Budget 2024-25 : टैक्सपेयर्स के बीच इनकम टैक्स एक्ट, 1961 (Income Tax Act) के सेक्शन 80सी की चर्चा सबसे ज्यादा होती है। इसकी वजह यह है कि इस सेक्शन के तहत टैक्सपेयर्स को डिडक्शन का फायदा मिलता है। इस सेक्शन के तहत आने वाले इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश कर टैक्स डिडक्शन का क्लेम किया जा सकता है। नौकरी करने वाले लोग इस सेक्शन के तहत आने वाले इंस्ट्रूमेंट का सबसे ज्यादा इस्तेमाल करते हैं। इससे टैक्सपेयर्स की लायबिलिटी घट जाती है। साथ ही टैक्सपेयर्स सेविंग्स करने को प्रोत्साहित होता है। पिछले कई साल से इस सेक्शन की लिमिट को सरकार ने नहीं बढ़ाया है। हर साल यूनियन बजट में टैक्सपेयर्स की आंखें सेक्शन 80सी पर लगी होती हैं। आइए जानते हैं पिछली बार इस सेक्शन की लिमिट कब बढ़ाई गई थी।
इनकम टैक्स सेक्शन के सेक्शन 80सी की लिमिट अभी सालाना 1.5 लाख रुपये है। इसका मतलब है कि कोई व्यक्ति इस सेक्शन के तहत आने वाले इंस्ट्रूमेंट्स में एक वित्त वर्ष में अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक निवेश करने पर टैक्स डिडक्शन का दावा कर सकता है। अगर कोई व्यक्ति इन इंस्ट्रूमेंट्स में एक वित्त वर्ष में दो लाख रुपये का निवेश करता है तो भी उसे 1.5 लाख रुपये का डिडक्शन क्लेम करने की इजाजत होगी। टैक्सपेयर्स किसी एक इंस्ट्रूमेंट या ज्यादा इंस्ट्रूमेंट में 1.5 लाख रुपये तक का निवेश कर टैक्स डिडक्शन का दावा कर सकता है। इस सेक्शन के तहत बच्चों की ट्यूशन फीस भी आती है। इसका मतलब है कि टैक्सपेयर्स को दो बच्चों तक की ट्यूशन फीस पर डिडक्शन का दाव करने की इजाजत है।
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सेक्शन 80सी की लिमिट आखिरी बार 2014 में बढ़ाई गई थी। वित्त वर्ष 2013-14 तक इस सेक्शन के तहत इनवेस्टमेंट की लिमिट एक लाख रुपये थी। वित्त वर्ष 2014-15 के लिए पेश यूनियन बजट में इस लिमिट को बढ़ाकर 1.5 लाख रुपये सालाना कर दिया गया था। इसका मतलब है कि इस सेक्शन में आखिरी बार 10 साल पहले किया गया था। हर साल यूनियन बजट में टैक्सपेयर्स को उम्मीद रहती है कि वित्तमंत्री की तरफ से इस सेक्शन की लिमिट बढ़ाने का ऐलान किया जाएगा।
एक्सपर्ट्स का मानना है कि 2014-15 से अब तक लोगों की इनकम में बड़ा बदलाव आया है। इस दौरान लोगों की सैलरी काफी बढ़ी है। लेकिन, सेक्शन 80सी की लिमिट में कोई बदलाव नहीं हुआ है। इससे सबसे ज्यादा नुकसान नौकरी करने वाले उन लोगों को होता है, जिनका ज्यादा पैसा टैक्स चुकाने में निकल जाता है। अगर इस लिमिट को बढ़ाया जाता है तो लोगों को टैक्स बचाने में मदद मिलेगी। एक्सपर्ट्स का कहना है कि सरकार को इस लिमिट को 1.5 लाख रुपये से बढ़ाकर कम से कम 3 लाख रुपये कर देनी चाहिए।