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बजट 2023 : निर्मला सीतारमण Gold ETF की चमक बढ़ाने के ऐलान करेंगी, कैपिटल गेंस टैक्स घटेगा

बजट 2023 : सरकार ने करेंट अकाउंट डेफिसिट को बढ़ने से रोकने के लिए पिछले साल जुलाई में गोल्ड पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाई थी। गोल्ड आयात बढ़ने से करेंट अकाउंट डेफिसिट बहुत बढ़ा है। इसलिए सरकार चाहती है कि लोग गोल्ड ज्वेलरी की जगह गोल्ड ईटीएफ जैसे फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स में निवेश करें। इसके मद्देनजर सरकार गोल्ड ईटीएफ के कैपिटल गेंस टैक्स के नियमो में बदलाव कर सकती है

अपडेटेड Jan 20, 2023 पर 9:12 AM
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Gold ETF की शुरुआत 2005-2006 में हुई थी। इसका मकसद इनवेस्टर्स को गोल्ड में निवेश का आसान ऑप्शन देना था। अब सरकार को इसे बढ़ावा देने के लिए कदम उठाने की जरूरत है।

चिराग मेहता

बजट 2023: फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) के यूनियन बजट 2023 (Budget 2023) से गोल्ड इंडस्ट्री को बहुत उम्मीदें हैं। पिछले बजट (Budget 2022) में उन्होंने गोल्ड इंडस्ट्री को निराश किया था। उन्होंने इंपोर्ट ड्यूटी में कमी नहीं की थी। फिर, जुलाई में सरकार ने गोल्ड पर बेसिक इंपोर्ट ड्यूटी 7.5 फीसदी से बढ़ाकर 12.5 फीसदी कर दी। इसका मकसद करेंट अकाउंट डेफिसिट को बढ़ने से रोकना था। उम्मीद है कि यूनियन बजट 2023 में वित्तमंत्री गोल्ड इंडस्ट्री के लिए राहत का ऐलान करेंगी। सरकार गोल्ड ईटीएफ (Gold ETF) और म्यूचुअल फंड्स के टैक्स के नियमों में बदलाव कर सकती है। ये स्कीमें अपने कॉर्पस का 90 फीसदी गोल्ड में इनवेस्ट करती हैं। ये फिजिकल गोल्ड के मुकाबले सोने में निवेश के बेहतर माध्यम हैं। ऐसे में सरकार को इनमें निवेश के लिए निवेशकों को प्रोत्साहित करने की जरूरत है। फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को यूनियन बजट पेश करेंगी।

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कैपिटल गेंस टैक्स में कमी करने की जरूरत

अभी Gold ETF में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस 20 फीसदी है। लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस के लिए होल्डिंग पीरियड 3 साल है। हालांकि, इसके साथ इंडेक्सेशन का बेनेफिट मिलता है। वित्त मंत्री को अगले बजट में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स को घटाकर 0-10 फीसदी कर देना चाहिए। साथ ही होल्डिंग पीरियड को 3 साल से घटाकर 1 साल कर देना चाहिए। इससे गोल्ड ईटीएफ में निवेश करने में लोगों की दिलचस्पी बढ़ेगी। इनवेस्टर्स फिजिकल गोल्ड के बजाय गोल्ड ईटीएफ में निवेश करना पसंद करेंगे।

2005-06 में हुई थी गोल्ड ईटीएफ की शुरुआत

Gold ETF की शुरुआत 2005-2006 में हुई थी। इसका मकसद इनवेस्टर्स को गोल्ड में निवेश का आसान ऑप्शन देना था। अब सरकार को इसे बढ़ावा देने के लिए कदम उठाने की जरूरत है। इससे सेविंग्स और इनवेस्टमेंट के मकसद से लोग फिजिकल गोल्ड के बजाय गोल्ड ईटीएफ में निवेश के लिए प्रेरित होंगे। सरकार भी चाहती है कि लोग गोल्ड ज्वेलरी जैसे फिजिकल गोल्ड की जगह ईटीएफ जैसे फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स में इनवेस्ट करें। यह लोगों के लिए ज्यादा फायदेमंद होने के साथ ही सरकार के लिए भी बेनेफिशियल है।

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बढ़ रही गोल्ड ईटीएफ में इनवेस्टर्स की दिलचस्पी

एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) के मुताबिक, दिसंबर 2019 में गोल्ड ईटीएफ के फोलियो की संख्या 3.5 लाख थी। यह दिसंबर 2022 में बढ़कर 46.4 लाख हो गई। इस अवधि में गोल्ड ईटीएफ का एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) 5,800 करोड़ रुपये से बढ़कर 21,000 करोड़ रुपये हो गया। ये आंकड़े बताते हैं कि लोगों की दिलचस्पी गोल्ड के इस फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स में बढ़ रही है। ऐसे में सरकार को गोल्ड ईटीएफ के कैपिटल गेंस टैक्स के नियमों में बदलाव करने की जरूरत है।

(चिराग मेहता क्वांटम एएमसी के चीफ इनवेस्टमेंट ऑफिसर हैं। इस लेख में व्यक्त विचार उनके निजी विचार है। ये इस पब्लिकेशन के विचार नहीं हैं।)

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