Budget 2024-25 : सरकार हर साल अपना बजट (Union Budget) पेश करती है। केंद्र सरकार के बजट को यूनियन बजट कहा जाता है। इसमें अगले फाइनेंशियल ईयर में सरकार के फाइनेंशियल प्लान की जानकारी होती है। सरकार बताती है कि उसे कुल कितने पैसे मिलेंगे और वह उन पैसों को कहां-कहां खर्च करेगी। सरकार यह भी बताती है कि वह इनकम और खर्च के बीच के अंतर को कैसे पूरा करेगी। यह बजट हर साल 1 फरवरी को वित्तमंत्री की तरफ से पेश किया जाता है। वित्तमंत्री Nirmala Sitharaman अपना छठा बजट अगले महीने की 1 तारीख को पेश करेंगी। वह अंतरिम बजट (Interim Budget) पेश करेंगी। अंतरिम बजट क्या है, अंतरिम बजट क्यों पेश किया जाता है, सरकार के लिए अंतरिम बजट पेश करना अनिवार्य है? आइए इन सवालों के जवाब जानने की कोशिश करते हैं।
अंतरिम बजट का मतलब एक अस्थायी बजट से जिसे सरकार अपने कुछ महीनों के अपने खर्च के लिए पेश करती है। लोकसभा चुनाव जिस साल होने होते हैं, उस साल सरकार पूर्ण बजट की जगह अंतरिम बजट पेश करती है। इस साल अप्रैल-मई में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं। इसलिए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को अंतरिम बजट पेश करेंगी। इसमें लोकसभा चुनावों के बाद नई सरकार के पूर्ण बजट पेश करने तक सरकार के खर्च का प्रस्ताव होगा। सरकार इस प्रस्ताव पर संसद की मंजूरी हासिल करेगी।
सरकार पूर्ण बजट पेश होने तक इंतजार क्यों नहीं करती है?
यूनियन बजट 1 अप्रैल से लेकर 31 मार्च तक वैलिड होता है। इसलिए सरकार को 1 अप्रैल से लेकर तब तक अपने खर्च का इंतजाम करना पड़ता है जब तक पूर्ण बजट पेश और पारित नहीं हो जाता है। इसलिए सरकार अंतरिम बजट पेश करती है और वोट ऑन अकाउंट पर संसद की मंजूरी हासिल करती है। अगर वह अंतरिम बजट पेश नहीं करेगी तो नए वित्त वर्ष के शुरुआती कुछ महीनों के खर्च के लिए उसके पास पैसे नहीं होंगे।
अंतरिम बजट और पूर्ण बजट में क्या फर्क है?
अंतरिम बजट में सरकार का फोकस अपनी इनकम और खर्च पर होता है। इलेक्शन कमीशन के नियमों के मुताबिक, सरकार को अंतरिम बजट में पॉलिसी में बड़ा बदलाव करने की इजाजत नहीं है। उसे इनकम टैक्स के नियमों में भी बड़े बदलाव करने की इजाजत नहीं है। इसके उलट पूर्ण बजट में सरकार अपनी पॉलिसी में किसी तरह का बदलाव कर सकती है। वह इनकम टैक्स सहित दूसरे टैक्सेज में भी बड़े बदलाव पूर्ण बजट में कर सकती है।
अंतरिम बजट में वोट-ऑन-अकाउंट का प्रावधान शामिल होता है। यह सरकार को तब तक अपने जरूरी खर्चों के लिए कंसॉलिडेटेड फंड ऑफ इंडिया का इस्तेमाल करने की इजाजत देता है जब तक पूर्ण बजट पेश और पारित नहीं हो जाता है। यह वित्त वर्ष के शुरुआती कुछ महीनों के लिए वैलिड होता है।
क्या अंतरिम बजट और वोट-ऑन-अकाउंट के प्रोसेस अलग-अलग हैं?
हां, दोनों के प्रोसेस अलग-अलग हैं। अंतरिम बजट में अकाउंट्स, एस्टमेंट्स और रिसीट शामिल होते हैं। यह पूर्ण बजट के जैसे होते हैं लेकिन ये छोटी अवधि के लिए होते हैं। वोट-ऑन-अकाउंट को संसद में बगैर चर्चा के पारित कर दिया जाता है। इसमें सिर्फ खर्च के प्रस्ताव होते हैं।
क्या चुनाव वाले साल में अंतरिम बजट पेश करना अनिवार्य है?
नहीं, यह जरूरी नहीं है। सरकार के पास वोट-ऑन-अकाउंट का विकल्प है। लेकिन, आम तौर पर सरकार लोकसभा चुनाव वाले साल में अंतरिम बजट पेश करना पसंद करती है। 2019 में लोकसभा चुनाव थे। तब एनडीए सरकार ने अंतरिम बजट पेश किया था।