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Budget 2024-25 : पूर्व वित्तमंत्रियों के बजट भाषण की इन बातों को आज भी याद करते हैं लोग

Budget 2024-25 : पूर्व वित्त मंत्री मोरारजी देसाई से लेकर वर्तमान वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने हर बार यूनियन बजट पेश करने के दौरान कुछ ऐसी बातें कहीं जिसे आज भी लोग याद करते हैं। वित्त मंत्री बजट भाषण में सरकार के विजन, फोकस और प्राथमिकताओं का संकेत देते हैं। कई बार वे अपनी बातें कहने के लिए शेरो-शायरी का भी इस्तेमाल करते हैं

अपडेटेड Dec 14, 2023 पर 4:18 PM
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Budget 2024-25 : वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी, 2025 को छठी बार यूनियन बजट पेश करेंगी। पहली बार उन्होंने 5 जुलाई, 2019 को यूनियन बजट पेश किया था।

Budget 2024-25यूनियन बजट का बहुत लंबा इतिहास रहा है। वित्त मंत्री बजट भाषण में सरकार के विजन, फोकस और प्राथमिकताओं का संकेत देते हैं। पूर्व वित्त मंत्री मोरारजी देसाई से लेकर वर्तमान वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने हर बार यूनियन बजट पेश करने के दौरान कुछ ऐसी बातें कहीं जिसे आज भी लोग याद करते हैं। अगले साल 1 फरवरी को वित्तमंत्री Nirmala Sitharaman अंतरिम बजट पेश करेंगी। लोकसभा चुनावों से ठीक पहले आने वाले इस यूनियन बजट पर लोगों की निगाहें लगी हैं। इससे पहले लोकसभा के चुनाव साल 2019 में हुए थे। उस साल केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने अंतरिम बजट पेश किया था। चुनावों के बाद केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूसरी बार सरकार बनाने पर जुलाई में पूर्ण बजट पेश हुआ था। हम आपको पूर्व वित्त मंत्रियों के ऐसे कुछ मशहूर कोट के बारे में बता रहे हैं, जिसे आज भी लोग याद करते हैं।

मोरारजी देसाई, यूनियन बजट 1967-68

देसाई ने कहा था, "मैं अगले वित्त वर्ष को खास उम्मीद की नजरों से देखता हूं। उम्मीद है कि सही पॉलिसी की वजह से यह पॉजिटिव बदलाव का साल हो सकता है।" 1960 के दशक में इंडियन इकोनॉमी का स्वरूप बदलना शुरू हो गया था। तब इकोनॉमी में कृषि का बड़ा हाथ था। सरकार के सामने गरीबी खत्म करने की चुनौती थी। मोरारजी देसाई ने 1967-68 के बजट में बदलाव को लेकर सरकार का विजन पेश किया। उन्होंने जो बजट भाषण दिया उसमें इंडिया के लोगों की समृद्धि का ठोस रास्ता नजर आया।


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मनमोहन सिंह, यूनियन बजट 1991-92

सिंह ने कहा था, "धरती की कोई ताकत उस आइडिया को रोक नहीं सकती, जिसका समय अब आ गया है।" उनका इशारा लाइसेंस-परमिट राज के खात्मे से था। उन्होंने इंडियन इकोनॉमी स्ट्रक्चरल रिफॉर्म्स के बड़े कदम उठाए थे। उन्होंने अपने Union Budget भाषण में फ्रांस के एक मशूहर साहित्यकार की पंक्तियों के जरिए इकोनॉमी में बदलाव की जरूरत पर जोर दिया था।

पी चिदंबरम, यूनियन बजट 2006-07

चिदंबरम ने कहा था, "इंडिया के युवा किले बना रहे हैं। ऐसा लग सकता है कि ये हवाई किले हैं। लेकिन जैसा कि हेनरी डेविड थॉरो ने कहा था कि अगर आपने हवा में किले बनाए हैं तो आपका काम बेकार नहीं जाएगा। यह एक दिन वहीं नजर आएगा। अब उसकी बुनियाद बनाना शुरू कर दें।" तब पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम का इशारा इंडिया के युवाओं की तरफ था, जिनमें अपने सपनों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करने का जज्बा था।

प्रणब मुखर्जी, यूनियन बजट 2012-13

मुखर्जी ने कहा था, "यूरो जोन में सॉवरेन डेट क्राइसिस ने गंभीर रूप ले लिया है। मिडिल ईस्ट में राजनीतिक अस्थिरता ने अनिश्चितता बढ़ा दी है। क्रूड ऑयल की कीमतें चढ़ रही हैं। जापान में भूकंप ने बड़ी तबाही मचाई है। पूरी तस्वीर धुंधली दिख रही है। मेरा मानना है कि हमें आत्मसंतुष्ट नहीं होना चाहिए। किसी देश में होने वाली घटनाओं का ठीकरा दूसरों के सिर नहीं मढ़ा जा सकता। अगर हम दुनिया की सच्चाइयों की अनदेखी करते हैं तो हम गलत दिशा में जा सकते हैं।"

अरुण जेटली, यूनियन बजट 2014-15

पूर्व वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा था, "हमारी सरकार की प्रतिबद्धता मिनिमम गवर्नमेंट और मैक्सिमम गवर्नेंस पर है।" उनका इशारा अफसरशाही घटाने और सरकार की काम करने की क्षमता बढ़ाने पर था। उनका कहना था कि कम से कम हस्तक्षेप के साथ लोगों को जरूरी सेवाएं देने पर फोकस होना चाहिए। उन्होंने इकोनॉमिक रिफॉर्म्स की प्रक्रिया बढ़ाने पर फोकस किया था। बिजनेस के लिए अनुकूल माहौल बनाने को अपनी प्राथमिकता में शामिल किया था।

निर्मल सीतारमण, यूनियन बजट 2023-24

वर्तमान वित्त मंत्री ने कहा था, "यह अमृतकाल का पहला बजट है... अमृतकाल के हमारे विजन में टेक्नोलॉजी और नॉलेज आधारित इकोनॉमी की जगह है। हम मजबूत फाइनेंशियल सेक्टर चाहते हैं। इसे हासिल करने के लिए सबका साथ सबका प्रयास के जरिए जनभागीदारी जरूर है।" उनका मतलब आर्थिक विकास में टेक्नोलॉजी के ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल से था। उनका फोकस मजबूत फाइनेंशियल सेक्टर बनाने पर था। इस विजन को हासिल करने के लिए उन्होंने बजट में कई उपायों के ऐलान किए थे।

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