Budget 2024-25: सरकार बजट 2024-25 में सब-असेंबली और कंपोनेंट्स सेक्टर के लिए एक नई PLI (प्रोडक्शन-लिंक्ड इनसेंटिव) स्कीम का ऐलान कर सकती है। 35,000 से 40,000 करोड़ रुपये की सीमा में होने वाली इस योजना पर इलेक्ट्रॉनिक्स और इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी मिनिस्ट्री में फरवरी से ही काम चल रहा है। इस मामले से वाकिफ कई लोगों ने मनीकंट्रोल को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि देश में कंपोनेंट्स की अधिक से अधिक सोर्सिंग के लिए सरकार एक ईकोसिस्टम बनाना चाहती है। इसी को ध्यान में रखकर इस नई PLI स्कीम पर काम चल रहा है।
इस स्कीम को तैयार करने में सभी स्टेकहोल्डर्स से भी राय ली गई है। सरकार को उम्मीद है इस स्कीम के लॉन्च होने के बाद देश में सोर्सिंग से जुड़ी चिताएं दूर हो जाएंगी, जो अभी तक PLI स्कीम पर हावी रही है।
हालांकि इंडस्ट्री के एक सूत्र ने बताया कि इस स्कीम में भाग लेने वाली कंपनियों को ढूंढना एक वास्तविक चुनौती होगी। एक दूसरे सूत्र ने कहा कि भारत में जरूरी हाई क्वालिटी वाले कंपोनेंट्स का निर्माण नहीं होता है, जो लोकल सोर्सिंग को बढ़ावा देने की राह में एक वास्तविक चुनौती है।
चीन का दबदबा तोड़ने की होगी कोशिश
इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट इकोसिस्टम के करीब 90 प्रतिशत हिस्से पर चीन का दबदबा है। एक सूत्र ने कहा, "आप एक ऐसे देश से पूरा इकोसिस्टम हटाने की कोशिश कर रहे हैं, जिसे बनने में तीन दशक से ज्यादा का समय लगा है।" इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट के क्षेत्र में चीन का दबदबा अभी बरकरार है। वह सालाना करीब 900 अरब डॉलर के इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट्स का निर्यात करता है, जबकि भारत अभी करीब 15 बिलियन डॉलर का ही निर्यात कर पाता है।
यहां तक साल 2010 तक भारत और वियतनाम बराबर मूल्य इलेक्ट्रॉनिक्स गुड्स का एक्सपोर्ट करते थे। लेकिन उसके बाद से वियतनाम के एक्सपोर्ट्स में भारत के मुकाबले लगभग नौ गुना अधिक बढ़ोतरी हुई है। यहां तक कि कई चाइनीज इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियों ने भी अब अपने प्लांट वियतनाम में खोल दिए हैं। ऐसे में अगर कोई कंपनी चीन से समान नहीं मंगा रही है, तो चाइनीज सप्लायर उसी सामान को वियतनाम के जरिए भेज रहे हैं।