इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 10 (14) दो बच्चों के लिए बच्चों के एजुकेशन अलाउंस के संबंध में हर महीने 100 रुपये प्रति बच्चा टैक्स एग्जम्प्शन की पेशकश करता है। वहीं प्रति बच्चा 300 रुपये महीना हॉस्टल एक्सपेंडिचर अलाउंस पर एग्जम्प्शन भी उपलब्ध है। यह लिमिट 1997 में तय की गई थी, जिसका आज कोई औचित्य नहीं रहा है।
सातवें सेंट्रल पे कमीशन में सरकार कर्मचारियों के लिए एजुकेशन अलाउंस और हॉस्टल एक्सपेंडिचर के लिए क्रमशः 2,250 रुपये और 6,750 रुपये प्रति महीने की सिफारिश की गई थी। यह 1 जुलाई, 2017 से प्रभावी है। इसे ध्यान में रखते हुए, बच्चों का एजुकेशन अलाउंस 2,250 रुपये प्रति महीना प्रति बच्चा और हॉस्टल एक्सपेंडिचर अलाउंस 6,750 रुपये प्रति महीना प्रति बच्चा तय किया जाना चाहिए।
बच्चों की इनकम पेरेंट के हाथ में जाने के मामले में एग्जम्प्शन को 1993 में पेश किया गया था। तब से, यह लिमिट अधिकतम दो बच्चों पर 1,500 रुपये प्रति बच्चा बनी हुई है। बीते 30 साल में पैसे की वैल्यू खासी कम हो गई है। ऐसे में यह बढ़कर कम से कम 10,000 रुपये प्रति बच्चा होनी चाहिए।
लीव ट्रैवल अलाउंस
Leave Travel Allowance : यह अलाउंस कर्मचारियों को परिजनों के साथ छुट्टियों में घूमने के लिए प्रोत्साहित करता है। एलटीए के तहत चार साल में दो बार एलटीए क्लेम किया जा सकता है। इसे 1986 में पेश किया गया था। इसके बाद कामकाज में तनाव का स्तर खासा बढ़ गया है और लोगों में साल में दो बार घूमने का चलन आम हो गया है। इसे चार साल में दो बार की जगह ‘हर साल’ के लिए कर देना चाहिए। साथ ही इसे अंतर्राष्ट्रीय ट्रैवल के लिए भी बढ़ाना चाहिए।
रेंट पर टैक्स डिडक्शन
Section 80GG उन लोगों के लिए पेश किया गया था, जिन्हें एचआरए नहीं मिलता लेकिन वे रेंट का भुगतान कर रहे हैं। इसके तहत सालाना 60,000 रुपये का डिडक्शन सीमित है। फिलहाल रेंट की कॉस्ट विशेषकर टियर 1 शहरों में खासी बढ़ चुकी है। इसलिए, अब डिडक्शन की अधिकतम लिमिट 5,000 रुपये से बढ़ाकर 25,000 रुपये प्रति महीना की जानी चाहिए।
एम्प्लॉयर की तरफ से गिफ्ट पर टैक्स फ्री लिमिट
एम्प्लॉयर की तरफ से फेस्टिवल्स और शादी, बच्चों के जन्म आदि अवसरों पर गिफ्ट देना आम बात हो गई है। ऐसे गिफ्ट्स की कीमत साल में 5,000 रुपये या उससे ज्यादा होने पर शर्तों के तहत टैक्स लगता है। यह टैक्स 2001 में पेश किया गया था। अब 22 साल हो चुके हैं।
वहीं जीएसटी के तहत एम्प्लॉयर की तरफ से एम्प्लॉई को मिलने वाले 50,000 रुपये तक के गिफ्ट पर छूट हासिल है। अब Income Tax Act में जीएसटी की तर्ज पर इस लिमिट को 50,000 रुपये प्रति वर्ष करने की जरूरत है।
हाउसिंग लोन पर इंटरेस्ट के लिए डिडक्शन
हाउसिंग लोन पर 2 लाख रुपये तक के इंटरेस्ट पर डिडक्शन हासिल है। इसे बढ़ाकर 3 लाख रुपये किया जाना चाहिए।
इस कदम से न सिर्फ हाउसिंग सेक्टर के लिए डिमांड बढ़ेगी, बल्कि टैक्सपेयर्स को भी टैक्स देनदारी पर राहत मिलेगी।
(Homi Mistry डेलॉय इंडिया में पार्टनर हैं। Deloitte Haskins & Sells LLP में डायरेक्टर Mousami Nagarsenkar, मैनेजर Monil Gangar, और टैक्स सीनियर Swapnil Desai ने भी इस लेख के लिए योगदान किया है।)