Budget 2023: बजट के दिन शेयर बाजार चढ़ेगा या गिरेगा? जानिए पिछले 8 साल में निफ्टी का रिकॉर्ड

Budget 2023: निर्मला सीतारमण इस बार कई ऐसे ऐलान कर सकती हैं, जिनसे स्टॉक मार्केट पर सीधा असर पड़ेगा। इनमें लॉन्ग टर्म कैपिटल गैंस के नियमों में फर्क दूर करने के उपाय भी शामिल होंगे। इसके अलावा वह फिस्कल कंसॉलिडेशन पर फोकस करेंगी। इसका भी शेयर बाजार पर अच्छा असर पड़ेगा

अपडेटेड Jan 19, 2023 पर 9:13 AM
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पिछले दो-तीन सालों में सरकार ने अपना खर्च बढ़ाया है, लेकिन प्राइवेट इनवेस्टमेंट की रफ्तार सुस्त रही है। उम्मीद है कि यूनियन बजट 2023 में सरकार प्राइवेट इनवेस्टमेंट बढ़ाने के लिए कुछ उपायों का ऐलान कर सकती है।

Budget 2023: फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) के यूनियन बजट 2023 (Budget 2023) से शेयर बाजार को भी कई उम्मीदें हैं। लिस्टेड और अनलिस्टेड शेयरों के कैपिटल गेंस के नियमों में अभी काफी अंतर है। मार्केट एक्सपर्ट्स को उम्मीद है कि वित्त मंत्री इस अंतर को दूर करने का ऐलान यूनियन बजट में कर सकती हैं। बजट में इकोनॉमिक ग्रोथ बढ़ाने और कई सेक्टर को PLI के दायरे में लाने के भी ऐलान हो सकते हैं। इसका असर स्टॉक मार्केट्स पर भी पड़ेगा। मार्केट को उम्मीद है कि सरकार ग्रामीण इलाकों में डिमांड बढ़ाने के उपायों पर भी फोकस करेगी। ऐसा होने पर FMCG कंपनियों के शेयरों में उछाल दिख सकता है। फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को यूनियन बजट 2023 पेश करेगी।

पिछले 8 साल में बजट के दिन 5 बार निफ्टी चढ़ा था

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के पिछले 8 बजट सत्र में 5 बार बजट के दिन निफ्टी तेजी के साथ बंद हुआ है। बाकी 3 बार बजट के दिन निफ्टी लाल निशान में बंद हुआ है। इलेक्शन से पहले के दो बजटों में सरकार ने कैपिटल एक्सपेंडिचर पर अपना फोकस बढ़ाया था। इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए भी आवंटन बढ़ाया गया था। वेल्फेयर स्कीमों के लिए भी सरकार ने खर्च बढ़ाया है। खासकर कोरोना की महामारी के दौरान आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को राहत देने के लिए सरकार ने ऐसा किया था।


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कैपिटल एक्सपेंडिचर बढ़ाने का ऐलान करेगी सरकार

एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगले साल लोकसभा इलेक्शंस को देखते हुए सरकार कैपिटल एक्सपेंडिचर बढ़ाने का ऐलान कर सकती है। इसकी उम्मीद इसलिए ज्यादा है क्योंकि इस साल 9 राज्यों में विधानसभा चुनाव भी होने वाले हैं। इसलिए सरकार का फोकस रोजगार के मौके और इकोनॉमिक ग्रोथ बढ़ाने पर होगा। पूंजीगत खर्च का बड़ा हिस्सा इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च होगा। इसमें सड़क, मेट्रो, रेलवे, डिफेंस, डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर और ग्रीन टेक्नोलॉजीज शामिल होंगे।

प्राइवेट इनवेस्टमेंट बढ़ाने के भी उपाय होंगे

पिछले दो-तीन सालों में सरकार ने अपना खर्च बढ़ाया है, लेकिन प्राइवेट इनवेस्टमेंट की रफ्तार सुस्त रही है। उम्मीद है कि यूनियन बजट 2023 में सरकार प्राइवेट इनवेस्टमेंट बढ़ाने के लिए कुछ उपायों का ऐलान कर सकती है। सरकार PLI स्कीम के तहत कुछ और सेक्टर को लाएगी। अभी 14 सेक्टर इस स्कीम के तहत शामिल हैं। यह संख्या बढ़ाए जाने की उम्मीद है। दरअसल, सरकार PLI स्कीम के जरिए मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के साथ ही रोजगार के मौके भी बढ़ाना चाहती है।

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ग्रामीण इलाकों पर रहेगा बजट का फोकस

एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोरोना के बाद इकोनॉमिक रिकवरी अच्छी रही है। इससे शहरी क्षेत्रों में तो डिमांड बढ़ी है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में डिमांड अब भी सुस्त बनी हुई है। इसलिए बजट में सरकार ग्रामीण इलाकों पर फोकस बढ़ा सकती है। ग्रामीण इलाकों से जुड़ी वेल्फेयर स्कीम के लिए आवंटन बढ़ने की उम्मीद है। साथ ही ग्रामीण इलाकों में इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर करने पर सरकार को जोर रहेगा। इससे लोगों के हाथ में पैसा पहुंचेगा।

सब्सिडी पर घट सकता है सरकार का खर्च

मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि सरकार यूनियन बजट 2023 में फिस्कल कंसॉलिडेशन पर भी फोकस बढ़ाएगी। फर्टिलाइजर और फूड सब्सिडी पर सरकार का खर्च घटने की उम्मीद है। इससे सरकार को अपनी वित्तीय स्थिति को ठीक करने में मदद मिलेगी। सब्सिडी खर्च में कमी का अच्छा असर स्टॉक मार्केट्स पर भी पड़ेगा। इसकी वजह यह है कि अगर सरकार पर खर्च का दबाव घटता है तो उसे मार्केट से कम उधार लेना होगा। सरकार के कम उधार लेने से बॉन्ड यील्ड नियंत्रण में रहेगी। इसका सीधा असर इंटरेस्ट रेट पर पड़ेगा।

Rakesh Ranjan

Rakesh Ranjan

First Published: Jan 19, 2023 9:02 AM

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