Budget 2023: साल 2023 की शुरुआत से इंडियन स्टॉक मार्केट के प्रमुख सूचकांक सीमित दायरे में चढ़ते-उतरते रहे हैं। इसके मुकाबले ग्लोबल मार्केट्स (Global Markets) में कुछ ज्यादा रौनक देखने को मिली है। हालांकि, साल 2022 में इंडियन मार्केट्स (Indian Markets) का प्रदर्शन दुनिया के दूसरे बाजारों के मुकाबले काफी अच्छा रहा। बीते साल दुनिया के कई बड़े बाजारों ने निवेशकों का पैसा डुबाया है। पिछले साल आई तेजी के बाद कंसॉलिडेशन स्वाभाविक है। लेकिन अभी बाजार में थोड़ी घबराहट दिख रही है। इसकी वजह यूनियन बजट 2023 हो सकता है। इलेक्शन से पहले के इस बजट से काफी उम्मीदें हैं। लेकिन, शेयर बाजार की नजरें इस बात पर लगी हैं कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण फिस्कल डेफिसिट को नियंत्रण में रखते हुए कंजम्प्शन और निवेश बढ़ाने के लिए क्या उपाय करती हैं।
ग्रामीण इलाकों पर खर्च बढ़ने की उम्मीद
ग्लोबल इकोनॉमी के हालात को देखते हुए अगर वित्तमंत्री फिस्कल डेफिसिट को घटाने पर फोकस बढ़ाती हैं तो इससे कोरोना के बाद इकोनॉमी में आई रिकवरी पर असर पड़ सकता है। इसके अलावा शेयर बाजार की नजरें कंजम्प्शन बढ़ाने के लिए सरकार के उपायों पर लगी हैं। इस बात की काफी ज्यादा उम्मीद है कि सरकार ग्रामीण इलाकों पर अपना खर्च बढ़ाएगी। यह भी उम्मीद है कि कैपिटल एक्सपेंडिचर पर सरकार का फोकस बना रहेगा, क्योंकि प्राइवेट इनवेस्टमेंट अब तक रफ्तार नहीं पकड़ सका है। उधर, जियोपॉलिटिकल हालात को देखते हुए डिफेंस और आत्मनिर्भरता पर सरकार का फोकस बना रहेगा।वा देने के उपाय हो सकते हैं
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इस साल बाजार की चाल पर नजर
यह सिर्फ आने वाले समय में पता चलेगा कि वित्तमंत्री इन सभी उम्मीदों को किस तरह पूरा करती हैं। हालांकि, बजट से पहले हम मार्केट में अब तक रिटर्न के मुकाबले वैल्यूएशन को देखना चाहेंगे। इससे बजट के बाद मार्केट की चाल का अंदाजा लगाया जा सकता है। सबके दिमाग में सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या बजट के बाद शेयर बाजार में तेजी आएगी। पिछले सालों के मुकाबले नए साल में मार्केट की एंट्री कमजोर रिटर्न के साथ हुई है।
दुनिया में सबसे महंगा नहीं इंडियन मार्केट
हालांकि, ग्रोथ का आउटलुक बहुत अच्छा नहीं है। खासकर ग्लोबल इकोनॉमी में स्लोडाउन को देखते हुए हालात मुश्किल लग रहे हैं। फिर भी हमें अगले फाइनेंशियल ईयर में निफ्टी कंपनियों की कमाई की ग्रोथ डबल डिजिट में रहने की उम्मीद है। ग्लोबल मार्केट्स के कमजोर प्रदर्शन की वजह से हमारे मार्केट की वैल्यूएशन थोड़ी कम लग सकती है। अभी इंडियन मार्केट्स की वैल्यूएशन एक साल के फॉरवर्ड अर्निंग्स का 18.9 गुना है। यह पक्के तौर पर दुनिया में सबसे महंगा नहीं है।