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Budget 2024: अंतरिम बजट और वोट ऑन अकाउंट को लेकर आप कनफ्यूज हैं? जानिए दोनों में क्या फर्क है?

Budget 2024 : अंतरिम बजट में अगले वित्त वर्ष के सरकार के खर्च, रेवेन्यू, फिस्कल डेफिसिट आदि का अनुमान शामिल होता है। लेकिन, इसमें पॉलिसी में बदलाव के प्रस्ताव शामिल नहीं होते हैं। इसमें किसी बड़ी स्कीम का ऐलान भी शामिल नहीं होता है

अपडेटेड Dec 14, 2023 पर 1:30 PM
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Budget 2024 : लोकसभा के चुनाव जिस साल होते हैं, सरकार अंतरिम यूनियन बजट पेश करती है। चुनावों के बाद जो नई सरकार बनती है वह पूर्ण बजट पेश करती है। इससे पहले 2019 में अंतरिम बजट पेश हुआ था।

Budget 2024 : आपने अंतरिम बजट और वोट ऑन अकाउंट की चर्चा इन दिनों कई बार सुनी होगी। 1 फरवरी, 2024 को वित्त मंत्री Nirmala Sitaraman अंतरिम बजट पेश करेंगी। लोकसभा के चुनाव जिस साल होते हैं, सरकार अंतरिम यूनियन बजट पेश करती है। चुनावों के बाद जो नई सरकार बनती है वह पूर्ण बजट पेश करती है। इससे पहले 2019 में अंतरिम बजट पेश हुआ था। तब केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने 1 फरवरी, 2019 को अंतरिम बजट पेश किया था। चुनावों के नतीजे आने के बाद केंद्र में दूसरी बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरकार बनाई थी। नई सरकार की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 5 जुलाई, 2019 को पूर्ण बजट पेश किया था। 2024 में भी लोकसभा चुनावों के नतीजों के बाद जो नई सरकार बनेगी वह पूर्ण बजट पेश करेगी। पिछले हफ्ते वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि वित्त वर्ष 2024-25 का पूर्ण बजट जुलाई में आएगा।

लोकसभा चुनाव वाले साल में पेश होते हैं दो बजट

Interim Budget और वोट ऑन अकाउंट को लेकर कई लोग कनफ्यूज हो सकते हैं। कई लोगों को यह लगता है कि दोनों एक ही चीज है। लेकिन, यह सच नहीं है। दोनों के बीच काफी अंतर है। वोट ऑन अकाउंट के जरिए सरकार अगले वित्त वर्ष के कुछ महीनों के लिए अपने खर्च के प्रस्ताव पर ससंद की मजूरी लेती है। चूंकि, लोकसभा चुनाव वाले साल में केंद्र में नई सरकार बनती है, जिससे वित्त वर्ष का Union Budget बनाने का काम नई सरकार करती है। इसलिए पूर्ण बजट पेश होने तक सरकार अपने जरूरी खर्च के प्रस्ताव पर संसद की मंजूरी हासिल करती है।


वोट ऑन अकाउंट में कुछ महीनों के खर्च का प्रस्ताव

यूनियन बजट में 1 अप्रैल से 31 मार्च तक के सरकार के खर्च का प्रस्ताव होता है। बजट पारित होने के बाद सरकार के पूरे वित्त वर्ष के खर्च का प्रस्ताव भी मंजूर हो जाता है। लेकिन, लोकसभा चुनाव वाले साल में नई सरकार बनने में समय लग जाता है। इसलिए वित्त वर्ष के शुरुआती कुछ महीनों के खर्च के प्रस्ताव पर संसद की मंजूरी हासिल करने के लिए मौजूदा सरकार अंतरिम बजट पेश करती है। आम तौर पर इसके जरिए दो महीने के खर्च के प्रस्ताव के लिए संसद की मंजूरी हासिल की जाती है। लेकिन, इस अवधि को बढ़ाया जा सकता है।

वोट ऑन अकाउंट में टैक्स सिस्टम में बदलाव का प्रस्ताव शामिल नहीं

अंतरिम बजट में अगले वित्त वर्ष के सरकार के खर्च, रेवेन्यू, फिस्कल डेफिसिट आदि का अनुमान शामिल होता है। लेकिन, इसमें पॉलिसी में बदलाव के प्रस्ताव शामिल नहीं होते हैं। इसमें किसी बड़ी स्कीम का ऐलान भी शामिल नहीं होता है। अंतरिम बजट को लोकसभा में बहस के बाद पारित कर दिया जाता है। लेकिन, वोट ऑन अकाउंट को लोकसभा में चर्चा नहीं होती है। इसे बगैर चर्चा के बाद पारित कर दिया जाता है। अंतरिम बजट में टैक्स सिस्टम में बदलाव का प्रस्ताव शामिल हो सकता है। वोट ऑन अकाउंट में टैक्स सिस्टम में बदलाव का प्रस्ताव शामिल नहीं होता है।

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